April 28, 2024

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प्रयागराज07मई* विधायक हर्षवर्धन वाजपेई प्रभारी मंत्री के सामने ही जमीन पर बैठ गए, पढ़ें खबर और जानें मामला-

प्रयागराज07मई* विधायक हर्षवर्धन वाजपेई प्रभारी मंत्री के सामने ही जमीन पर बैठ गए, पढ़ें खबर और जानें मामला-

प्रयागराज07मई* विधायक हर्षवर्धन वाजपेई प्रभारी मंत्री के सामने ही जमीन पर बैठ गए, पढ़ें खबर और जानें मामला-

प्रयागराज- प्रयागराज आए प्रभारी मंत्री अनिल राजभर ने सर्किट हाउस में समीक्षा बैठक की। इससे पहले उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ भी बैठकें कर उनकी समस्याओं और मुद्दों को जाना। उसके बाद विभागीय अफसरों के साथ समीक्षा बैठक कर शहर के विकास के लिए हुए कार्यों को जानने के साथ आगे की कार्ययोजना भी समझी। इस दौरान एक ऐसा वाकया हुआ कि चर्चा में आ गया।

मंच पर स्‍थान न मिलने से नाखुश थे विधायक हर्षवर्धन वाजपेई :- समीक्षा बैठक में विधायक हर्षवर्धन वाजपेई भी मौजूद थे लेकिन मंच पर स्थान न मिलने से वह नाराज हो गए। प्रभारी मंत्री के सामने ही वह जमीन पर बैठ गए। कहा कि अफसरों के साथ चल रही समीक्षा बैठक में उन्हें अपनी बात कहने का मौका नहीं मिला। इस पर वहां मौजूद अधिकारियों ने जैसे तैसे मनाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं माने। जब प्रभारी मंत्री ने स्वयं उन्हें मनाया और मंच पर चलने का आग्रह किया तो वह जमीन से उठे।

विधायक ने महाकुंभ से पूर्व प्रस्‍तावित पुल निर्माण की मांग की : विधायक हर्षवर्धन वाजपेई ने सलोरी से हेता पट्टी तक प्रस्तावित पुल का निर्माण महाकुंभ से पहले पूरा कराने का आग्रह किया। झलवा में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत तैयार पुष्प निकेतन के फ्लैट का वितरण शुरू कराने की भी मांग रखी। अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में विधायकों से इनपुट न लेने पर शहर उत्तरी विधायक ने नाराजगी भी जताई।

छिवकी रेलवे क्रासिंग का मसला उठा: करछना विधायक पीयूष रंजन निषाद ने छिवकी में रेलवे क्रासिंग का कार्य न पूरा होने का मुद्दा रखा। यह भी कहा कि उनकी विधानसभा का बड़ा भाग बाढ़ प्रभावित है। इसके लिए डीपीएस तक जो बांध बना है, उसे आगे भी बढ़ाया जाए तो लोग बाढ़ से बच सकेंगे।

स्वरूपरानी अस्पताल की अव्यवस्था बताई : भाजपा जिला उपाध्यक्ष विवेक अग्रवाल ने स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल की अव्यवस्था को इंगित किया। कहा कि इस अस्‍पताल में सिटी स्कैन मशीन प्राय: खराब रहती है। एमआरआइ सहित अन्य जांच के लिए मरीजों को महीनों बाद की तारीख दी जाती है। स्ट्रेचर का भी अभाव है। कई बार मरीजों को बाहर से महंगी दवाएं लिखी जाती हैं। बताया कि सरकारी अनुदान का फार्म जिला नगरीय विकास अधिकरण में लंबे समय तक अटका रहता है। किसी तरह एसडीएम तक पहुंचता है तो लेखापाल महीनों फाइल अग्रसारित नहीं करते।

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