नई दिल्ली01मई25**चुनाव आयोग ने बड़ा कदम उठाया है।
*चुनाव आयोग ने बड़ा कदम उठाया है। पिछले कुछ समय से चुनाव आयोग के ऊपर सवाल उठ रहे थे। खासकर मतदाता सूची को लेकर आयोग को विपक्षी दलों की तरफ से घेरा गया था। फिलहाल चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लिया है और मतदाता सूची की सटीकता में सुधार लाने के उद्देश्य से अहम बदलाव किए हैं। इसके जरिए चुनाव आयोग के मकसद नागरिकों के लिए मतदान प्रक्रिया को अधिक सुविधाजनक बनाना है।*
भारत के चुनाव आयोग ने मतदाता सूचियों की सटीकता में सुधार लाने के लिए 3 बिंदुओं पर फोकस किया है। इन तीन बिंदुओं में मृत्यु पंजीकरण के आंकड़े हासिल करना, बीएलओ को इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्टैंडर्ड आइटेंडिफिनेशन कार्ड जारी करना और मतदाता सूचना पर्चियों को अधिक मतदाता-अनुकूल बनाना शामिल है। ये फैसला भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की ओर से इस साल मार्च में चुनाव आयुक्तों सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी की उपस्थिति में लिया गया।
मृत्यु पंजीकरण डेटा हासिल करेगा आयोग
चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा- ‘आयोग अब मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 9 और जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 (जैसा कि 2023 में संशोधित किया गया है) की धारा 3(5)(बी) के अनुरूप भारत के रजिस्ट्रार जनरल से इलेक्ट्रॉनिक रूप से डेथ रजिस्ट्रेशन डेटा हासिल करेगा। इससे येसुनिश्चित होगा कि निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओएस) को रजिस्टर्ड डेथ के बारे में समय पर जानकारी मिले। इससे बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओएस) को फॉर्म 7 के तहत औपचारिक अनुरोध का इंतजार किए बिना, फील्ड विजिट के जरिए जानकारी को फिर से वैरिफाई करने में भी मदद मिलेगी।’
दूसरा बदलाव चुनाव आयोग ने मतदाता सूचना पर्ची में किया है। मतदाता सूचना पर्चियों (वीआईएस) को मतदाताओं के लिए अधिक अनुकूल बनाने के लिए आयोग ने इसके डिजाइन को संशोधित करने का भी फैसला किया है। मतदाता की सीरियल नंबर और पार्ट नंबर अब अधिक प्रमुखता से दिखाएं जाएंगे, साथ ही फॉन्ट का आकार भी बढ़ाया जाएगा, जिससे मतदाताओं के लिए अपने मतदान केंद्र की पहचान करना और मतदान अधिकारियों के लिए मतदाता सूची में उनके नाम को ढूंढना आसान हो जाएगा।
चुनाव आयोग ने तीसरा कदम बीएलओएस की पहचान को लेकर उठाया है। आयोग ने निर्देश दिया है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 13बी(2) के तहत ईआरओएस की ओर से नियुक्त सभी बीएलओएस को स्टैंडर्ड आइटेंडिफिनेशन कार्ड जारी किए जाएं, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि मतदाता वैरिफेक्शन और रजिस्ट्रेशन के दौरान लोग बीएलओएस (BLOs) को पहचान सकें और उनके साथ आत्मविश्वास से बातचीत कर सकें। आयोग का कहना है कि चुनाव संबंधी कर्तव्यों के कार्यान्वयन (एक्सक्यूशन) में मतदाताओं और ईसीआई के बीच पहले इंटरफेस के रूप में ये महत्वपूर्ण है कि घर-घर जाकर दौरा करने के दौरान बीएलओएस को जनता आसानी से पहचान सके।
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