असम से शैलेन्द्र कुमार गुप्ता यूपीआजतक
असम19मई24*यूपीआजतक न्यूज चैनल पर देखिये माँ कामाख्या मंदिर की खास विशेषता।
दोस्तों भारत का एक प्राचीन देश होने के साथ-साथ काफी रहस्यमई भी है, जो अपने अंदर में कई रहस्य को सीमित किये हुए है भारत में कई और भी ऐसे स्थान भी हैं जिनका रहस्य अभी तक सुलझाया नहीं जा सका है और उन्ही रहस्यमई जगहों में से एक है जो बहुत ही प्रसिद्ध जगह है। दोस्तों वह स्थान है असम में कामाख्या देवी का मंदिर, यह मंदिर है जहां देवी की योनि की पूजा की जाती है, इस मंदिर में आने वाले सभी भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है यहां तक की इस मंदिर में काला जादू भी किया जाता है और भक्तों को प्रसाद के रूप में मीठा वगैरा नहीं बल्कि देवी की मासिक धर्म वाला कपड़ा दिया जाता है तो आखिर कौन है कामाख्या देवी और क्या है इंसी जुड़ी कहानी चलिए आपको बताते हैं लेकिन कामाख्या देवी से जुड़ी रहस्य को जानने से पहले आपसे वही बातें दोहराना चाहूंगा जो हर रोज हर स्टोरी में मैं बोलता हूं अगर अभी तक आपने हमारे चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया है तो प्लीज चैनल को सब्सक्राइब कर लीजिए और वीडियो के अंत तक हमारे साथ बने रहियेगा क्योंकि दोस्तों यह वीडियो काफी ज्यादा इंटरेस्टिंग होने वाली है दोस्तों कामाख्या देवी मंदिर असम की राजधानी दिसपुर से लगभग 7 किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इस मंदिर की गिनती देवी के 51 शक्ति पीठ में किया गया है इस वजह से इसी काम में शक्ति पीठ भी कहा जाता है क्योंकि यह बहुत ही प्रसिद्ध और चमत्कारी मंदिर है। चमत्कार क्या होते हैं और इस मंदिर में क्या ऐसा करने से आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होगी तो चलिए बातों को आगे बढ़ते हैं। आपको बता दे चमत्कारों से भरी है।इस मंदिर में साल भर इस मंदिर की गिनती, देवी के 51 शक्तिपीठों में की गयी है, इस वजह से इसी कामाख्या शक्ति पीठ भी कहा जाता है। दोस्तों कामाख्या शक्तिपीठ सभी शक्तिपीठों का महापीठ भी माना जाता है क्योंकि यह बहुत ही प्रसिद्ध और चमत्कारी मंदिर है। चमत्कार क्या होते हैं और इस मंदिर में क्या ऐसा करने से आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होगी तो चलिए बातों को आगे बढ़ते हैं आपको बता दे चमत्कारों से भारी मंदिर में साल भर भक्तों का ताता लगा रहता है लेकिन दुर्गा पूजा ,बसंत पूजा पर इस मंदिर का अपना अलग ही महत्व है पौराणिक कथाओं के अनुसार जैसे ही देवी शक्ति यज्ञ में पहुंचती है प्रजापति दक्ष क्रोध में आकर देवी शक्ति का अपमान करने के साथ-साथ उनके पति महादेव का भी अपमान करने लगते हैं 20 सभा में अपने पति का इस तरह से अपमान होता देखकर देवी शक्ति को बहुत ही आघात पहुंचता है वह पिता की बातों को बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं भगवान शिव को इस बात का एहसास हुआ शरीर को उठाकर पूरे ब्रह्मांड में पौराणिक कथाओं के अनुसार महादेव की पृथ्वी हिलने लगी को विवश हो जाते हैं पौराणिक कथाओं के अनुसार जैसे ही देवी शक्ति यज्ञ में पहुंचती है प्रजापति दक्ष क्रोध में आकर देवी शक्ति का अपमान करने के साथ-साथ उनके पति महादेव का भी अपमान करने लगते हैं बीच सभा में अपने पति का इस तरह से अपमान होता देखकर देवी शक्ति को बहुत ही आघात पहुंचता है। वह पिता की बातों को बर्दाश्त नहीं कर पाती है और वह वही यज्ञ कुंड में खुद कर अपने प्राणों की आहुति दे देती है भगवान शिव को इस बात का एहसास हुआ यज्ञ स्थल पर देवी का शरीर को उठाकर पूरे ब्रह्मांड में तांडव नृत्य करने लगे अभी हम आपको बताएंगे पौराणिक कथाओं के अनुसार महादेव की पृथ्वी हिलने लगी दोस्तों संसार पर खतरा मंडराने लगा चारों तरफ जाकर मच गया । तब विष्णु भगवान ने अपना सुदर्शन चक्र से देवी के शरीर के 51 भाग कर दिए पहुंचती है प्रजापति का अपमान करने के साथ-साथ उनके पति महादेव का भी अपमान करने लगते हैं वह पिता की बातों को बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं और वह वही यज्ञ कुंड में खुद कर अपने प्राणों की आहुति दे देती है। भगवान शिव को इस बात का एहसास हुआ तो वह स्थल पर पहुंचकर देवी शक्ति के शरीर को उठाकर पूरे ब्रह्मांड में तांडव नृत्य करने लगी अभी हम आपको बताएंगे पौराणिक कथाओं के अनुसार महादेव की पृथ्वी हिलने लगी दोस्तों संसार पर खतरा मदरानी लगा चारों तरफ जाकर मच गया सुदर्शन चक्र से देवी के शरीर के 51 भाग कर दिए कि यह भाग जहां-जहां गिरी उसे स्थान पर एक-एक शक्तिपीठ का निर्माण हुआ जिसे आज हम सभी देवी के 51 शक्तिपीठों के रूप में जानते हैं दोस्तों कामाख्या शक्तिपीठ उनकी शक्तिपीठों में से एक है यहां पर देवी की योनि का भाग गिरा था, यही कारण है दोस्तों इस मंदिर में प्रतिव अर्श का पर्व मनाया जाता है इस दौरान तीन दिनों के लिए मंदिर के कपाट को बंद कर दिया जाता है तो देवी कामाख्या की पूजा के लिए भक्तों को मंदिर में प्रवेशचार दिन के बाद की अनुमति मिल जाती है जी हां दोस्तों मंदिर के कपाट को बंद करने के पीछे भी एक रहस्य है मानता है कि इस समय माता कामाख्या राजसविला यानी पीरियड में होती है यह कारण है कि इस दौरान माता के गर्भ ग्रह के कपाट को बंद कर दिया जाता है इस समय किसी को भी देवी दर्शन की अनुमति नहीं होती है तो उसकी विशेष पूजा अर्चना की जाती है और चौथे दिन कामाख्या के कपाट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिए जाते हैं वैसे तो दोस्तों देवी की पीरियड वाली बात का कोई पौराणिक प्रमाण तो नहीं है लेकिन जो कोई भी इस दौरान यहां आता है ना वह अपनी आंखों से प्रमाण देखकर दंग रह जाता है तो यहां पास में बह रही ब्रह्मपुत्र का दोस्तों इन दिनों इस नदी में स्नान करना भी वर्जित माना नहीं दिया जाता है द्वार को बंद कर दिया जाता है इस समय किसी को भी देवी दर्शन की अनुमति नहीं होती है मगर तीन दिन बाद जब मन की राजसविला समाप्त होती है तो उसकी विशेष पूजा अर्चना की जाती है और चौथे दिन मां कामाख्या के कपाट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिए जाते हैं वैसे तो दोस्तों देवी की पीरियड वाली बात का कोई पौराणिक प्रमाण तो नहीं है लेकिन जो कोई भी इस दौरान यहां आता है ना वह अपनी आंखों से प्रमाण देखकर दंग रह जाता है तो यहां पास में बह रही ब्रह्मपुत्र नदी का पानी पूरी तरह से लाल हो जाता है और यह अपनी तीन दिनों तक ऐसे ही लाल रहता है मानता है कि पानी का यह लाल रंग कामाख्या देवी के मासिक धर्म के कारण ही होता है वगैरा मिलती है तो वही कामाख्या मंदिर में देवी भक्तों को प्रसाद के रूप में लाल रंग का गिला कपड़ा दिया जाता है अगर आप कामाख्या मंदिर जाते हैं तो आपको प्रसाद के रूप में लाल रंग का गिला कपड़ा ही दिया जाता है यहां दोस्तों यह कपड़ा कोई साधारण कपड़ा नहीं होता है कहा जाता है की माता रानी जब तीन दिन के लिए राजसविला होती है तो उसे दौरान मंदिर के अंदर सफेद रंग का कपड़ा बढ़ा दिया जाता है तीन दिन बाद जब मंदिर का कपाट खोल जाता है तो वह सफेद कपड़ा मार्केट से भी कर लाल रंग में बदल जाता है मान्यताओं की स्वस्थ को धारण करके शक्ति की उपासना करने से सिद्धि प्राप्त हो जाती है इतना ही नहीं दोस्तों जब मन पीरियड में होती है तो उसे दौरान मंदिर से निकलने वाले लाल पानी को भी भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में बांटा जाता है इसके अलावा आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यहां भैरव दर्शन करना भी नीलांचल पर्वत पर ही कामदेव को पूर्ण जीवनदान भी मिला था इसलिए यह इलाका कामरूप के नाम से भी जाना जाता है दोस्तों कामाख्या मंदिर की तीन हिस्सों में बना हुआ मंदिर का जो सबसे बड़ा हिस्सा है वहां हर किसी को जाने की अनुमति नहीं है वही मंदिर का जो दूसरा हिस्सा है उसमें ही भक्तों को जाने की अनुमति है यहीं पर एक पत्थर से हर वक्त पानी निकलता रहता है माता के रजस्वला के दौरान मंदिर के इस हिस्से के दरवाजे को तीन दिनों के लिए बंद कर रखा जाता है और पता है तीन दिन बाद बड़ी ही धूमधाम से मंदिर के दरवाजे को खोला जाता है दोस्तों जैसा कि मैं आपको पहले ही बता चुकी हूं की मां की इस मंदिर में कोई भी मूर्ति मौजूद नहीं है लेकिन इस मंदिर के पास स्थित का अन्य मंदिर में मां की मूर्ति विराजित है इस मंदिर को कामदेव मंदिर भी कहा जाता है अगर आप कामाख्या मंदिर जाएं तो कामदेव मंदिर जाकर देवी के दर्शन जरूर करें जिससे आप थोड़ी हैरान थी और हैरान हो जाएंगे सबसे महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है यही वजह है कि यहां साधु संत और अघोरियों का हर समय ताता लगा रहता है यहां आपको कई साधु अघोरी काला जादू करते हुए भी मिल जाएंगे कहा जाता है जिस वक्त पर काला जादू हुआ रहता है किसी मंदिर में आने के बाद उससे छुटकारा मिल जाता है कई लोग विवाह संतान और धन संपत्ति जैसे इच्छाओं की पूर्ति हेतु भी कामाख्या मंदिर में जाते हैं दोस्तों मनोकामना पूरी करने के लिए यहां कन्या पूजन व भंडारा भी कराया जाता है इसके साथ ही यहां पर पशुओं की बलि भी दी जाती है हालांकि आपकी जानकारी के लिए बहुत ही अच्छी चीज मैं आपको बता दूं कि यहां पर मादा जानवरों का बाली देना निषेध है कामाख्या मंदिर के बारे में आप क्या जानते हैं अगर आप हमसे कुछ अलग जानते हैं तो हमारे कमेंट बॉक्स में जाकर की तुरंत लिख दीजिए और आप किसी नई जगह के बारे में जानना चाहते हैं तो वह भी आप कमेंट बॉक्स में जरूर लिख कर भेजिए फिलहाल हमारी वीडियो आपको कैसी लगती है इसके बारे में बताना तो आप बिल्कुल भी मत भूलिएगा और एक बार फिर से रिपीट करना चाहूंगी अगर आप हमारे चैनल पर नए हैं तो हमारे चैनल को सब्सक्राइब करिए और बैल आइकन को प्रेस करिए करंट तक चैनल पर हम हमेशा आते रहते हैं आप सभी के लिए प्यारी सी स्टोरी लेकर के जैसा कि हमने आज कामाख्या मंदिर के बारे में आपको बातें बताइए अगर हमारी बातें आपको अच्छी लगी हूं हमारी वीडियो अच्छी लगी हो तो लाइक करिए कमेंट करिए शेयर करिए
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