मऊगंज22अप्रैल25 जिले में नशा तस्करी की रफ़्तार, पुलिस विभाग की उदासीनता पर उठे सवाल*
*लौर थाने के प्रभारी पर अघोरी नशा कारोबार में मिलीभगत का संदेह, ग्रामीण त्रस्त*
मऊगंज जिले के लौर थाना क्षेत्र में नशे का अवैध कारोबार रफ़्तार पकड़ता जा रहा है, लेकिन थानाध्यक्ष गोविंद तिवारी के समक्ष कार्रवाई करने का जज्बा कहीं लुप्त सा दिख रहा है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, गाँव—गाँव तस्कर खुलेआम मादक पदार्थ सप्लाई कर रहे हैं, जिसका विरोध करने पर सक्रिय पत्रकारों और जागरूक नागरिकों को धमकियाँ दी जा रही हैं। “पूरे ग्राम पंचायत में शराब की डिलीवरी हो रही है। बच्चे से लेकर बुज़ुर्ग तक नशेड़ी बनते जा रहे हैं, लेकिन थाने में आँखें मूँद रखी गई हैं,” – नाम न उजागर करने की शर्त पर एक पंचायत सदस्य ने बताया।
*नशे का सौदागरों का नेटवर्क*
सूत्रों के अनुसार रीवा से जुड़े तस्करी के गिरोह सीधे मऊगंज जिले में शराब व स्मैक की खेप पहुँचाते हैं। कई बार गाँव—गाँव के दुकानदारों ने शिकायत दर्ज कराई, मगर “रिपोर्ट दर्ज करने” के बहाने दो-तीन दिन लेट-लतीफी के बाद थाने में फाइल दबा दी जाती है। कई मामलों में तो आरोपियों का ड्राइवर या परिचित दलाल ही थाने में रिपोर्टकर्ता के साथ सौदों की मध्यस्थता करता दिखा।
*पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल*
सड़क पर हेलमेट ना पहनने पर चालान करने का दिखावटी प्रयास करने वाले पुलिसकर्मी, जब नशे के खिलाफ कदम उठाने की बारी आती है, तो उनकी हिम्मत पिघल जाती है। स्थानीय युवाओं का आरोप है कि यातायात नियमों के उल्लंघन पर सख्ती सिर्फ इसलिए की जाती है, ताकि जनता को आश्वस्त दिखाया जा सके, न कि वाकई कानून के प्रति प्रतिबद्धता दिखाने के लिए।
“सीतापुर में गौ-तस्करी में थाना प्रभारी की मिलीभगत उजागर हुई, उसी तरह यहां भी बड़े अधिकारी के साथ रिश्वत के सौदे होते हैं,”
– नाम गोपनीय रखने वाले एक तस्कर ने वीडियो साक्ष्य दिखाते हुए आरोप लगाया।
*उच्चाधिकारियों की उदासीनता*
अब तक जिले के एसपी दिलीप सोनी ने इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। चाहे रीवा के आईजी-डीआईजी स्तर पर निर्देश आ जाएँ, मऊगंज थाना क्षेत्र की कार्यप्रणाली जस की तस बनी हुई है। जब CM हेल्पलाइन पर शिकायत की जाती है, तो अधिकारी कॉल को “टेक्निकल गड़बड़ी” बता कर रद्द करा देते हैं, साथ ही सीएम हेल्पलाइन नंबर पर दबाव बनाते हुए यह कह दिया जाता है कि रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई जाएगी।
*जनता का कराहता हाल और अपेक्षाएँ*
ग्रामीणों का कहना है कि अगर स्थानीय प्रशासन ने तुरंत कड़े कदम नहीं उठाए, तो नशे की चपेट में आने वाले लोग अपराध की ओर भी धकेले जा सकते हैं। शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य की दृष्टि से पहले ही पिछड़े इस क्षेत्र में नशे से सामाजिक ताना-बाना बिखरने का खतरा मोल ले रहा है।
*आगे की राह:*
1. तुरंत औचक छापेमारी: थाना प्रभारी के नेतृत्व में नियमित रेड को अनिवार्य किया जाए।
2. वीडियो फुटेज की जांच: नशीली दवाओं के तस्करी के वीडियो साक्ष्यों की स्वतंत्र जांच समिति गठित की जाए।
3. पिछड़े गाँवों में पुलिस चौकियाँ: लौर, हनुमना, शाहपुर अन्य चौकियों का आधुनिकीकरण व सशक्तिकरण।
4. पारदर्शी शिकायत प्रबंधन: CM हेल्पलाइन व अन्य वरिष्ठ प्लेटफॉर्म पर दर्ज शिकायतों का ट्रैकिंग सिस्टम सक्रिय किया जाए।
मऊगंज वासियों की उम्मीदें अब शेष नहीं रहीं; पुलिस विभाग को प्रदेश सरकार की प्रतिष्ठा पर सवाल उठने से पहले व्यवसायिक ईमानदारी दिखानी होगी। वरना गाँव—गाँव के लोग नशे की दलदल में डूब कर अपराध और अव्यवस्था का नया अध्याय लिखेंगे।
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