July 9, 2025

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कौशाम्बी27जुलाई*बिना कार्य कराए निकल गया करोड़ों बीडीओ को नहीं लगी भनक*

कौशाम्बी27जुलाई*बिना कार्य कराए निकल गया करोड़ों बीडीओ को नहीं लगी भनक*

कौशाम्बी27जुलाई*बिना कार्य कराए निकल गया करोड़ों बीडीओ को नहीं लगी भनक*

*भ्रष्टाचार में लिप्त ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव योगी सरकार की छवि कर रहे हैं धूमिल*

*कौशाम्बी* मंझनपुर विकासखंड क्षेत्र में भ्रष्टाचार चरम पर पनप रहा है ग्राम पंचायतों में बड़ी धांधली के बाद भी खंड विकास अधिकारी मंझनपुर को भनक नहीं लग रही है बिना कार्य कराए पंचायत सचिव और ग्राम प्रधान सरकारी खाते से रकम निकाल रहे हैं कई ग्राम पंचायतों में धांधली की आला अधिकारियों से शिकायत हुई लेकिन कार्यवाही के नाम पर नतीजा शून्य रहा

मंझनपुर विकासखंड क्षेत्र में गजब तो तब हो गया जब पूरे विकासखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायतों के विकास करने के लिए शासन से मिली रकम का पांचवा हिस्सा 50 लाख रुपए से ऊपर की रकम अकेले एदिल पुर ग्राम पंचायत को दे दिया गया है जिससे अन्य ग्राम पंचायतों को विकास की रकम नहीं मिल सकी आखिर अन्य ग्राम पंचायतों के साथ खंड विकास अधिकारी ने पक्षपात क्यों किया है ग्राम पंचायत एदिल पुर में सामग्री खरीद के नाम पर 50 लाख रुपए से अधिक की रकम मिलने के बाद आधे अधूरे कार्य कराए गए हैं योजना के कार्य कराए जाने के नाम पर मनरेगा योजना से फर्जी मजदूरों के नाम दर्ज करके लगभग 50 लाख रुपए की रकम मजदूरों के नाम निकाल लिए जाने का भी आरोप ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों पर ग्रामीणों ने लगाया है एदिल पुर गांव का विकास कराए जाने के नाम पर मनरेगा योजना से करोड़ों की रकम इस वित्तीय वर्ष में निकल गई है लेकिन गांव में विकास कार्य आधे अधूरे हुए हैं पंचायत सचिव से लेकर ग्राम प्रधान की भूमिका सवालों के घेरे में है बिना कार्य कराए करोड़ों की रकम निकाल दिए जाने के मामले में खंड विकास अधिकारी मंझनपुर को भनक नहीं लगी है जिससे करोड़ों की रकम के भ्रष्टाचार में उनकी संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता करोड़ों रुपए की हेराफेरी के मामले में ग्रामीणों ने अधिकारियों से शिकायत की जांच मनरेगा उपायुक्त को सौंपी गई लेकिन उपायुक्त ने डीएम के आदेश का पालन करने के बजाय दोषी खंड विकास अधिकारी मंझनपुर को जांच सौंप दिया है इस संबंध में मनरेगा उपायुक्त से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन कार्यालय में मौजूद ना होने से बात नहीं हो सकी अब सवाल उठता है कि करोड़ों की रकम में हेरा फेरी की साजिश में शामिल लोगों से जांच कराई जाएगी तो कैसे सरकारी खजाना सुरक्षित रहेगा दोषी बीडीओ को जांच सौंपने के बाद इस मामले में मनरेगा उपायुक्त की भी भूमिका सवालों के घेरे में कैद हो गयी है

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