लालकुआँ ब्रेकिंग-
नैनीताल2अगस्त24*खैर तस्करों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश के बाद भी लापरवाह बना वन विभाग,मामले को दबाने में लगे वन विभाग के अधिकारी,
ज़फ़र अंसारी
वन विभाग के मुखिया ने दिए थे जांच के आदेश,रनसाली रेंज में वनतस्करों ने काटें थे दो दर्जन से अधिक खैर और सागौन के पेड़”वन गुर्जरों ने किया मामले का खुलासा।
लालकुआँ तराई पूर्वी वन प्रभाग हल्द्वानी डिवीजन की रनसाली रेंज के जंगलों से खैर,सागौन की अवैध कटाई रोकने में पूरी तरह से नाकाम हो चुका वन विभाग कार्रवाई के नाम पर भी लापरवाह बना हुआ है।बीते दिनों पूर्व रनसाली रेंज के जंगल से भारी मात्रा में काटे गए खैर,सागौन पेड़ों के मामले में उच्चाधिकारियों द्वारा दिए गए जांच के आदेश के बाद भी विभागीय जांच कछुवा गति से चल रही है। कहें तो उक्त प्रकरण को विभागीय अधिकारी दबाने में लगे हुए है। मामले का खुलासा स्थानीय गुर्जरों द्वारा किया गया जिन्होंने जंगल में तस्करों द्वारा खैर, सागौन के पेड़ों की कटाई को रोकने वन विभाग के उच्च अधिकारियों को शिकायत पत्र देकर कार्रवाई की मांग की थी।लेकिन 15 दिन से अधिक का समय बीत चुका है परन्तु अभी तक विभागीय जांच भी शुरू नहीं हो पाई है जो क्षेत्र में चर्चा का बिषय बना हुआ है। इधर पर्यावरण मित्रों और कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सूबे की धामी सरकारी से उक्त प्रकरण की जल्द से जल्द जांच कराकर मामले में दोषी वन कार्मिकों के खिलाफ ठोस कार्यावाही की मांग की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते 15 दिन पूर्व तराई पूर्वी वन प्रभाग हल्द्वानी डिवीजन की रनसाली रेंज के सरकारी जंगल से भारी संख्या में खैर,सागौन के पेड़ों की अवैध कटाई हुई।तस्करों ने रनसाली रेंज के वन क्षेत्राधिकारी कार्यालय से महज़ 3 किलोमीटर की दूरी पर दो दर्जन से अधिक खैर सागौन के पेड़ों को काट डाला।तस्करों ने वही पर पीस किए और ले गए। मौके पर कटें हुए पेड़ों के कुछ पीस तथा जड़ों के खूठ तस्करों की करतूत की गवाही दे रहे हैं। इतने बड़े पैमाने पर काटें गए तस्करों द्वारा खैर सागौन के पेड़ों की तस्करी को वन विभाग पकड़ नहीं सका। सूत्रों की माने तो यहाँ खेल वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से खेला गया। मामले का खुलासा रनसाली रेंज में रहने वाले वनगुर्जरों द्वारा किया गया जिन्होंने जंगल में तस्करों द्वारा खैर, सागौन के पेड़ों की कटाई को रोकने वन विभाग के उच्च अधिकारियों को शिकायत पत्र देकर कार्रवाई की मांग की थी।गुर्जरों ने वन विभाग को तस्करों द्वारा काटें गए खैर सागौन के पेड़ों की लकड़ी बरामद भी कराई। जिसमें लगभग एक दर्जन से अधिक खैर के गिल्टे वन विभाग की टीम ने जंगल से बरामद किए। मामला मीडिया में आने के बाद प्रदेश में वन विभाग के मुखिया समीर सिन्हा वन्यजीव के पास पहुंचा।जिन्होंने तत्काल एक्शन लेते हुए मामले की जांच कुमाऊँ कंजर्वेशन को दिए। लेकिन उनके आदेश के 10 दिन बीत जाने के बाद भी मामले में जांच शुरू नहीं हो पाई है कहें तो कार्रवाई के नाम पर वन विभाग लापरवाह बना हुआ है या फिर वन विभाग के अधिकारी अपने उच्च अधिकारियों के आदेश को मानने को तैयार नहीं है।सूत्रों की माने तो वन विभाग के अधिकारी मामले को दबाने में लगे हुए हैं।जिसको लेकर बैठकों का दौर जारी है। इधर पर्यावरण मित्रों और कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सूबे की धामी सरकारी से उक्त प्रकरण की जल्द से जल्द जांच कराकर मामले में दोषी वन कार्मिकों के खिलाफ ठोस कार्यावाही की मांग की है। और साथी ही चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही मामले की जांच नही गई तथा दोषी वन कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो काग्रेंस कार्यकर्ता उग्र आंदोलन को बाध्य होगें जिसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।
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