भागलपुर18 मार्च*मैन ऑफ़ टाइम – अंतर्राष्ट्रीय सदभावना मंच के तत्वावधान में 119 वाॅं कार्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन संस्थापक –
महानिदेशक कवि संदीप कपूर वक़्तनाम के कुशल संचालन में दिनांक : 12.03.2023 संध्या 7 बजे किया गया जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय कवि डॉ० जय सिंह आर्य दिल्ली ने किया। मुख्य अतिथि कविवर राजाजी, मलेशिया की गरिमामय उपस्थिति प्रशंसनीय रही। विशिष्ट अतिथि कवि श्रवण सहगल नेहरू युवा केन्द्र भारत सरकार थे।
कार्यक्रम निर्देशक डॉo शुभ कुमार वर्णवाल, कला निर्देशक डॉ० तृप्ति कुमारी सहित सभी आमंत्रित साहित्यकारों का अभिवादन करते हुए संस्थापक – महानिदेशक कवि संदीप कपूर वक़्तनाम ने कहा कि मैन ऑफ़ टाइम – अंतर्राष्ट्रीय सदभावना मंच पर हमें सदभावना और मानवतावादी रचना प्रस्तुत कर अपने साहित्य धर्म का निर्वहन करना है। मंच संचालन करते हुए उन्होंने कहा – “रंग रूप रस राग हो, मन में आस उमंग। जीवन में चलते रहें, राम नाम के संग ।।” डॉ० तृप्ति कुमारी की प्रभु वंदना “तू मंजु गान कर रही, प्रबुद्ध ज्ञान भर रही, तमनाशिनी, तेजसी, माॅं भारती तुझे नमन” डॉ०अनिल ठाकुर “आओ प्यारे बच्चों आओ, इस धरा को स्वर्ग बनाओ” प्रकृति को समर्पित रचना, कवि आनंद मोहन झा, मधुबनी “बसंती ओढ़कर चुनरी बहारें अब नहीं आती”, कवि डाॅ० राज कुमार भारती, दरभंगा “प्रकृति को पढ़ना जिसे आ गया, समझो उसका जीवन जगमगा गया”, मलेशिया से कवि राजाजी ने प्रभु राम को समर्पित रचना अंग्रेजी में प्रस्तुत किया जिसका भावार्थ – “राम से बड़ा ना जग में कोई, ईश्वर एक सृष्टि है जिससे” ख़ूब सराही गई। वरिष्ठ कवि डॉ० जय सिंह आर्य ने अपनी रचना प्रस्तुत किया — “हों मुश्किलों के घूंट जो भी पी ले प्यार से, चार दिन की जिंदगी जी ले प्यार से” जीवन जीने की कला को बयां करती कविता ने सबों को मुग्ध कर दिया। कवि डॉ० शुभ कुमार वर्णवाल “हिन्दू वर्ष का मास प्रथम, चैत मास अति खास” चैत्र मास की विशेषता को प्रस्तुत करती समसामयिक सस्वर रचना गोष्ठी को महत्वपूर्ण बना दिया। कवि-साहित्यकार संदीप कपूर वक़्तनाम ने अपने अंदाज़ में कहा- “वक्त़ को समझो और करो नाम का काम”
कलाईयों में बांध लेते हैं, दीवारों पे टांग देते हैं, यह और बात है कि लोग वक़्त को नाम दे देते हैं”
वक़्त की महत्ता को दर्शाती रचना ने प्रेरणा दिया और सबों को आनंदित किया। डॉ० संजीव शमा झंझारपुर, मधुबनी की कविता “नवल परिधान नव गीत लेकर देख बसंती”, बसंत वर्णन एवं “भेदभाव केँ बिसरू इरखा द्वेष भगाबु” मानवता को समर्पित रचना प्रशंसनीय रही। डॉ० चन्द्र मोहन पोद्दार, दरभंगा “सत्य अहिंसा के दम पर आगे बढ़ते बापू” बापू को समर्पित कविता, कवि कल्याण भारद्वाज, मधुबनी “मानवता के इस आंगन में धरती आज पुकार रही”, गौरीशंकर साह, झंझारपुर, मधुबनी “तुम लिखो बसंत पर मैं लिखता हूँ अपनी पसंद पर” मर्मस्पर्शी रचना, कवयित्री नीति झा नित्यम, पटना से पारंपरिक चैती गीत “बाग में आयलै बहार हो रामा चैत महिनमा” चैत मास में विरहिणी की हाल, डॉ० तृप्ति कुमारी “मौत को मुहताज उसकी मुमताज़” प्रेम को समर्पित रचना प्रशंसनीय रही। गज़लकार गोपाल गुप्ता गोपाल, दिल्ली “कभी दिल में सनम था ठिकाना, ख़ुदाया अब तो बे-घर हो गए हैं ” ख़ूब तालियां बटोरी। कवि अभय भारती की रचना “बासंती डोली पर बैठ आयी है बहार, करने लगी प्रकृति सोलह श्रृंगार” सराही गई। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ० जय सिंह आर्य ने मंच पर प्रस्तुत रचना और रचनाकारों की भूरि-भूरि प्रशंसा की तथा कार्यक्रम की सफलता पर कहा- “आप वीर हो कविता के पर्वत पर चढ़ो, तुम आगे बढ़ो – आगे बढ़ो – आगे बढ़ो” …! अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डॉ० शुभ कुमार वर्णवाल ने कहा कि मैन ऑफ़ टाइम अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में उच्च स्तरीय प्रस्तुति के साथ अपना बहुमूल्य योगदान के लिए सभी कवि/कवयित्रीयों को साधुवाद !
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