लखनऊ23अक्टूबर25*उ.प्र. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद द्वारा राष्ट्रपति को आज भेजा गया एक महत्वपूर्ण पत्र —
लखनऊ*विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 47(5) के उल्लंघन पर हस्तक्षेप की मांग कहां उपभोक्ताओं को पोस्टपेड व प्रीपेड का है विकल्प तो उसका क्यों हो रहा है उत्तर प्रदेश में उलझन।
उपभोक्ता परिषद ने महामहिम राष्ट्रपति जी से उठाई मांग कहा लोकसभा द्वारा पारित कानून को माननीय राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद देश में किया जाता है लागू ऐसे में उत्तर प्रदेश में हो रहा है उसका उल्लंघन महामहिम जी का हस्तक्षेप जरूरी।
उपभोक्ता परिषद ने एक बार फिर पावर कारपोरेशन को कानूनी रूप से चेताया कहां प्रदेश व देश के विद्युत उपभोक्ताओं को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) के तहत पोस्टपेड व प्रीपेड मीटर का है विकल्प ऐसे में उन्हें उनके अधिकार से वंचित करने वाले पर कार्यवाही तक जारी रखेगा उपभोक्ता परिषद संघर्ष।
लखनऊ, दिनांक 23अक्टूबर 2025:
उ.प्र. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आज महामहिम भारत की राष्ट्रपति को एक पत्र भेजकर प्रदेश में विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 47(5) के उल्लंघन की ओर ध्यान आकृष्ट कराया है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य श्री अवधेश कुमार वर्मा ने अपने पत्र में कहा है कि यह अधिनियम उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के उद्देश्य से संसद द्वारा पारित किया गया था और इसे महामहिम राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त है। जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश में देश के राष्ट्रीय कानून विद्युत अधिनियम 2003 का खुला उल्लंघन किया जा रहा है उसे पर उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री और उत्तर प्रदेश सरकार चुप है या अपने आप में घोर चिंता का विषय है।
उपभोक्ता परिषद द्वारा विद्युत अधिनियम के उल्लंघन के मामले में महामहिम राष्ट्रपति जी को भेजे गए पत्र की एक प्रति देश के ऊर्जा मंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर व केंद्रीय ऊर्जा सचिव को भी भेजा गया है और उनसे भी पूरे मामले पर अभिलंब कार्यवाही की मांग उठाई गई है
श्री वर्मा ने बताया कि धारा 47(5) के अनुसार प्रत्येक उपभोक्ता को प्रीपेड या पोस्टपेड मीटर में से किसी एक को चुनने का कानूनी अधिकार प्राप्त है। किंतु उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड एवं उसकी वितरण कंपनियाँ इस वैधानिक अधिकार का उल्लंघन कर रही हैं और उपभोक्ताओं को जबरन केवल प्रीपेड मीटर लगाने के लिए बाध्य कर रही हैं।
इसके अतिरिक्त, UPPCL द्वारा उपभोक्ताओं से विभिन्न प्रकार के शुल्क एवं फीस वसूली जा रही है, जिनकी स्वीकृति उत्तर प्रदेश विद्युत विनियामक आयोग से प्राप्त नहीं की गई है। यह न केवल विद्युत अधिनियम, 2003 का उल्लंघन है, बल्कि पारदर्शिता, वैधता और नियामकीय नियंत्रण के संवैधानिक सिद्धांतों के भी विपरीत है।
परिषद ने राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि:
1 पावर कॉरपोरेशन और उसकी वितरण कंपनियों की कार्यप्रणाली की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। किस आधार पर भारत के राष्ट्रीय कानून का उत्तर प्रदेश में घोर उल्लंघन किया जा रहा है
2 राज्य सरकार और विद्युत नियामक आयोग को निर्देशित किया जाए कि वे अधिनियम की पूर्ण अनुपालना सुनिश्चित करें तथा उपभोक्ताओं को प्रीपेड और पोस्टपेड मीटर में से चयन का अधिकार पुनः बहाल करने के लिए आगे आए।
3 जब तक नियामक आयोग से विधिवत स्वीकृति न मिल जाए, तब तक किसी भी प्रकार की अनधिकृत वसूली पर रोक लगाई जाए।
श्री वर्मा ने कहा कि उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा और विद्युत अधिनियम की भावना को अक्षरशः लागू करना समय की आवश्यकता है। परिषद को विश्वास है कि महामहिम राष्ट्रपति जी के हस्तक्षेप से उपभोक्ताओं को न्याय अवश्य मिलेगा।

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