June 25, 2025

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पूर्णिया बिहार 24 जून 25 *अंतरजिला पुरुष शिक्षकों के ट्रांसफर पर इन्तेखाब आलम ने उठाई आवाज*

पूर्णिया बिहार 24 जून 25 *अंतरजिला पुरुष शिक्षकों के ट्रांसफर पर इन्तेखाब आलम ने उठाई आवाज*

पूर्णिया बिहार 24 जून 25 *अंतरजिला पुरुष शिक्षकों के ट्रांसफर पर इन्तेखाब आलम ने उठाई आवाज*

पूर्णिया बिहार से मोहम्मद इरफान कामिल की खास खबर यूपी आज तक न्यूज़ चैनल

पूर्णिया बिहार। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य इन्तेखाब आलम ने बिहार में चल रही शिक्षक स्थानांतरण प्रक्रिया को पूरी तरह से एकतरफा असंवेदनशील और शिक्षकों की ज़मीनी हकीकत से बेख़बर करार दिया है उन्होंने कहा कि सरकार ने जिस तरह से शिक्षकों के ट्रांसफर में गृह पंचायत के मुद्दे को नजरअंदाज़ किया है वह न केवल शिक्षकों के अधिकारों की अवहेलना है बल्कि परिवार और समाज के प्रति उनके दायित्वों को भी नज़रंदाज़ करने जैसा है श्री आलम ने कहा कि सबसे ज़्यादा उपेक्षित वर्ग इस प्रक्रिया में अंतरजिला पुरुष शिक्षक हैं जो सालों से घर परिवार से सैकड़ों किलोमीटर दूर सेवा दे रहे हैं लेकिन सरकार की ट्रांसफर नीति में उन्हें प्राथमिकता देने की बजाय उन्हीं ज़िलों में कार्यरत कुछ शिक्षकों को स्थानांतरित कर दिया गया जो पहले से ही अपने घर के पास तैनात थे उन्होंने कहा कि जब शिक्षक दूरी की नीति के अनुसार तबादला चाहते हैं तो 400 से 500 किलोमीटर दूर सेवा देने वाले शिक्षक पहले क्यों नहीं चुने गए और क्यों उनके आवेदन को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया यह बिहार सरकार के शिक्षा विभाग की उदासीनता और योजनाविहीन रवैये को उजागर करता है इन्तेखाब आलम ने कहा कि जब शिक्षक अपने गृह पंचायत में कार्य करना चाहते हैं तो यह उनका संवैधानिक और नैतिक अधिकार है खासकर उन शिक्षकों के लिए जो वर्षो से परिवार से दूर रहकर बिहार के दूरदराज़ क्षेत्रों में कर्तव्य निभा रहे हैं उनकी अनदेखी कर सरकार ने न केवल उनकी भावना को ठेस पहुंचाई है बल्कि समूची शिक्षा व्यवस्था पर अविश्वास भी उत्पन्न किया है उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शिक्षा मंत्री सुनील कुमार से यह ज़ोरदार मांग की है कि इस त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए और गृह पंचायत तथा अंतरजिला पुरुष शिक्षकों को वरीयता देते हुए नया निर्देश जारी किया जाए अन्यथा कांग्रेस पार्टी और शिक्षक संगठनों के साथ मिलकर प्रदेशव्यापी आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा श्री आलम ने अंत में यह भी कहा कि शिक्षक समाज निर्माता होते हैं और यदि उन्हीं के साथ अन्याय होगा तो बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की बात केवल ढोल पीटने जैसा ही होगा।

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