कानपुर देहात09जून25*यूपीआजतक न्यूज चैनल पर कानपुर देहात की कुछ महत्वपूर्ण खबरें
*मान्य होंगी पहले से हासिल की गईं एक साथ दो डिग्रियां*
*एक साथ दो डिग्री कोर्सेज को लेकर यूजीसी ने जारी की संशोधित गाइड लाइन*
बैनर न्यूज़ ब्यूरो
कानपुर देहात। यूजीसी ने लाखों छात्रों को बड़ी राहत देते हुए एक समय में दो डिग्रियां प्राप्त करने की बाध्यता खत्म कर दी है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियम में संशोधन करने के बाद एक ही शैक्षणिक सत्र में प्राप्त दोनों डिग्रियां मान्य होंगी, चाहे वे रेगुलर, प्राइवेट या डिस्टेंस मोड में हों। यह नियम 2022 से पहले प्राप्त एक साथ डिग्रियों पर भी लागू होगा। देशभर के विश्वविद्यालयों से छात्रों द्वारा एक ही समय में अब तक हासिल की जा चुकी दो डिग्रियों की वैधता कायम रहेगी। यूजीसी ने अप्रैल 2022 में जारी गाइडलाइन में दर्ज पूर्व के वर्षों में एक साथ दो शैक्षणिक प्रोग्राम के दावे पर रोक के प्रावधान को हटा दिया है। नए नियमों में नोटिफिकेशन जारी होने से पहले यूजीसी के मानकों से छात्रों द्वारा एक साथ हासिल दो डिग्रियां मान्य होंगी। यूजीसी के इस फैसले से एकसाथ दो डिग्री कर चुके लाखों छात्रों को बड़ी राहत मिलेगी। यूजीसी ने पांच जून की देर रात संशोधित निर्देश वेबसाइट पर जारी कर दिए। यूजीसी ने 13 अप्रैल 2022 को एकसाथ दो शैक्षिक प्रोग्राम करने के लिए गाइडलाइन जारी की थी। इसमें छात्रों के लिए दो डिग्री एक साथ करने की कुछ शर्तें थी। इसके बिंदु संख्या पांच में यूजीसी की बाध्यता थी कि नोटिफिकेशन जारी होने की तिथि से पहले का कोई भी छात्र इन लाभ के लिए दावा नहीं कर सकेगा। यानी जो छात्र 13 अप्रैल 2022 से पहले एक साथ दो डिग्रियां ले चुके थे वे इसके दायरे से बाहर हो गए थे।
*यह है गाइडलाइन*-
कोई भी छात्र एक साथ फिजिकल मोड में दो पूर्णकालिक पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकता है, लेकिन दोनों की कक्षाओं का समय समान नहीं हों। छात्र किसी एक प्रोग्राम को फिजिकल मोड जबकि दूसरे को ओडीएल या ऑनलाइन मोड अथवा दोनों को ओडीएल या ऑनलाइन मोड में कर सकता है।
*अब किया संशोधन, वेबसाइट पर किया सार्वजनिक*-
यूजीसी ने इसी वर्ष तीन अप्रैल को हुई बैठक में उक्त नियम में संशोधन कर दिया। पांच जून को वेबसाइट पर इसे सार्वजनिक किया गया। यूजीसी ने संशोधन में पूर्व के वर्षों में लाभ लेने पर रोक की बाध्यता को हटा दिया है। नए नियमों के अनुसार गाइडलाइन जारी होने से पहले निर्धारित मानदंडों का पालन करते हुए एक साथ किए गए दो शैक्षणिक कार्यक्रम वैध माने जाएंगे। बशर्ते वह यूजीसी प्रथम डिग्री और मास्टर डिग्री विनियम, संबंधित विवि या विवि के कानून या अध्यादेशों के अनुसार और वैधानिक व्यावसायिक परिषद, यूजीसी की दूरस्थ शिक्षा परिषद या दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो से अनुमोदित हों। यूजीसी का यह नया दिशानिर्देश भारतीय उच्च शिक्षा में एक क्रांतिकारी कदम है जो छात्रों को अपनी शैक्षणिक और करियर को हासिल करने में मदद करेगा। 2022 से पहले की डिग्रियों को भी मान्यता देने का फैसला बहुत बड़ी राहत है।
[6/9, 5:11 AM] +91 96283 30454: *शिक्षा एक मानव प्रक्रिया है रोबोटिक्स प्रक्रिया नहीं कि कमांड देते ही कार्य पूर्ण*
बैनर न्यूज़ ब्यूरो
कानपुर देहात। शिक्षा मनुष्य के जीवन के विकास का प्रमुख आधार होती है। शिक्षा के माध्यम से ही एक व्यक्ति देश की प्रगति में अपना योगदान दे सकता है। एक शिक्षाविहीन व्यक्ति न ही अपना जीवन सही से व्यतीत कर पाता है और न ही वह अपने मौलिक कर्तव्यों के प्रति जागरूक हो पाता है लेकिन एक शिक्षित व्यक्ति सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और धार्मिक ज्ञान को प्राप्त कर न केवल अपने जीवन को साकार करता है बल्कि दूसरे लोगों का भी मार्गदर्शन करता है। शिक्षा के महत्व को जानकार ही आज शिक्षा को सभी के लिए अनिवार्य किया गया है लेकिन सरकारी स्कूलों की दयनीय स्थिति किसी से छुपी नहीं है। परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाई से ज्यादा कागजी खानापूर्ति आम बात है। शिक्षक अध्यापन से अधिक कागजी कार्यों में लगे रहते हैं। ऐसे में उन्नत व विकसित समाज की कल्पना करना बेमानी है। वस्तुत: सरकारी स्कूल की बदहाली का कारण शिक्षक नहीं, सरकार है क्योंकि वह शिक्षकों को पढ़ाने ही नहीं देती आदेश पर आदेश जारी करती रहती है और शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाए रखती है। इस संदर्भ में शिक्षाशास्त्री प्रवीण त्रिवेदी का कहना है कि शिक्षा कोई रोबोटिक प्रक्रिया नहीं है कि नियंत्रण कक्ष में बैठे जिम्मेदार एक बटन दबाएं और अगले ही पल बच्चे स्कूल भागते चले आएं, शिक्षक प्रेरित होकर पढ़ाने लगें और परिणाम आसमान छू लें। यह कोई उत्पादन प्रणाली नहीं जिसमें इनपुट-आउटपुट का समीकरण सीधा हो। शिक्षा एक मानवीय और सामाजिक प्रक्रिया है जिसमें बच्चों की पृष्ठभूमि, परिवार की परिस्थितियां, समुदाय का रवैया, स्कूल का माहौल और शिक्षक का मनोबल सब कुछ मिलकर तय करते हैं कि सीखना कैसे और कितना संभव है लेकिन त्रासदी यह है कि निर्णय उन्हीं के हाथ में है जो शिक्षा को केवल डाटा शीट, रिपोर्ट और मीटिंग का एजेंडा समझते हैं, वही इसकी दिशा और लक्ष्य तय कर रहे हैं। ऐसे में शिक्षा की आत्मा कहीं खो जाती है और बचता है सिर्फ वह दिखावा, जो ऊपर बैठे लोगों को खुश करने के लिए नीचे के लोग मजबूरी में गढ़ते रहते हैं। यही कारण है दिन प्रतिदिन शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है।
[6/9, 5:11 AM] +91 96283 30454: *यात्री एवं मालकर अधिकारी ने अपनी टीम के सदस्यों के साथ चलाया चेकिंग का जोरदार अभियान’, मचा हड़कंप*
*यात्री एवं मालकर अधिकारी श्रीमती स्मिता वर्मा ने इस अभियान के दौरान विभिन्न प्रकार के आधा सैकड़ा वाहनों के किए चालान, बिना रजिस्ट्रेशन नंबर के सड़क पर दौड़ते हुए मिले तीन ई रिक्शा वाहन हुए सीज*
बैनर न्यूज़ ब्यूरो
कानपुर देहात… उत्तर प्रदेश शासन के निर्देशन पर प्रदेश के सड़क एवं परिवहन विभाग के उच्च अधिकारियों के मार्गदर्शन पर रविवार को अवकाश होने के बावजूद भी यात्री एवं मालकर अधिकारी श्रीमती स्मिता वर्मा ने अपनी टीम के सदस्यों के साथ कानपुर झांसी राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अकबरपुर सिकंदरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर रायपुर से लेकर मुंगीसापुर तक घूम-घूम कर वाहनों की चेकिंग का जोरदार अभियान चलाया…. इस अभियान के दौरान उपरोक्त दल के अधिकारी ने बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित होते मिले चार ई रिक्शा वाहनों को सीज करके उन्हें अकबरपुर पुलिस के हवाले कर दिया…. वही उपरोक्त दल के अधिकारी ने इस अभियान के दौरान के सड़क एवं परिवहन विभाग से निजी उपयोग के लिए रजिस्टर्ड तीन मारुति वैनों का कमर्शियल उपयोग करते हुए पकड़ लिया तत्पश्चात उपरोक्त दल के अधिकारी ने उपरोक्त मारुति वैनों के चालकों को कड़ी फटकार लगाते हुए उपरोक्त वाहनों के चालान कर दिए साथ ही उपरोक्त दल के अधिकारी ने इस अभियान के दौरान करीब आधा सैकड़ा से अधिक विभिन्न प्रकार के वाहनों के चालान भी किये… यात्री एवं मालकर अधिकारी के द्वारा रविवार को चलाए जा रहे विशेष चेकिंग अभियान की भनक लगते ही विभिन्न प्रकार के वाहनों के चालकों के बीच हड़कंप मच गया….
मालूम हो कि रविवार को अवकाश होने के बाद भी जिला यात्री एवं मालकर अधिकारी स्मिता वर्मा ने अपनी टीम के सदस्यों के साथ कानपुर झांसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर एवं अकबरपुर सिकंदरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों की चेकिंग का जोरदार अभियान चलाया इस अभियान के दौरान उपरोक्त दल के अधिकारी ने बिना रजिस्ट्रेशन के सड़कों पर दौड़ रहे चार ई रिक्शा वाहनों को सीज करके उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया साथ ही उपरोक्त दल के अधिकारी ने निजी उपयोग के लिए सड़क एवं परिवहन विभाग से पंजीकृत तीन मारुति वैनों को कमर्शियल उपयोग में लाते हुए धर दबोचा., उपरोक्त मारुति वैैनों के चालकों को उपरोक्त दल के अधिकारी ने कड़ी फटकार लगाते हुए उक्त मारुति वैनों के चालान कर दिए… यात्री एवं मालकर अधिकारी श्रीमती स्मिता वर्मा ने दूरभाष पर बताया है कि शासन के निर्देशानुसार वाहनों की चेकिंग का अभियान चलाया जा रहा है यह चेकिंग का अभियान दिन में ही नहीं बल्कि रात्रि में भी चलाया जा रहा है रविवार को उपरोक्त अभियान के दौरान उन्होंने जनपद की विभिन्न सड़कों पर यातायात एवं सड़क सुरक्षा के नियमों की अवहेलना करते हुए मिले करीब आधा सैकड़ा विभिन्न प्रकार के वाहनों के चालान किए हैं वहीं बिना रजिस्ट्रेशन के सड़कों पर दौड़ते हुए मिले चार ई रिक्शा वाहनों को सीज करके उन्हें अकबरपुर पुलिस के हवाले कर दिया गया है तथा निजी उपयोग के लिए पंजीकृत तीन मारुति वैनों को कमर्शियल उपयोग करते हुए पकड़ा गया है उपरोक्त मारुति वैनों के चालकों को कड़ी फटकार लगाने के बाद उक्त मारुति वैनों के भी चालान किए गए हैं
[6/9, 5:11 AM] +91 96283 30454: *मान्य होंगी पहले से हासिल की गईं एक साथ दो डिग्रियां*
*एक साथ दो डिग्री कोर्सेज को लेकर यूजीसी ने जारी की संशोधित गाइड लाइन*
बैनर न्यूज़ ब्यूरो
कानपुर देहात। यूजीसी ने लाखों छात्रों को बड़ी राहत देते हुए एक समय में दो डिग्रियां प्राप्त करने की बाध्यता खत्म कर दी है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियम में संशोधन करने के बाद एक ही शैक्षणिक सत्र में प्राप्त दोनों डिग्रियां मान्य होंगी, चाहे वे रेगुलर, प्राइवेट या डिस्टेंस मोड में हों। यह नियम 2022 से पहले प्राप्त एक साथ डिग्रियों पर भी लागू होगा। देशभर के विश्वविद्यालयों से छात्रों द्वारा एक ही समय में अब तक हासिल की जा चुकी दो डिग्रियों की वैधता कायम रहेगी। यूजीसी ने अप्रैल 2022 में जारी गाइडलाइन में दर्ज पूर्व के वर्षों में एक साथ दो शैक्षणिक प्रोग्राम के दावे पर रोक के प्रावधान को हटा दिया है। नए नियमों में नोटिफिकेशन जारी होने से पहले यूजीसी के मानकों से छात्रों द्वारा एक साथ हासिल दो डिग्रियां मान्य होंगी। यूजीसी के इस फैसले से एकसाथ दो डिग्री कर चुके लाखों छात्रों को बड़ी राहत मिलेगी। यूजीसी ने पांच जून की देर रात संशोधित निर्देश वेबसाइट पर जारी कर दिए। यूजीसी ने 13 अप्रैल 2022 को एकसाथ दो शैक्षिक प्रोग्राम करने के लिए गाइडलाइन जारी की थी। इसमें छात्रों के लिए दो डिग्री एक साथ करने की कुछ शर्तें थी। इसके बिंदु संख्या पांच में यूजीसी की बाध्यता थी कि नोटिफिकेशन जारी होने की तिथि से पहले का कोई भी छात्र इन लाभ के लिए दावा नहीं कर सकेगा। यानी जो छात्र 13 अप्रैल 2022 से पहले एक साथ दो डिग्रियां ले चुके थे वे इसके दायरे से बाहर हो गए थे।
*यह है गाइडलाइन*-
कोई भी छात्र एक साथ फिजिकल मोड में दो पूर्णकालिक पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकता है, लेकिन दोनों की कक्षाओं का समय समान नहीं हों। छात्र किसी एक प्रोग्राम को फिजिकल मोड जबकि दूसरे को ओडीएल या ऑनलाइन मोड अथवा दोनों को ओडीएल या ऑनलाइन मोड में कर सकता है।
*अब किया संशोधन, वेबसाइट पर किया सार्वजनिक*-
यूजीसी ने इसी वर्ष तीन अप्रैल को हुई बैठक में उक्त नियम में संशोधन कर दिया। पांच जून को वेबसाइट पर इसे सार्वजनिक किया गया। यूजीसी ने संशोधन में पूर्व के वर्षों में लाभ लेने पर रोक की बाध्यता को हटा दिया है। नए नियमों के अनुसार गाइडलाइन जारी होने से पहले निर्धारित मानदंडों का पालन करते हुए एक साथ किए गए दो शैक्षणिक कार्यक्रम वैध माने जाएंगे। बशर्ते वह यूजीसी प्रथम डिग्री और मास्टर डिग्री विनियम, संबंधित विवि या विवि के कानून या अध्यादेशों के अनुसार और वैधानिक व्यावसायिक परिषद, यूजीसी की दूरस्थ शिक्षा परिषद या दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो से अनुमोदित हों। यूजीसी का यह नया दिशानिर्देश भारतीय उच्च शिक्षा में एक क्रांतिकारी कदम है जो छात्रों को अपनी शैक्षणिक और करियर को हासिल करने में मदद करेगा। 2022 से पहले की डिग्रियों को भी मान्यता देने का फैसला बहुत बड़ी राहत है।
[6/9, 5:11 AM] +91 96283 30454: *एस.पी ने थाना अमराहट का किया आकस्मिक निरीक्षण, दिए निर्देश*
*थाने पर आने वाले फरियादियों/ पीड़ितों की समस्याओं का विधिक नियमानुसार तथा समयबद्ध तरीके से किया जाए निस्तारण*,,,, *अरविंद मिश्रा एस.पी, कानपुर देहात।*
*बैनर न्यूज़ ब्यूरो ओउम जी पाठक “अकिंचन”*
कानपुर देहात… पुलिस अधीक्षक अरविंद मिश्रा ने थाना अमराहट का औचक निरीक्षण करके सर्व-सम्बन्धित को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।
मालूम हो कि रविवार को पुलिस अधीक्षक जनपद कानपुर देहात अरविन्द मिश्र ने थाना अमराहट का औचक निरीक्षण किया । इस दौरान पुलिस अधीक्षक ने थाना कार्यालय, सीसीटीएनएस कार्यालय, महिला हेल्प डेस्क, शस्त्रागार, हवालात, थाना परिसर, भवन, भोजनालय आदि का निरीक्षण किया । तथा थाना कार्यालय में अभिलेखों तथा माल मुकदमाती के रखरखाव की स्थिति देखी। इस दौरान पुलिस अधीक्षक ने थाने पर आने वाले फरियादियों/पीड़ितों की समस्याओं के विधिक, नियमानुसार तथा समयबद्ध तरीके से निस्तारण करने हेतु सर्व-सम्बन्धित को आदेशित/निर्देशित किया … पुलिस अधीक्षक ने थाना कार्यालय में नियुक्त कर्मियों से वार्ता भी की एवं उनके कार्य से सम्बन्धित दिशा-निर्देश दिये । निरीक्षण के दौरान पुलिस अधीक्षक के साथ थाना इंचार्ज राहुल कुमार मौजूद रहे
[6/9, 5:11 AM] +91 96283 30454: *शिक्षकों पर विश्वास नहीं रखते लोग, बेचारे ताने सुनने को मजबूर शिक्षक*
*लोगों को अपनी नजर और नजरिया दोनो बदलने की जरूरत*
बैनर न्यूज़ ब्यूरो
कानपुर देहात। वर्तमान समय में अभिभावक शिक्षक पर अपने बच्चों से ज्यादा भरोसा नहीं करता पहले शिक्षक की बात पर विश्वास किया जाता था। माता पिता अपने से ज्यादा शिक्षक को बच्चों का शुभ चिंतक मानते थे पर अब समाज में शिक्षकों को लेकर एक विचित्र प्रकार का अविश्वास व्याप्त है, मानो वे बच्चों को सिखाने में सक्षम न हों और अपनी जिम्मेदारियों को ढंग से निभाने में अक्षम हों। जब भी उनके कंधों पर स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की बात आती है समाज की ओर से संदेह भरी आवाजें उठने लगती हैं। यह धारणा बन चुकी है कि शिक्षक अपने निर्णय खुद लेने में असमर्थ हैं और उन्हें केवल निर्देशों का पालन करने तक ही सीमित रहना चाहिए। ऐसा मान लेना कि शिक्षक कक्षा में ढंग से निर्णय नहीं ले पाते हैं, न केवल उनके आत्म-सम्मान पर आघात करता है बल्कि शिक्षाशास्त्र के मूलभूत सिद्धांतों का भी अपमान है। शिक्षणशास्त्र इस बात पर जोर देता है कि शिक्षण एक रचनात्मक और लचीली प्रक्रिया है जो छात्रों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं और रुचियों के अनुसार ढलनी चाहिए। शिक्षकों को उनकी कक्षाओं में फैसले लेने की आजादी मिलने पर वे छात्रों के लिए बेहतर सीखने का वातावरण तैयार कर सकते हैं। शिक्षक का दायित्व केवल पाठ्यपुस्तक पढ़ाना नहीं बल्कि प्रत्येक बच्चे की विशेष आवश्यकताओं को समझकर शिक्षण सामग्री का चयन करना और उनके सीखने के तरीके में बदलाव लाना है। यह कार्य तभी संभव है जब शिक्षकों को स्वतंत्रता और विश्वास दिया जाए परंतु जब समाज और प्रशासन शिक्षकों पर संदेह करता है तो उन्हें केवल निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य कर दिया जाता है। इससे न केवल उनकी निर्णय लेने की क्षमता बाधित होती है बल्कि कक्षा में रचनात्मकता और नवाचार भी प्रभावित होते हैं। शिक्षकों पर यह अविश्वास केवल उनकी पेशेवर गरिमा को ठेस नहीं पहुंचाता बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। यदि हम चाहते हैं कि हमारी शिक्षा प्रणाली सशक्त और प्रभावी हो तो शिक्षकों को संदेह की दृष्टि से देखना बंद करना होगा। उन्हें वह स्वायत्तता और सम्मान देना होगा, जिसके वे हकदार हैं। शिक्षक समाज के नींव के पत्थर हैं। वे न केवल ज्ञान प्रदान करते हैं बल्कि भावी पीढ़ियों को आकार देते हैं इसलिए यह आवश्यक है कि समाज शिक्षकों पर भरोसा करे और उन्हें अपनी कक्षा में स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की छूट दे तभी हम एक ऐसी शिक्षा प्रणाली का निर्माण कर पाएंगे जो प्रत्येक बच्चे की अनूठी क्षमताओं को निखार सके और समाज को प्रगति की ओर ले जाए। शिक्षकों पर विश्वास करना केवल उनकी जीत नहीं बल्कि पूरे समाज की जीत होगी। आइए इस अविश्वास की दीवार को तोड़ें और शिक्षकों को वह स्थान दें जो उन्हें वास्तव में मिलना चाहिए।
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