March 29, 2024

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भागलपुर26मई2023*एसएम कॉलेज में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में दार्शनिक की भूमिका में दिखे टीएमबीयू के कुलपति

भागलपुर26मई2023*एसएम कॉलेज में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में दार्शनिक की भूमिका में दिखे टीएमबीयू के कुलपति

भागलपुर26मई2023*एसएम कॉलेज में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में दार्शनिक की भूमिका में दिखे टीएमबीयू के कुलपति

एसएम कॉलेज में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में दार्शनिक की भूमिका में दिखे टीएमबीयू के कुलपति प्रो. जवाहर लाल, बीएचयू और पीयू के प्रोफेसर ने भी किया सेमिनार को संबोधित।

मनुष्य परमात्मा की अनुपम भेंट : कुलपति प्रो. जवाहर लाल।

जीवन से संबंधित सारे प्रश्नों का जवाब दर्शन में ही है निहित : प्रो. जवाहर लाल।

ज्ञान और सत्य की खोज करना ही दर्शन है : वीसी।

भागलपुर। भारतीय दर्शन पुराना है। भारतीय दर्शन नैतिकता की सीख देता है। मानव जीवन स्वयं एक दर्शन है। मनुष्य परमात्मा की एक अनुपम भेंट और कृति है। ज्ञान और सत्य की खोज करना ही दर्शन है।
उक्त बातें तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के कुलपति प्रो. जवाहर लाल ने शुक्रवार को एसएम कॉलेज में इंडियन काउंसिल ऑफ फिलोसॉफिकल रिसर्च (आईसीपीआर) के तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित करते हुए बतौर उद्घाटनकर्ता कही।
कुलपति प्रो. जवाहर लाल ने सेमिनार में करीब दो घंटे से भी अधिक अपने संबोधन में धर्म और अध्यात्म के विविध रूपों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा की भारतीय दर्शन तत्व का ज्ञान है। मनुष्य को दुखों से मुक्ति तथा तत्व ज्ञान कराने के लिए ही भारत में दर्शन का जन्म हुआ है। भारतीय दर्शन मुख्यतया दो बातों पर निर्भर है। दुखों से निवृति और तत्व ज्ञान।
उन्होंने हरवंश राय बच्चन की प्रसिद्ध उक्ति – जो बीत गई सो बात गई….की चर्चा करते हुए कहा की इसमें कही गई बातें ही तो दर्शन का मूल आधार है। यही तो जीवन है। यही तो मोह और माया से मुक्ति का माध्यम है। उन्होंने खुद से सवाल करते हुए कहा की मैं क्या हूं, इसी सवाल में दर्शन के बीज निहित हैं।
प्रो. लाल ने कहा की भारतीय दर्शन का समाज पर काफी गहरा प्रभाव पड़ा है। जब सत्य का दर्शन होता है तब शक और संशय दूर होता है। उन्होंने कहा की भारत में सबसे ज्यादा कोर्ट केस में तलाक के मामले होते हैं। ऐसी स्थिति पति और पत्नी के बीच शक और संशय के कारण उत्पन्न होता है। भारतीय दर्शन का किन परिस्थितियों में प्रादुर्भाव हुआ है, इस पर अपनी बात रखते हुए कुलपति ने कहा की ईश्वर सर्वव्यापी हैं। भारतीय दर्शन में प्रकृति को काफी महत्व दिया गया है। यदि मोक्ष की प्राप्ति करनी हो तो माया, मोह और भ्रांतियों से खुद को दूर रखना होगा। मोक्ष के लिए आत्मा का होना बहुत जरूरी है।
अपने अंदर विचार शक्ति को बढ़ाएं। वायु तत्व स्मरण शक्ति का द्योतक है। ईश्वर के प्रति निष्ठा और आस्था रखें।
कुलपति ने कहा की जीवन से संबंधित सारे प्रश्नों का जवाब दर्शन में ही निहित है। भारतीय दर्शन पांच तत्वों को स्वीकार करता है क्षीति, जल, पावक, गगन, समीरा।
कुलपति प्रो. लाल ने कहा की पृथ्वी सहनशीलता का द्योतक है। पृथ्वी माता सभी भार सहन करती है।
वीसी ने कहा की धर्म को परिभाषित करना काफी कठिन है। धर्म में ज्ञानात्मक, भावनात्मक और क्रियात्मक तत्व निहित होते हैं। धर्म व्यक्ति के जीवन को गहराई से प्रभावित करता है। सभी धर्मों के प्रति आदर और निष्ठा का भाव रखें। उन्होंने कहा की मनुष्य को उनके कर्मों के अनुसार स्वर्ग और नरक प्राप्त होता है। धर्म वही है जिसे हम धारण करते हैं। भारतीय धर्म हमें जीवन जीने और कर्तव्य पालन करना सीखाता है। उन्होंने कहा की कर्तव्य ही धर्म है।
कर्म की पूजा होनी चाहिए।
उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों की भी चर्चा की। कुलपति ने कहा की सामाजिक संघर्ष का सबसे बड़ा कारण धर्म है। भारतीय दर्शन भारतीय परम्पराओं पर आधारित है।
कुलपति प्रो. जवाहर लाल ने कहा की सेमिनार का विषय भारतीय समाज पर कितना प्रभावकारी और असरदार है, साथ ही समाज और राष्ट्र निर्माण तथा विकास में कितना कारगर होगा, इस पर सेमिनार में मंथन होना चाहिए। विद्वानों को इन बातों पर चिंतन करनी होगी।
मुख्य अतिथि बीचयू वाराणसी के डिपार्टमेंट ऑफ फिलोसोफी एंड रिलीजिन के पूर्व अध्यक्ष प्रो. डीएन तिवारी ने सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा की ज्ञान की प्रक्रिया जीवन की पाठशाला में ही तय होती है। ज्ञान की दुनिया शब्द की दुनिया है। ज्ञान चेतना का प्रकाश है। जो हम जानते हैं वह केवल एक विचार है। विचार ही शाश्वत हो सकते हैं। हम अपने कल्याण में ही विश्व कल्याण को देखते हैं। दूसरों के कल्याण में अपना कल्याण ढूंढते हैं। दुनिया दो तरह के हैं। एक मानने की दुनिया और दूसरी जानने की दुनिया। जो हम जानते हैं वही ज्ञान है। दरअसल दर्शनशास्त्र एक ज्ञान की विधा है।
हर विचार शब्द पूर्वक होता है। हर ज्ञान वर्तमान में ही होता है। वर्तमान शब्दों से ही निश्चित होता है। उन्होंने कहा की भारतीय दर्शन की अपनी विशिष्ट पहचान है। यह हमें अध्यात्म की ओर ले जाती है।
प्रो. तिवारी ने कहा की तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जवाहर लाल का सेमिनार में व्याख्यान एक सुलझे हुए दार्शनिक की तरह था। एक कॉमर्स के शिक्षक का दर्शन के प्रति गहरा लगाव व समर्पण काफी अतुलनीय, अति सराहनीय और अकल्पनीय है। उन्होंने कुलपति के संबोधन की भूरी-भूरी प्रशंसा की।

इसके पूर्व राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन टीएमबीयू के कुलपति प्रो. जवाहर लाल, बीएचयू वाराणसी के प्रो. डी एन तिवारी, पटना यूनिवर्सिटी के प्रो. एनपी तिवारी, कन्वेनर डॉ नीलम कुमारी आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।
कुलपति सहित अतिथियों का स्वागत अंग वस्त्र, बुके और पौधा भेंट कर किया गया। कॉलेज के म्यूजिक विभाग की छात्राओं ने कुलगीत और स्वागत गान की प्रस्तुति दी।

मंच संचालन डॉ अनुराधा प्रसाद कर रही थी। जबकि धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ सुमित कुमार ने किया। वहीं स्वागत संबोधन माला सिन्हा ने किया।
एनसीसी की कैडेटों ने कुलपति को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। साथ ही कॉलेज के मुख्य द्वार से कार्यक्रम स्थल तक एनसीसी कैडेटों ने पायलेटिंग करते हुए कुलपति को मंच तक ले गईं।
उदघाटन सत्र के बाद दो तकनीकी सत्रों का भी संचालन हुआ। जिसमें कई शोधार्थियों ने अपने प्रेजेंटेशन दिए।
एसएम कॉलेज में कुलपति के आगमन पर उनका स्वागत विश्वविद्यालय पीआरओ डॉ दीपक कुमार दिनकर, कॉमर्स के शिक्षक डॉ राजीव कुमार सिंह, डॉ सुप्रिया शालिनी, डॉ आनंद शंकर आदि ने किया। इस अवसर पर डॉ नीलिमा, डॉ स्वस्तिका दास, डॉ मिहिर मोहन मिश्र सुमन, डॉ पूर्णेन्दु शेखर, एमएम मिश्रा, एनएसएस समन्वयक डॉ राहुल कुमार, डॉ मिथलेश तिवारी, डॉ श्वेता सिंह कोमल, डॉ नाहिद इरफान, डॉ अंजू कुमारी सहित बड़ी संख्या में शिक्षक, शोधार्थी और छात्राएं मौजूद थी।
एसएम कॉलेज में फिलोसोफी डिपार्टमेंट के द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार का उदघाटन करते हुए कुलपति प्रो. जवाहर लाल व अन्य।

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