हमीरपुर22अक्टूबर*मेरा मुख्य उद्देश्य हर नागरिक को पुलिस प्रशासन का सम्मान करना चाहिए-अंकित महाराज
मैं अंकित महाराज मंडल अध्यक्ष चित्रकूट धाम उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय मानव अधिकार संघ भारत मेरा मुख्य उद्देश्य हर नागरिक को पुलिस प्रशासन का सम्मान करना चाहिए एक पुलिस वाले का भी दर्द नंबर 1 की बात अलग है कोई धूप में तपता है दिन भर तो किसी को हर वक्त छांव नसीब है खेर सबकी अपनी-अपनी किस्मत है वैसे हम सब एक परिवार हैं हमारा घर क्या है बैरक है चौकी का केबिन है थाने की दीवार हैं ऑफिस जाने वाले शाम को घर लौट आते हैं दूसरे महकमे बाले संडे घर पर मजे से बिताते हैं वो साल दर साल होलीडे ट्रिप पर बैंकॉक जाते हैं आप एयरपोर्ट जा रहे होते हैं और हम रोड पर आपके लिए ट्राफिक खुलवा रहे होते हैं आप घर पे दिवाली मना रहे होते हैं उस वक्त हम किसी के घर की आग बुझा रहे होते हैं आप सपने सजा रहे होते हैं हम एक और केस की फाइल बना रहे होते हैं और तो और नशे मैं घुत अमीरी का गुरूर लिए वो आते हैं सीधी अपनी कार हम पर चढ़ाते हैं सरकार कहती है शहीद अमर रहे पीछे से बच्चे नौकरी पेंशन रोटी के लिए बिलबिललाते हैं बरसात हो या गर्मी हो या सर्दी हर वक्त तैयार रहती है मेरी खाकी वर्दी ना जाने कब कोई आग लगादे किसी के आशियाने मे ना जाने कब अपराध हो जाए गली मोहल्ले बाजार वीराने में ना जाने कब कोई तोड़ फोड़ शुरू कर दे मै ना हूं तो एक-एक शाख्स को लूटने का जोर शुरू करदे बीआईपी का काफिला हो या हो स्ट्राइक हड़ताल सब कुछ दुरुस्त रखना मुझसे सब की सुरक्षा सब की जांच सब की हड़ताल नेता हो या अभिनेता आम हो या खास सबके साथ सबके पास सबकी लिखूं में रिपोर्ट लिखूं सब की दरख्वास्त चोर डाकू बलात्कारी नशेड़ी जुहारी भिकारी शिकारी सामाजिक बीमारी सबको मुझे कंट्रोल में रखना यह मेरी ड्यूटी फिर भी मैं बेईमान रिश्वतखोर अनारी चालक मौकापरस्त कहलाऊं हाय मेरी किस्मत मेरी फूटी कौनसा महकमा हो जिस के सारे कर्मचारी ईमानदारी से महकते हैं कौनसा वो दफ्तर है जहां चापलूसी और जलन के बर्तन ना खनकते हैं कौन सा महकमा है जहां सिफारिश नहीं आती कौनसा महकमा है जहां नोटों की सिफारिश नहीं आती फिर क्यों पुलिस महकमे ही बदनाम क्यों कहलाए खुराफाती सुनो मेरी डाइट क्या है तुम खाते हो मुर्गा पनीर मैं ट्राफिक में धुआं पीता हूं धूल मिट्टी खाता हूं तुम घर में भी सनस्क्रीन लोशन लगाते हो मैं गर्मी में बदन पर अपना पसीना सजाता हूं तुम पकड़ते हो हाथ बीवी बच्चों का मैं गुनहगारों का हाथ पकड़के उन्हें सलाखों के पीछे ले जाता हूं वह तुम्हें और तुम्हारे बच्चों को ना पकड़ सके इसलिए मैं उन्हें हथकड़ियां भी लगाता हूं थाने में मेरी कुर्सी के पीछे गांधी जी की तस्वीर है पर मेरे पास सब क्रांतिकारी बनकर आने लगे हैं कहता हूं बैठिए इतनी देर में वह फोन पर नेता का नंबर लगाने लगे है कोई किसी नेता की घौस देता है कोई बाहुबली से रिश्तेदारी निकालता है कोई कुर्ता के अंदर चाकू पिस्टल को संभालता है लोग कहते हैं मैं अनारी हूं जोर से बोलता हूं मुझे तमीज नहीं है गुनहगारों को यह बोलूं क्या हेलो भाई साहब आप ठीक हैं ना बताइए क्या सेवा करूं आपकी अगर मेरी जुबां पर भी रूखापन नहीं आयेगा तो गुनहगार आराम से और गुनाह करता चला जायेगा हमारी कीमत बहुत सस्ती बनादी लोगों ने सो ₹200 में हमें खरीदने लगे हैं अब तो सोच बदल दो भाई चालान भी अब डिजिटल पेमेंट से होने लगे हैं ईमानदारो की कमी नहीं मेरे यहां मैं जान पर खेलता हूं मगर तुम्हारी हिफाजत करता हूं तुम सोते हो ऐ सी हीटर में मगर मैं बाहर रात बिताता हूं तुम्हारी पगडी को आंच ना आए इसलिए अपनी टोपी को कस के लगाता हूं कृपया पुलिसकर्मियों के प्रति अपनी सोच बदलिए वह आप की हिफाजत करते हैं इस देश की उन्नति और प्रगति के लिए पुलिस का सहयोग जरूर कीजिए जय हिंद जय भारत
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