वाराणसी29अक्टूबर24*दीवाली का त्योहार उमंग और उल्लास का खुशियो का त्योहार* .
वाराणसी से प्राची राय की खास रिपोर्ट यूपीआजतक
दिवाली को मनाए जाने का सबसे मुख्य कारण है बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाना है। भारतीय इतिहास में यह वर्णित है कि इस दिन, भगवान विष्णु के अवतार, भगवान राम, राक्षस राजा रावण को हराने और अपनी पत्नी सीता को बचाने के बाद अपने राज्य लौट आए थे। जब भगवान राम लंका से अयोध्या लौटे तो प्रजा को इस बारे में पता चला। तब कार्तिक माह की अमावस्या के कारण अयोध्या में चारों ओर अंधकार होने की वजह से वहां के लोगों ने अपने घरों के बाहर दिए जलाकर अपने राजकुमार का स्वागत किया था। इस वजह से अमावस्या के दिन भी अयोध्या जगमगा उठी थी। उसी समय से दीपावली को बुराई पर अच्छाई की जीत के रुप में मनाया जाता है।
*दिवाली के पांचों दिन का महत्व क्या है?*
दिवालीके अलग अलग दिन हैं धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजन (दिवाली), गोवर्धन पूजा, भाई दूज हैं। दीपावली के ये पांच दिन कई परंपराओं और रीति-रिवाजों को शामिल करते हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना महत्व है, समृद्धि के विषयों को मजबूत करना, बुराई पर अच्छाई की जीत और पारिवारिक और सांप्रदायिक बंधनों का महत्व आदि। दीपावली का त्योहार पांच दिनों का होता है तथा इन पांचों दिनों का अपना अलग महत्व है जो की निम्न प्रकार से है:
*धनतेरस 29 अक्टूबर*
दिवाली का पहला दिन धनतेरस के नाम से जाना जाता है, जो धन और समृद्धि को समर्पित है। लोग अपने घरों को साफ करते हैं, नए बर्तन या कीमती धातुएँ खरीदते हैं और अपने जीवन में धन और सौभाग्य को आमंत्रित करने के लिए दीपक जलाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी ब्रह्मांड के समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से प्रकट हुई थीं।
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*नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) 30 अक्टूबर*
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दिवाली का दूसरा दिन नरक चतुर्दशी है, जिसे अक्सर छोटी दिवाली कहा जाता है। यह राक्षस नरकासुर पर भगवान कृष्ण और देवी काली की जीत की याद दिलाता है। लोग स्नान करने के लिए जल्दी उठते हैं और इस दिन अंधेरे पर प्रकाश की विजय के प्रतीक के रूप में दीपक जलाए जाते हैं और पटाखे फोड़े जाते हैं।
*दिवाली (लक्ष्मी पूजा) 31 अक्टूबर*
यह दिवाली का मुख्य दिन, जो अक्सर तीसरे दिन मनाया जाता है, देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है। घरों को रंग-बिरंगी रंगोली, तेल के दीयों और मोमबत्तियों से सजाया जाता है। परिवार लक्ष्मी पूजा के लिए इकट्ठा होते हैं, जो धन की देवी के लिए एक विशेष प्रार्थना और भेंट है। उपहारों, मिठाइयों का आदान-प्रदान और आतिशबाजी की रोशनी उत्सव के माहौल को और बढ़ा देती है।
*गोवर्धन पूजा (अन्नकूट) 2 नवम्बर*
दिवाली का चौथा दिन गोवर्धन पूजा है, जिसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन भगवान कृष्ण द्वारा वृन्दावन के लोगों को भगवान इंद्र द्वारा की गई बारिश से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाने से जुड़ा है। भक्त विभिन्न प्रकार के शाकाहारी भोजन प्रसाद तैयार करते हैं, और मंदिरों में विस्तृत पूजा समारोह आयोजित किए जाते हैं।
*भाई दूज 3 नवंबर*
दीपावली का अंतिम दिन भाई दूज है, जो भाइयों और बहनों के बीच के बंधन को समर्पित दिन है। बहनें आरती करती हैं और अपने भाइयों के माथे पर टीका लगाती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। यह पारिवारिक रिश्तों को मजबूत करने और भाई-बहन के प्यार का जश्न मनाने का दिन है।
*दिवाली पर दीप जलाने की परंपरा*
दिवाली की शाम दीप जलाने की परंपरा भारत में सदियों से चली आ रही है. यह सिर्फ एक रस्म नहीं है, बल्कि यह हमारे संस्कृति, धर्म और जीवन मूल्यों से जुड़ा एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है. दीपक जलाना एक प्राचीन भारतीय परंपरा है. यह हमारे संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है. दिवाली की शाम दीप जलाने की परंपरा हमारे जीवन में रोशनी और उम्मीद लेकर आती है. यह हमें सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है और हमारे जीवन में खुशहाली लाता है. इसलिए, दिवाली की शाम को दीपक जरूर जलाएं और इस पावन त्योहार का आनंद लें.
दीवाली पस दीप सही जलाते है पर कैसे जलाते है ये जान ले।
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*दिवाली पर दीप जलाने तरीका**
दिवाली के दिन दीप जलाने से पहले पूजा स्थल को साफ करें.
दीप को साफ पानी से धो लें और सूखने दें.
दीपक में अच्छी गुणवत्ता वाली बत्ती लगाएं. जिससे बार बार न बुझे.
दीपक में शुद्ध घी या तेल डालें. घी का दीपक जलाना अधिक शुभ माना जाता है.
दीपक को हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में जलाना शुभ माना जाता है.
दीपक जलाते समय ओम या अन्य मंत्रों का जाप करें.
आप जितने चाहें उतने दीपक जला सकते हैं, लेकिन 5, 7, 9, 21, 51, 108 की संख्या में दीपक जलाना शुभ माना जाता है.
दीपक को शाम के समय जलाएं और दीपक जलाते समय मन में सकारात्मक भावना रखें
ये
*दीपक जलाने के फायदे*
*सकारात्मक ऊर्जा:* दीपक से निकलने वाली रोशनी घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है.
*नकारात्मक ऊर्जा का** *नाश* : दीपक की रोशनी नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है.
*सुख-शांति:* दीपक जलाने से मन शांत होता है और सुख-शांति मिलती है.
*देवी-देवताओं का आशीर्वाद:* दीपक जलाने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
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*वास्तु दोष का निवारण:** दीपक जलाने से वास्तु दोष का भी निवारण होता है.
दीपक को हमेशा सुरक्षित जगह पर जलाएं और बच्चों की पहुंच से दूर रखें. अगर आप घर के बाहर दीपक जला रहे हैं, तो ध्यान रखें कि आग लगने का खतरा न हो.
*दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मूहूर्त*
दिवाली पूजन का शुभ मुहूर्त- 31 अक्तूबर को शाम 6 बजकर 27 मिनट से रात लेकर 8 बजकर 32 बजे तक।
दिवाली पूजन का निशिता मुहूर्त- रात 11 बजकर 39 मिनट से देर रात तक 12 बजकर 31 मिनट तक।
प्रदोष काल-17: 35 से 20:11 तक
वृषभ काल-18: 21से 20:17 तक
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