भागलपुर बिहार से शैलेन्द्र कुमार गुप्ता (यूपी आजतक)
आनंदराम ढांढानिया सरस्वती विद्या मंदिर में त्रि- दिवसीय आचार्य कार्यशाला का उद्घाटन
भागलपुर बिहार 20/3/24*आनंदराम ढांढानिया सरस्वती विद्या मंदिर में त्रि- दिवसीय आचार्य कार्यशाला का उद्घाटन प्रधानाचार्य अनंत कुमार सिन्हा, वरिष्ठ आचार्य अभिनंदन सिंह उमाशंकर एवं आरती झा के द्वारा हुआ । इस तीन दिवसीय आचार्य कार्यशाला में पिछले वर्ष – 2023 के कार्यों की समीक्षा की गई । प्रथम दिवस के वंदना एवं उद्घघाटन सत्र में प्रधानाचार्य श्री अनंत कुमार सिंहा ने आचार्य भारती का गठन, शैक्षिक, सह -शैक्षिक गतिविधियों पर किए गए कार्यों की समीक्षा की ।आगामी सत्र 2024 के लिए शैक्षिक, सह- शैक्षिक योजना की विस्तार से चर्चा की और आगामी योजना को सफल क्रियान्वयन बनाने के लिए सभी आचार्य / दीदी जी के विभागों का बंटवारा किया गया । वर्ष भर के योजना को सफल बनाने के लिए सभी को ईमानदारी पूर्वक कार्य करने की जरुरत है। उद्घघाटन सत्र के द्वितीय सत्र में स्थाई वस्तु पंजी की अद्यतन स्थिति एवं भौतिक सत्यापन पर विस्तार से चर्चा की गई । तृतीय सत्र में विभाग प्रमुख श्री विनोद कुमार ने पंचकोषीय शिक्षा पद्धति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विद्या भारती में सभी आचार्य जी ,दीदी जी को कार्यकत्ता के रूप में काम करने की जरुरत है जिससे की प्रभावी और परिणामकारी शैक्षिक गतिविधि हो सकें। इस सत्र में चमन साह सरस्वती विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य श्री मिथलेश ठाकुर ने सर्वश्रेष्ठ विद्यालय कैसे बने इस पर कार्य करने की जरूरत है इसके लिए सभी आचार्यों को कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है । यह विद्यालय राष्टीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर परचम पहरावे इस तरह काम करने की जरुरत है। इस सत्र में विद्या भारती के क्षेत्रीय संगीत प्रमुख श्री संजीव कुमार पाठक ने मनोमय कोष के विकाश पर प्रकाश डाला और उनहोने कहा कि संगीत शिक्षा से अपनी हिंदूत्व संस्कृति से समाज और राष्ट को जोड़ने की आवश्कता है। इस सत्र में चमन साह सरस्वती विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य श्री मिथलेश ठाकुर ने सर्वश्रेष्ठ विद्यालय कैसे बने इस पर कार्य करने की जरूरत है । इसके लिए सभी आचार्यों को कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है । यह विद्यालय राष्टीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर परचम पहरावे इस तरह काम करने की जरुरत है। इस सत्र में विद्या भारती के क्षेत्रीय संगीत प्रमुख श्री संजीव कुमार पाठक ने मनोमय कोष के विकाश पर प्रकाश डाला और उनहोने कहा कि संगीत शिक्षा से अपनी हिंदूत्व संस्कृति से समाज और राष्ट से जोड़ने की आवश्कता है। मासिक गीत का प्रतिदिन अभ्यास होनी चाहिए । चतुर्थ सत्र में प्रधानाचार्य आनंत कुमार सिन्हा ने सबल और निर्बल पक्षोंं पर विस्तार से चर्चा की । पंचम और अंतिम सत्र में आदर्श कक्षा का संचालन किया गया।
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