लखनऊ26मई2023*उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ से सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ ने लगाई न्याय की गुहार!
अल्प वेतन कर्मचारियों के काटे गए वेतन को वापस दिए जाने की लगाई गुहार!
कार्यवाही ना होने पर संगठन करेगा जोरदार प्रदर्शन!
लखनऊ- खबर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से है जहां सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ ने समस्त प्रांतीय पदाधिकारी/प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य एवं डिपो/क्षेत्र के पदाधिकारीगण से लगाई गुहार!
मित्रों,आप सभी अवगत हैं की हमारा संगठन सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ निगम के हितों एवं कर्मचारियों के हितों के लिए सदैव सक्रिय एवं संघर्षशील रहता है अभी कुछ समय पहले प्रधान प्रबंधक श्रम कल्याण द्वारा संगठन के दूसरे गुट त्रिलोकी व्यास के पक्ष में निर्णय जारी करते हुए हमारे ग्रुप के संबंध में समस्त क्षेत्रीय प्रबंधक सेवा प्रबंधक एवं सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक को पत्र के माध्यम से यह अवगत कराया कि हमारे पत्रों का संज्ञान न लिया जाए और वार्ता ना की जाए यह पत्र सीधे तौर पर माननीय न्यायालय की अवहेलना है जैसा कि आप अवगत हैं माननीय हाई कोर्ट प्रयागराज के द्वारा हमें सिविल सूट में संगठन के प्रकरण को ले जाने और वहीं से इस प्रकरण में न्याय मिलने की बात कही है आप सभी जानते हैं की हमारे संगठन का वाद माननीय सिविल कोर्ट कानपुर नगर में चल रहा है हमारे द्वारा जो रिट दायर की गई उसके अंदर माननीय जज साहब ने उदाहरण स्वरूप माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक आदेश कोड किया है जिसमें यह स्पष्ट है कि यदि सिविल कोर्ट में मामला विचाराधीन है तो रजिस्ट्रार के आदेश प्रभावित नही करेंगे,इसका भी संज्ञान प्रधान प्रबंधक श्रम कल्याण ने नही लिया और संगठन द्वारा लिखित रूप से यह सब दिनांक 06/6/22 को पत्र के माध्यम से अवगत करा किंतु प्रधान प्रबंधक श्रम कल्याण द्वारा हमारे पत्रों का संज्ञान ना लेते हुए और उसमे माननीय उच्च न्यायालय की टिप्पणी को दर किनार करते हुए मनमानी तरीके से दूसरे पक्ष को लाभ देने के उद्देश्य से माननीय न्यायालय की टिप्पणी/आदेश की परवाह किए बिना प्रधान प्रबंधक श्रम कल्याण द्वारा जो पत्र समस्त क्षेत्रीय प्रबंधक,सेवा प्रबंधक और सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक को जारी किया गया है , गलत है और द्वेष भावना से प्रेरित है और सीधे तौर पर देश के संविधान एवं कानून के विपरीत है जिससे कि संगठन के हजारों कर्मचारी प्रभावित हो सकते हैं मेरे द्वारा इस संबंध में पत्र के माध्यम से श्रीमान प्रबंध निदेशक और प्रधान प्रबंधक श्रम कल्याण को अवगत कराया गया कि इस प्रकार की कार्यवाही अनुचित अवैधानिक एवं अन्याय पूर्ण है और एक पक्ष को नाजायज फायदा पहुंचाने की कूट रचित साजिश है जिसे हम नही मानते है क्योंकि इनके कहने से या लिखने से कुछ नही होगा देश में न्यायालय का निर्णय सर्वोच्च एवम् अंतिम निर्णय होता है जब मामला न्यायालय में लंबित है तो अपर श्रमायुक्त कानपुर क्षेत्र का आदेश अंतिम आदेश नही है मित्रों आपको इस चिट्ठी का संज्ञान नहीं लेना है आप सभी संगठनात्मक कार्यवाही में सक्रिय रहते हुए कर्मचारियों की समस्याओं एवं निगम हित में जो भी कार्य संगठनों के होते हैं उनका पूर्णरूपेण पालन करेंगे साथ ही पत्राचार भी करेंगे क्योंकि हम न्यायालय की शरण में हैं और न्यायालय से हमें न्याय मिलेगा हम आशा करते हैं कि आप सभी लोग कर्मचारियों की समस्याओं को निस्तारण कराने के लिए सक्रियता से कार्य करेंगे और जो समस्याएं मुख्यालय स्तर की है हमें प्रेषित करेंगे ताकि उसका निस्तारण कराया जा सके यदि प्रधान प्रबंधक श्रम कल्याण द्वारा अपने पत्र को निरस्त नहीं किया जाताहै तो जो भी विधिक कार्यवाही होगी उसे भी किया जाएगा आप सभी अपने शाखा और क्षेत्रों का कार्य भली-भांति संपन्न करते रहें साथ ही जरूरत होगी तो निगम मुख्यालय पर जबरदस्त प्रदर्शन कर सरकार का ध्यान प्रधान प्रबंधक श्रम कल्याण की अवैधानिक कार्यवाही पर आकर्षित किया जाएगा।* .
रिपोर्ट-अंकुर गुप्ता
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