May 1, 2024

UPAAJTAK

TEZ KHABAR, AAP KI KHABAR

भागलपुर23अक्टूबर23*दुर्गा पूजा : भागलपुर में स्थापित होने वाली इस दुर्गा मां की प्रतिमा के स्वरूप में नहीं होता है बदलाव,

भागलपुर23अक्टूबर23*दुर्गा पूजा : भागलपुर में स्थापित होने वाली इस दुर्गा मां की प्रतिमा के स्वरूप में नहीं होता है बदलाव,

भागलपुर बिहार से शैलेन्द्र कुमार गुप्ता (यूपी आजतक)।

भागलपुर23अक्टूबर23*दुर्गा पूजा : भागलपुर में स्थापित होने वाली इस दुर्गा मां की प्रतिमा के स्वरूप में नहीं होता है बदलाव,।

साढ़े चार सौ वर्षों से स्थापित होती है प्रतिमा।

दुर्गा पूजा : भागलपुर लहेरी टोला दुर्गा मंदिर की प्रतिमा
भागलपुर : श्री श्री 108 प्राचीन दुर्गा मंदिर लहेरी टोला में स्थापित होने वाली मां दुर्गा का काफी महत्व है। दूर दूर से श्रद्धालु यहां मां का दर्शन करने आते हैं। मूर्तिकार गोपाल मंडल प्रतिमा को अंतिम रूप देने की तैयारी में जुटे हैं। उनके साथी कलाकार भी मंदिर की दीवारों के रंग-रोगन में जुटे हुए हैं। चंपानगर निवासी मूर्तिकार गोपाल मंडल ने कहा कि हमारे पूर्वज ही इस मंदिर में प्रतिमा का निर्माण करते थे। अभी मैं इस दायित्व का निर्वाहण कर रहा हूं। मेरे दादाजी स्व. जोधन कारीगर और उनके बाद मेरे पिताजी स्व. राधे श्याम मंडल प्रतिमा निर्माण का कार्य करते थे। लगभग 40-50 वर्षों से मैं प्रतिमा निर्माण कर रहा हूं। प्रत्येक वर्ष प्रतिमा का रंग और स्वरूप एक समान ही रहता है। इसमें तनिक (थोड़ा) भी बदलाव नहीं होता है। सजावट के लिए कलकत्ता से कलाकार बुलाए जाते हैं। गोपाल मंडल ने कहा कि महंगाई के कारण प्रतिमा निर्माण के लागत में वृद्धि हुई है। मूर्तिकारों की पीड़ा ,गोपाल मंडल ने कहा कि मेरे दादाजी प्रतिमा निर्माण का कार्य करते थे। पिताजी ने भी इसी पेशा को स्वीकार किया। उसके बाद मैं तीसरी पीढ़ी के रूप में इस कला से जुड़ा। सीजन में प्रतिमा निर्माण का काम मिलता है। इससे साल भर गुजारा करना मुश्किल है। ऐसे में आम दिनों में मैं घरों के रंग रंगोन का काम करता हूं। मेरा पुत्र मेरे काम में हाथ बंटाता है, लेकिन उसने इसे कैरियर नहीं बनाया। वह बाहर (परदेश) में मेहनत मजदूरी करता है। इस पेशा की सबसे बड़ी चुनौती है कि न तो सालों भर काम मिलता है और न ही कोई प्रोत्साहन।
इतिहास
श्री श्री 108 प्राचीन दुर्गा मंदिर लहेरी टोला के सचिव अर्जुन शर्मा ने कहा कि यहां लगभग साढ़े चार सौ वर्षों से मां की प्रतिमा स्थापित की जाती है। पहले लहेरी समुदाय के लोग ही प्रतिमा की स्थापना और पूजा अर्चना करते थे। यहां लाह और चपड़ा का काम करने वाले लोग बहुत अधिक संख्या में रहते थे। इसी कारण मुहल्ले और मंदिर का नाम लहेरी समुदाय के नाम से जाना जाता है। बाद में प्रतिमा की स्थापना और पूजा अर्चना की जिम्मेवारी समाज के हाथों में आ गई। अब समाज के सभी वर्ग के लोग पूजा अर्चना में बढ़चढ़ कर अपनी भागीदारी निभाते हैं। लगभग 22 से 25 वर्ष पहले मंदिर का जीर्णोद्धार कर उसे वर्तमान स्वरूप दिया गया। मंदिर के जीर्णोद्धार में स्व. रघुनाथ प्रसाद, स्व. भानू प्रसाद गुप्ता, स्व. संजय कुमार गुप्ता, सुरेंद्र मेहता, नीरज गुप्ता, बलराम प्रसाद आदि ने अहम योगदान दिया। मंदिर के अध्यक्ष प्रेम प्रकाश गुप्ता ने कहा कि इस मंदिर की मान्यता शक्तिपीठ की तरह है। यहां जो भी श्रद्धालु सच्चे हृदय से मन्नत मांगते हैं, उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु मां को खोईंछा चढ़ाते हैं। नवरात्र पर यहां 108 कलश की स्थापना की जाती है।
शक्ति की अराधना पर महंगाई का असर
शक्ति की देवी मां दुर्गा की अराधना पर महंगाई का असर है। मंदिर के सचिव अर्जुन शर्मा ने कहा कि बीते वर्ष यहां स्थाई मंदिर है। इसके बावजूद श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पंडाल का निर्माण कराया जाता है। बोले सचिव यहां आने वाले श्रद्धालु की हर मनोकामना पूर्ण होती है। नौंवीं पूजा पर यहां मां को खोईंछा चढ़ाने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं। नवरात्र पर मंदिर में 108 कलश की स्थापना की जाती है।अर्जुन शर्मा, सचिव श्री श्री 108 प्राचीन लहेरी दुर्गा मंदिर पूजा समिति बोले अध्यक्ष नवरात्र पर मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए मंदिर परिसर, पंडाल, प्रवेश द्वार आदि जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाते हैं। दो अग्निशमन यंत्र भी लगाए जाते हैं। मंदिर परिसर में जहां पुलिस जवान मुस्तैद रहते हैं। वहीं, पूजा समिति के स्वयं सेवक भी श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए तत्पर रहते हैं।
प्रेम प्रकाश गुप्ता, अध्यक्ष श्री श्री 108 प्राचीन लहेरी दुर्गा मंदिर पूजा समिति

About The Author