सिद्धार्थनगर01दिसम्बर23*रात में चीनी पहुंच रही बाॅर्डर पार, तस्कर कमा रहे दो गुना मुनाफा।
सिद्धार्थनगर। भारत-नेपाल सीमा पर चीनी की तस्करी तेज हो गई है। इसकी वजह यह है कि बाॅर्डर पार होते ही चीनी की कीमत डेढ़ गुनी हो जा रही है। दिन में छोटे छोटे झोले और बोरियों में चीनी बॉर्डर पार की रही है, जबकि रात में बड़े पैमाने में तस्करी हो रही है।
नेपाल में चीनी की मांग बढ़ते ही तस्कर फायदा उठाने लगे हैं, जबकि खाद सहित अन्य सामानों की तस्करी भी हो रही है। बॉर्डर पर हर दिन लाखों का सामान पार हो रहा है।
बाॅर्डर पर तस्करों की जड़ इतनी गहरी हो गई कि नियमों के बीच से ही वे काली कमाई का रास्ता ढूंढ ले रहे हैं। मौजूदा समय मैं सीमा पर चीनी की तस्करी सबसे अधिक हो गई है। तस्कर चीनी बार्डर पार करके मुनाफे का मिठास खा रहे हैं। सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों के मुताबिक एक दिन में 50 क्विंटल से अधिक चीनी अवैध रूप से खेतों और पगडंडियों के रास्ते बाॅर्डर पार हो रहा है। सीमा पार होते ही चीनी के बोरी की कीमत से डेढ़ से दोगुना हो जा रही है। 45-48 रुपये में खरीद होने वाली चीनी नेपाल में 80-90 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रही है।
खुनुवां बाॅर्डर के आसपास के गांवों में मौजूदा समय में किराना की दुकान करने वालों की तादाद बढ़ी है। गुजरौलिया गांव सीमा से सटा हुआ है। पलक झपकते ही व्यक्ति बाॅर्डर पार कर लेता है। क्षेत्र के रहने वाले मुर्तजा मिले। उन्होंने बताया कि बार्डर पर तस्करी खूब चल रही है। दिन में भारतीय बाजार से चीनी, चावल आदि सामग्र्री खरीदकर डंप कर लिया जाता है। रात होते ही खेत का सहारा लेकर सामान बाॅर्डर पार हो जाता है। मौजूदा समय में हर दिन 50 किलो वाली बोरी की 40 बोरी से अधिक चीनी चोरी छिपे नेपाल जा रहा है। आगे बढ़े तो बाॅर्डर की तरफ कुछ बच्चे झोला लेकर जा रहे थे। देखते ही
देखते वह सीमा पार कर गए। वहीं, खुनुवां में एक कारोबारी ने बताया कि एक पिकअप चीनी आती है, जो बोरी और छोटे-छोटे पैकेट में बाॅर्डर पार हो जाती है। नेपाल में चीनी की बड़ी किल्लत है। इसलिए तस्कर अन्य सामान को छोड़कर चीनी पहुंचा रहे हैं। रात के अंधेरे में जैसे ही सुरक्षा एजेंसियों के लोगों की ड्यूटी बदलती है और गश्त वाली टीम आगे बढ़ती है 50 से 100 बोरी खाद सीमा पार हो जाती है। रात में अगर कोई ले जाते वक्त बोल दे तो हमला करने से नहीं चुकेंगे।
वहीं ककरहवा बाॅर्डर क्षेत्र में देखा गया कि नेपाल से भारत में गरम कपड़ा तस्कर ला रहे हैं। भैरहवा और अन्य बाजार से खरीदकर रात के अंधेरे में बाॅर्डर पार कर रहे हैं और यहां मुनाफे पर दुकानदार बेच रहे हैं। सीमा पर बढ़ते हुए तस्करों के नेटवर्क को लोकल थाने और सुरक्षा एजेंसियां नहीं तोड़ पा रही हैं। कमोबेश नेपाल से लगने वाली 68 किलोमीटर सीमा पर तस्करी का यही हाल है। प्रतिदिन लाखों का सामान बार्डर पर हो रहा है।
दबाव बढ़ा तो तस्करों ने सुरक्षाकर्मी पर किया हमला
अलीगढ़वा बाॅर्डर क्षेत्र के एक व्यक्ति ने बताया कि तस्कर इतने मनबढ़ हैं कि अगर कोई बहुत दखल देता है तो उसपर हमला करने से भी नहीं डरते हैं। बीते वर्ष एक सुरक्षाकर्मी ने कई तस्करों पर नकेल कसने की कोशिश की तो रात में ही बाॅर्डर पर उसपर हमला कर दिए और मारपीट कर नेपाल में चले गए। इसलिए आता-जाता हुआ देखने के बाद भी कोई बोलता नहीं है। इसमें कहीं न कहीं इनके ऊपर बड़ा हाथ है, जिसकी वजह से यह बेधड़क तस्करी कर रहे हैं।
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मछली भी पहुंचा रहा नेपाल
अलीगढ़वा, बजहा और बढ़नी क्षेत्र में कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां से तस्कर रात के अंधेरे में पिकअप और अन्य माध्यम से नेपाल में मछली ले जा रहे हैं। कारण लीगल रूप से भारतीय मछली नेपाल में प्रतिबंध है। इसलिए तस्कर चोरी छिपे बड़ी मात्रा में मछली पहुंचा रहे हैं। सीमावर्ती गांव के लोगों के मुताबिक विकासी प्रजाति के मंगुर, ग्रास, कामन मछली की तस्करी अधिक होती है। बॉर्डर पार होते ही मछली की कीमत दोगुनी हो रही है।
बलरामपुर और बहराइच से लाकर नेपाल ले जा रहे बकरा
नेपाल में मीट भारतीय रुपये से 900-1000 रुपये प्रति किलो की दर से बिकता है। नेपाल में खाने का प्रबंध कम होने के कारण बकरी पालन न के बराबर है, लेकिन मांस की मांग अधिक है। इसी की लाभ उठाकर तस्कर बलरामपुर, बहराइच से पिकअप में खरीदकर बकरा लाते हैं। कभी पिकअप से तो कभी चराने के बहाने नेपाल बार्डर पार कर देते हैं। चार माह के भीतर एसएसबी की ओर से 300 से अधिक बकरे पकड़े जा चुके हैं।
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इन सामानों की हो रही है तस्करी
तस्करी होने वाले वस्तुओं को देखा जाए तो यूरिया, डीएपी, गेहूं, चावल, आटा, चीनी, दाल, खेत में डाली जाने वाली जिंक, कीटनाशक, कपड़ा आदि इधर से नेपाल जा रहा है। जबकि नेपाल से चरस, कोकीन, कई ब्रांड के सिगरेट, सोना, चांदी और कास्टमेटिक के सामान आदि भारत में तस्करी के जरिए पहुंच रहा है।
25000 मीट्रिक टन चीनी नेपाल ने रोका
नेपाल के उद्योग वाणिज्य मंत्रालय और आपूर्ति कम गुणवत्ता के कारण रोक की दी गई। मंत्रालय के प्रवक्ता गजेंद्र पाठक की ओर से आए बयान के मुताबिक 25000 मीट्रिक टन चीनी भारत जी टू प्रक्रिया के तहत आयात होना था। गुणवत्ता कम होने के कारण रोक लगा दिया गया था। रोक के कारण चीनी की तस्करी और बढ़ी है।
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भारत और नेपाल में चीनी की कीमत
नेपाल के कारोबारी के अनुसार भारतीय मुद्रा से नेपाल में 80-90 रुपये प्रति किलो भारतीय मुद्रा से चीनी बिक रहा है। नेपाली मुद्रा में 140-150 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। जबकि भारत में मौजूदा समय में 48 रुपये प्रति किलो चीनी बिक रहा है। बोरी में 4500 रुपये है। जबकि एक माह पहले 42-44 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा था।
वर्जन
भारत नेपाल सीमा पर अवैध गतिविधियां रोकने की निरंतर कोशिश की जा रही है। एसएसबी और सिविल पुलिस के जवाब तस्करी पर नियंत्रण का कार्य कर रहे हैं। बॉर्डर पर नियम के अंतर्गत सामान ले जाने वालों को परेशान नहीं किया जाता है, लेकिन तस्करों पर पैनी नजर है।
-अभिषेक अग्रवाल, पुलिस अधीक्षक
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