पूर्णिया बिहार 30 मई 25*कोई बच्चा लौटना नहीं चाहिए: श्रीमती रचना पाटिल
मोहम्मद इरफान कामिल यूपी आज तक न्यूज़ चैनल पूर्णिया बिहार की रिपोर्ट
“पंद्रह दिवसीय ग्रीष्मकालीन कला जागृति कार्यशाला 2025” का उद्घाटन
पूर्णिया बिहार। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार तथा बिहार ललित कला अकादमी, पटना के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “पंद्रह दिवसीय ग्रीष्मकालीन कला जागृति कार्यशाला 2025” का उद्घाटन समारोह कला दीर्घा, बहुद्देशीय सांस्कृतिक परिसर, भारतीय नृत्य कला मंदिर, फ्रेजर रोड, पटना में उत्साहपूर्वक हुआ।
इस कार्यशाला का उद्देश्य पारंपरिक कलाओं एवं हस्तशिल्प के प्रति जन-जागरूकता उत्पन्न करना तथा युवा प्रतिभाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें संरक्षण, संवर्धन और रचनात्मकता की दिशा में प्रेरित करना है।
कार्यशाला का उद्घाटन श्रीमती रचना पाटिल, भा.प्र.से., निदेशक, पुरातत्व एवं संग्रहालय निदेशालय, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार, श्रीमती रुबी, भा.प्र.से., निदेशक, सांस्कृतिक कार्य, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, सुशांत कुमार सचिव, बिहार ललित कला अकादमी, तथा डॉ. अजय कुमार सिंह जनसंपर्क पदाधिकारी द्वारा द्वीप प्रज्वलन करके किया गया।
उसके बाद मंच पर बिहार ललित कला अकादमी के सचिव सुशांत कुमार के द्वारा सबको पौधा देकर स्वागत किया गया।
परिसर में उपस्थित बच्चों और उनके अभिभावकों को संबोधित करते हुए श्रीमती रचना पाटिल, भा.प्र.से., निदेशक, पुरातत्व एवं संग्रहालय निदेशालय, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार ने कहा की यह ऐसा अवसर है जब बच्चें अपनी रुचि को जानेंगे। यह कार्यशाला बच्चों को बिहार के अमूल्य कला और हस्तशिल्प के विरासत से अवगत कराएगा। हमें अपनी अमूल्य ज्ञान और रचना को अगली पीढ़ी तक पहुंचना है जिसमें यह कार्यशाला महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी। बच्चों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहां कि जब आप लोग 15 दिवसीय कार्यशाला के बाद अपने घर जाएंगे तो उम्मीद है अपने मम्मी-पापा से जिद करेंगे कि आपको इस कला के क्षेत्र में और आगे बढ़ाने में मदद करें। ग्रीष्मकालीन अवकाश में हर अभिभावक के मन में होता है कि बच्चें कुछ अलग सीखे और करे। यह कार्यशाला ऐसे बच्चों के लिए वरदान साबित होगी जिसमें सीखने की चाहत है।
अभिभावकों को भी बच्चों को कुछ नया सीखने के लिए प्रेरित करते रहना चाहिए। समय बहुत तेजी से बदला है और वर्तमान में अपनी पसंद को करियर बनाने में कोई मुश्किल नहीं होती है। इस कार्यशाला के बाद हो सकता है कि वह आप लोगों में से बहुत सारे लोग अपने करियर के रूप में इन विधाओं को चुनें।
अपने वक्तव्य के अंत में उन्होंने विभाग के माननीय मंत्री और सचिव महोदय के नेतृत्व की सराहना की और जोर देकर कहा की इनके देखरेख में विभाग भविष्य में भी ऐसे रचनात्मक कार्य करता रहेगा।
कार्यक्रम के अंत में श्रीमती रुबी, भा.प्र.से., निदेशक, सांस्कृतिक कार्य, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग ने धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने सबकी गरिमामयी उपस्थिति और धैर्य पूर्वक सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। खास करके उन्होंने श्रीमती रचना मैडम के प्रति आभार व्यक्त किया जिनकी एक्टिव इंवॉल्वमेंट के कारण सबको ऊर्जा और प्रेरणा मिलती है।
कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को वेणु शिल्प, मधुबनी पेंटिंग, टिकुली कला एवं टेराकोटा जैसी पारंपरिक कलाओं में विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा।
गौरतलब है कि यह पंद्रह दिवसीय ग्रीष्मकालीन कला जागृति कार्यशाला 2025 कार्यक्रम श्री सुशांत कुमार, सचिव, बिहार ललित कला अकादमी के देखरेख और नेतृत्व में संचालित होगा। उन्होंने जानकारी दी कि लगभग 500 के आसपास प्रतिभागियों के फॉर्म आए थे। जिसमें से हर विधा के लिए 30-30 कैंडिडेट को शॉर्टलिस्ट करके लिया गया है। फिर भी कुछ ऐसे बच्चे भी यहां आए है जिनका पहले आओ, पहले पाओ के तहत नाम शॉर्टलिस्ट नहीं हो पाया है। लेकिन श्रीमती रचना पाटिल मैडम ने निर्देश दिया है की हम सीट बढ़ा कर सबको एडजस्ट करें। ताकि कोई बच्चा मायूस होकर न लौटे। उनके लिए पर्याप्त व्यवस्था की जा रही है। कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को विभाग के तरफ से प्रयोग में आने वाली सारी सामग्री भी निशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही है।
कार्यक्रम में मंच संचालन श्री वीरेंद्र जी के द्वारा किया गया। यह कार्यशाला दिनांक 30.05.2025 से 13.06.2025 तक प्रतिदिन प्रातः 11:00 बजे से अपराह्न 3:30 बजे तक चलेगा।
कार्यक्रम को बड़ी संख्या में उपस्थित बच्चें, अभिभावक और शिक्षकों ने गरिमा प्रदान की।
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