January 13, 2025

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राजगढ़20अक्टूबर*पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन को ईद मिला उन नबी के रूप में बड़ी शान ओ शौकत से मनाया गया।*

राजगढ़20अक्टूबर*पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन को ईद मिला उन नबी के रूप में बड़ी शान ओ शौकत से मनाया गया।*

राजगढ़20अक्टूबर*पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन को ईद मिला उन नबी के रूप में बड़ी शान ओ शौकत से मनाया गया।*

*ठाकुर हरपाल सिंह परमार*।

राजगढ़ समाचार,, ईद मिला उन नबी के अवसर पर किया आयोजन , गौरतलब है कि दुनिया भर में मिला उन नबी एक ऐसा त्यौहार है जो इस्लाम के मानने वाले हर व्यक्ति के लिए खास महत्व रखता है इस त्यौहार को ईद ए मिलाद या माल विद के नाम से भी जाना जाता है इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इस्लाम के तीसरे महीने यानी मिलाद उन शुरुआत हो चुकी है . इस माह की 12 तारीख को 571 ई. मैं पैगंबर साहब का जन्म हुआ था इस दिन को दुनिया भर मैं खास तौर पर भारतीय उपमहाद्वीप में बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार 19 अक्टूबर को ईद ए मिलाद उन नबी का त्यौहार मनाया गया इस दिन लोग मोहम्मद साहब के जन्मदिन के मौके पर उनकी याद में जुलूस निकालते हैं जगह-जगह बड़े आयोजन भी किए जाते हैं। पैगंबर मोहम्मद साहब का पूरा नाम पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम था उनकी मां का नाम अमीना बीबी और पिता का नाम अब्दुल्लाह था.फिर पैगंबर साहब ने पवित्र कुरान का संदेश जन-जन तक पहुंचाया। हजरत मोहम्मद साहब का कहना था कि सबसे नेक इंसान वही है जिसमें मानवता होती है।इस्लाम को मानने वाले इस दिन हजरत मोहम्मद के पवित्र वचनों को पढ़ते हैं घरों में वह मस्जिदों में कुरान पढ़ी जाती है ईद मिलादुन्नबी के मौके पर घर और मस्जिद को सजाया जाता है और मोहम्मद साहब के संदेशों को पढ़ा जाता है साथ ही गरीबों में दान भी दिया जाता है.इस्लामिक धर्म के अनुसार मान्यता है कि ईद मिलाद उन नबी के दिन दान और जाकर जरूर करनी चाहिए ऐसे करने से अल्लाह खुश होते हैं, उनकी रहमत नेक बंदो पर हमेशा बरकरार रहती है। इसी प्रकार राजगढ़ नगर के स्थानीय परिसर राजमहल से आरंभ हुआ। चल समारोह मुख्य मार्गो से होता हुआ दरगाह शरीफ पहुंचकर समाप्त हुआ चल समारोह में मौजूद वाहनों में सवार कव्वालो द्वारा पैगंबर साहब की शान में कव्वालियां भी पढ़ी जा रही थी मुख्य बाजार में स्थान स्थान पर पुष्प वर्षा शीतल जल एवं पेयजल आदि पिलाकर स्वागत किया गया। तथा दरगाह शरीफ पहुंचने के बाद बाबा बदख्सनी को चादर पेश की गई एवं कार्यक्रमों का समापन हुआ।

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