October 15, 2025

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रीवा14अक्टूबर25**₹600 की बेइज़्ज़ती — दिव्यांग दीपक गुप्ता का सवाल, मंत्री जी ज़रा अपने माता-पिता से पूछिए क्या इतने में जीवन चल सकता है?**

रीवा14अक्टूबर25**₹600 की बेइज़्ज़ती — दिव्यांग दीपक गुप्ता का सवाल, मंत्री जी ज़रा अपने माता-पिता से पूछिए क्या इतने में जीवन चल सकता है?**

रीवा14अक्टूबर25**₹600 की बेइज़्ज़ती — दिव्यांग दीपक गुप्ता का सवाल, मंत्री जी ज़रा अपने माता-पिता से पूछिए क्या इतने में जीवन चल सकता है?**

रीवा। दिव्यांग समाज की अनदेखी पर अब सवाल उठाने का साहस दिखाया है मऊगंज के दिव्यांग **दीपक गुप्ता** ने। उन्होंने तीखा सवाल दागते हुए कहा — *“मंत्री जी, ज़रा अपने माता-पिता से पूछिए, क्या ₹600 में कोई इंसान महीनेभर जी सकता है?”* दीपक गुप्ता कहते हैं कि उन्होंने राजनीति की पूरी उठक-पटक देखी है — सत्ता बदली, चेहरे बदले, वादे बदले, लेकिन दिव्यांगों, विधवाओं और वृद्ध माता-पिता की ज़िंदगी कभी नहीं बदली। सरकार चाहे किसी की भी रही हो, इन वर्गों की हालत आज भी वैसी ही है जैसी दशकों पहले थी। वो कहते हैं — *“इतने वर्षों से ना तो किसी सरकार ने दिव्यांगों की सच्ची आवाज़ सुनी, ना ही किसी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने इसे मुद्दा बनाया। टीवी स्टूडियो में देशभक्ति पर बहस होती है, लेकिन किसी दिव्यांग की टूटी बैसाखी, किसी विधवा की सूनी आँखें या किसी वृद्ध के भूखे पेट पर कोई डिबेट नहीं होती।”* दीपक गुप्ता का सवाल सीधा है — *“रीवा ,मऊगंज जिले के विधानसभा में हजारों दिव्यांग, विधवा महिलाएँ और वृद्ध माता-पिता हैं। क्या उपमुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ला जी को कभी यह महसूस हुआ कि ₹600 में कोई इंसान जी नहीं सकता? सभी विधानसभा में यही हालत है इस मुद्दे को आवाज नहीं उठाया! क्या यह मदद है या मज़ाक?”* उन्होंने आगे कहा कि जब सरकार *लाड़ली बहनों* के लिए योजनाएँ चला सकती है, तो दिव्यांगों, विधवाओं और वृद्धजनों के लिए भी एक सशक्त योजना क्यों नहीं बना सकती? आखिर ये भी तो इसी समाज का हिस्सा हैं, जिन्होंने कभी अपने श्रम और संघर्ष से इस प्रदेश को खड़ा किया। दीपक गुप्ता का यह भी कहना है कि यदि पत्रकार भाई — चाहे छोटे पोर्टल से हों या बड़े चैनलों से — एक दिन सिर्फ इन वर्गों की आवाज़ को सचमुच मंच दें, तो सरकार की सच्चाई खुद ब खुद उजागर हो जाएगी। उनका यह सवाल पूरे प्रदेश के लिए आईना है — *“मंत्री जी, कभी अपने माता-पिता से पूछिए, क्या ₹600 में जीवन चल सकता है? अगर नहीं, तो फिर आप दूसरों को इस बेइज़्ज़ती की राशि पर जीने को क्यों मजबूर कर रहे हैं?”* अब यह सवाल सिर्फ दीपक गुप्ता का नहीं रहा — यह सवाल हर उस नागरिक का है, जो भूख, लाचारी और बेरोज़गारी के बीच भी सम्मान से जीना चाहता है। *
🙏 *आइए इसे सभी चैनलों और अधिकारियों तक पहुँचाएँ। अगर आप शेयर करेंगे, तो यह सवाल मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और हमारे विधायकों तक पहुँचेगा।*
*✍️दिव्यांग दीपक गुप्ता✍️*
मोबाइल नंबर- 7566164891

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