June 19, 2025

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गोण्डा15सितम्बर*तहसीलदार कर्नलगंज के विरुद्ध आंदोलित अधिवक्ता आर-पार की लड़ाई के मूड़ में*

गोण्डा15सितम्बर*तहसीलदार कर्नलगंज के विरुद्ध आंदोलित अधिवक्ता आर-पार की लड़ाई के मूड़ में*

गोण्डा15सितम्बर*तहसीलदार कर्नलगंज के विरुद्ध आंदोलित अधिवक्ता आर-पार की लड़ाई के मूड़ में*

(उपजिलाधिकारी के बुलावा पत्र पर अधिवक्ताओं ने वार्ता करने से किया इंकार,एसडीएम ने कहा गैरकानूनी बातें मान्य नहीं)

कर्नलगंज (गोंडा) । तहसील कर्नलगंज में अधिवक्ताओं व स्थानीय प्रशासन के बीच बीते कई दिनों से चल रहा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिससे दोनो पक्षों में तल्खी लगातार बढ़ती नजर आ रही है। वहीं आंदोलित अधिवक्तागण भारी संख्या में एकजुट होकर आर-पार की लड़ाई के मूड़ में दिख रहे हैं। बुधवार को उपजिलाधिकारी की तरफ से वार्ता हेतु जारी बुलावा पत्र पर अधिवक्ताओं ने वार्ता करने से इंकार कर दिया, तो वहीं उपजिलाधिकारी हीरालाल ने भी सख्त रुख अख्तियार करते हुये कहा कि अधिवक्ताओं की गैरकानूनी माँगे कतई नहीं मानी जायेंगीं। मालूम हो कि तहसीलदार की कार्यशैली से क्षुब्ध अधिवक्ताओं ने बुधवार को संघ के अध्यक्ष संजय मिश्रा व मंत्री सूर्यकांत तिवारी की अगुवाई में तहसील के सामने गोंडा-लखनऊ राजमार्ग पर प्रदर्शन कर जमकर नारेबाजी की। जिस पर मौके की नजाकत को देखते हुये भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया। वहीं क्षेत्राधिकारी मुन्ना उपाध्याय, प्रभारी निरीक्षक प्रदीप कुमार सिंह,थानाध्यक्ष परसपुर राजनाथ सिंह स्थिति को नियंत्रण करने में जुटे रहे तथा अधिवक्ताओं को समझाने का प्रयास करते रहे। इसी दौरान उपजिलाधिकारी हीरालाल ने अधिवक्ताओं का ज्ञापन लेकर किसी तरह मामला शान्त कराया। लेकिन आंदोलन कर रहे अधिवक्ता अभी भी अपनी मांग पर अडिग हैं। आक्रोशित अधिवक्ताओं का कहना है कि तहसीलदार के स्थानांतरण की मांग को लेकर गुरुवार से क्रमिक धरना तहसीलदार न्यायालय के समक्ष शुरू किया जायेगा। उधर उप जिलाधिकारी द्वारा जारी पत्र को अस्वीकार करते हुए अधिवक्ताओं ने वार्ता करने से मना कर दिया तो एसडीएम हीरालाल ने भी कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा कि अधिवक्ताओं की गैर कानूनी मांगों को कतई नहीं माना जायेगा। उन्होंने बताया कि तहसीलदार अभी कुछ दिन पूर्व में स्थानांतरित होकर यहाँ आये हैं और दाखिल खारिज संबंधी पत्रावलियों की गहन जांच कर निस्तारित कर रहे हैं जिसे अधिवक्ता अपने मनमाने ढंग से करवाना चाहते हैं जो कि कतई न्यायोचित नहीं है। उन्हें जब वार्ता के लिये बुलाया जाता है तो वह वार्ता करने के बजाय आक्रोशित होकर आन्दोलन करते हैं जो अनुचित है।

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