August 8, 2025

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सहारनपुर24अप्रैल25 *वार्ड 53 उपचुनाव में विपक्ष का सूपड़ा साफ: क्या सहारनपुर में खत्म हो रही है विपक्ष की सियासत?"*

सहारनपुर24अप्रैल25 *वार्ड 53 उपचुनाव में विपक्ष का सूपड़ा साफ: क्या सहारनपुर में खत्म हो रही है विपक्ष की सियासत?”*

 

सहारनपुर24अप्रैल25 *वार्ड 53 उपचुनाव में विपक्ष का सूपड़ा साफ: क्या सहारनपुर में खत्म हो रही है विपक्ष की सियासत?”*

*सहारनपुर* नगर निगम के वार्ड 53 में हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का प्रत्याशी निर्विरोध जीत गया, और इससे बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है—क्या सहारनपुर में विपक्ष अब दम तोड़ चुका है?
यह उपचुनाव उस वक्त हुआ जब सहारनपुर में विपक्ष के पास ताकतवर चेहरों की कोई कमी नहीं है। समाजवादी पार्टी के पास दो विधायक—देहात से आशु मलिक और बेहट से उमर अली खान, एक एमएलसी शाहनवाज खान, और नगर निगम में खुद के कई पार्षद हैं। वहीं कांग्रेस पार्टी के पास सहारनपुर से सांसद इमरान मसूद, एक सक्रिय जिला अध्यक्ष और नगर अध्यक्ष मौजूद हैं, जो खुद को सशक्त विपक्षी नेता मानते हैं।
इसके बावजूद, वार्ड 53 में न तो समाजवादी पार्टी और न ही कांग्रेस ने कोई प्रत्याशी उतारा। भाजपा प्रत्याशी का निर्विरोध चुना जाना सिर्फ एक चुनावी जीत नहीं, बल्कि विपक्ष की निष्क्रियता और रणनीतिक विफलता को भी उजागर करता है।
नगर विधायक राजीव गुंबर ने भी इस अवसर पर कटाक्ष करते हुए कहा, “विपक्ष सहारनपुर में है ही नहीं। भाजपा के सामने कोई चुनौती नहीं है, इसलिए हमारा निर्विरोध चुना जाना स्वाभाविक था।”
अब सवाल उठता है—क्या समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को इस स्थिति की जानकारी है? क्या कांग्रेस नेता राहुल गांधी को यह बताया गया कि कांग्रेस एक वार्ड तक में उम्मीदवार नहीं उतार पाई? क्या प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और समाजवादी पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने इस गंभीर राजनीतिक संकेत को अनदेखा कर दिया?
स्थानीय स्तर पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस दोनों के जिला अध्यक्षों, नगर अध्यक्षों और पार्षदों ने इस उपचुनाव को हल्के में क्यों लिया? क्या ये सभी भाजपा के सामने आत्मसमर्पण कर चुके हैं?
इस उपचुनाव की स्थिति साफ संकेत देती है कि यदि विपक्ष आज एक वार्ड के चुनाव में भी भागीदारी नहीं कर पा रहा, तो 2027 के विधानसभा चुनावों में ये पार्टियां जनता के सामने किस आधार पर खुद को विकल्प के तौर पर प्रस्तुत करेंगी?

अगर अभी से ये हाल हैं, तो आने वाले वर्षों में विपक्ष की सियासी जमीन और भी खिसक सकती है। यह सिर्फ वार्ड 53 की कहानी नहीं, बल्कि पूरे सहारनपुर में विपक्ष के गिरते मनोबल की बानगी है।

, यह उपचुनाव विपक्ष की राजनीतिक निष्क्रियता की एक बड़ी तस्वीर बनकर उभरा है, और अगर समय रहते विपक्ष ने आत्ममंथन नहीं किया, तो भविष्य में सहारनपुर भाजपा का अजेय गढ़ बन सकता है।

*मनोज मिड्ढा जिला प्रशासन*
*डिस्ट्रिक्ट प्रेस क्लब*

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