May 20, 2024

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कौशाम्बी07मई*नैनो यूरिया की गुणवत्ता उपयोग दक्षता एवं जलवायु संरक्षण पर गोष्ठी आयोजित*

कौशाम्बी07मई*नैनो यूरिया की गुणवत्ता उपयोग दक्षता एवं जलवायु संरक्षण पर गोष्ठी आयोजित*

कौशाम्बी07मई*नैनो यूरिया की गुणवत्ता उपयोग दक्षता एवं जलवायु संरक्षण पर गोष्ठी आयोजित*

*कौशाम्बी* विकास खण्ड कौशामबी के सभागार मैं नैनो यूरिया की गुणवत्ता उसके उपयोग दक्षता एवं जलवायु संरक्षण में अहम भूमिका पर बृहद विचार व्यक्त किया गया। गोष्ठी में विचार व्यक्त करने वालो में इफको के प्रबंधक वाई पी सिंह कृषि वैज्ञानिक बी के सिंह सहायक विकास अधिकारी राजेश कुमार मौर्य एवं अन्य लोग मौजूद रहे

इस मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि इफको नैनो यूरिया (तरल) दुनिया का पहला नैनो उर्वरक है जिसे भारत सरकार के उर्वरक नियंत्रण आदेश (एफसीओ, 1985) द्वारा अधिसूचित किया गया है। नैनो यूरिया में 4.0% कुल नाइट्रोजन (भार /आयतन ) होता है। नैनो नाइट्रोजन कण का आकार 20-50 नैनो मी. तक होता है। ये कण समान रूप से पानी में बिखरे हुए हैं। नैनो यूरिया अपने छोटे आकार (20-50 नैनो मी.) और उच्च उपयोग दक्षता (> 80%) के कारण पौधों को उपलब्ध होने वाले नाइट्रोजन की मात्रा में वृद्धि करता है महत्वपूर्ण विकास चरणों में जब पौधों की पत्तियों पर छिड़काव किया जाता है, तो यह रंध्रों और अन्य छिद्रों के माध्यम से प्रवेश करता है और पौधे की कोशिकाओं द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। पौधे में जहां कहीं भी इसकी आवश्यकता होती है फ्लोएम परिवहन के माध्यम से वितरित हो जाता है। उपयोग के बाद बचे हुए नाइट्रोजन पौधे की रिक्तिका में संग्रहित हो जाते हैं और पौधे की उचित वृद्धि और विकास के लिए धीरे-धीरे उपयोग में आते हैं।

वक्ताओं ने कहा कि एक लीटर पानी में 2-4 मिली नैनो यूरिया (4% N) मिलाकर फसल के सक्रिय वृद्धि के चरणों में पत्तों पर छिड़काव करें। सर्वोत्तम परिणामों के लिए पर्णीय छिड़काव 2 बार करें पहला छिड़काव: टहनियों/शाखाओं के बनने की सक्रिय अवस्था में (अंकुरण के 30-35 दिन बाद या रोपाई के 20-25 दिन बाद) और दूसरा छिड़काव: पहले छिड़काव के 20-25 दिन बाद या फसल में फूल आने से पहले किया जाए

डीएपी या जटिल उर्वरकों के माध्यम से दी जाने वाली बुनियादी नाइट्रोजन को बंद न करें केवल 2-3 भागों में उपयोग किये जाने वाले पारंपरिक यूरिया के उपयोग को बंद करें नैनो यूरिया के छिड़काव की संख्या फसल, इसकी अवधि और समग्र नाइट्रोजन आवश्यकता के आधार पर हटाई बढ़ाई जा सकती है नैनो यूरिया को आसानी से अधिकांश 100% जल विलेय उर्वरकों, जैव उत्तेजकों या कीटनाशकों के साथ उपयोग किया जा सकता है; लेकिन मिश्रण और छिड़काव से पहले हमेशा जार परीक्षण किया जाना चाहिए।

उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि एक लीटर पानी में 2-4 मिली नैनो यूरिया (4% N) मिलाकर फसल के सक्रिय वृद्धि के चरणों में पत्तों पर छिड़काव करें।सर्वोत्तम परिणामों के लिए पर्णीय छिड़काव 2 बार करें।पहला छिड़काव टहनियों/शाखाओं के बनने की सक्रिय अवस्था में (अंकुरण के 30-35 दिन बाद या रोपाई के 20-25 दिन बाद करे इफको नैनो यूरिया नैनो तकनीक आधारित क्रांतिकारी कृषि आदान है जो पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करता है। नैनो यूरिया किसानों के लिए स्मार्ट कृषि और जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने का एक स्थायी विकल्प है। ये उर्वरक के रूप में पौधों की पोषक तत्वों की आवश्यकता को पूरा करते हैं क्योंकि नैनो यूरिया पौधों के लिए जैव उपलब्ध है क्योंकि इसके वांछनीय कण आकार लगभग 20-50 नैनो मीटर और अधिक सतह क्षेत्र (1 मिमी दानेदार यूरिया से 10,000 गुना अधिक) और कणों की संख्या ( 1 मिमी दानेदार यूरिया पर 55,000 नाइट्रोजन कण अधिक) हैं। इसलिए, फसलों के लिए नैनो यूरिया की उपलब्धता 80% से अधिक बढ़ जाती है जिसके परिणामस्वरूप पोषक तत्व उपयोग दक्षता उच्च हो जाती है। इसके अलावा, नैनो यूरिया लीचिंग और गैसीय उत्सर्जन को कम करके कृषि क्षेत्रों में होने वाले पोषक तत्वों के नुकसान को कम करने में मदद कर रहा है और पर्यावरण को बेहतर बना रहा है। बता दें की लीचिंग और गैसीय उत्सर्जन पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन का बड़ा कारण है जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में किसानों का मददगार सटीक और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने वाला नैनो यूरिया 4 R पोषक तत्व प्रबंधन का एक संभाव्य घटक है। यह स्वच्छ और हरित प्रौद्योगिकी को भी बढ़ावा देता है क्योंकि इसके औद्योगिक उत्पादन ना तो ऊर्जा का गहन करते हैं और ना ही यह संसाधन की खपत करता है। इसके अलावा, नैनो यूरिया लीचिंग और गैसीय उत्सर्जन को कम कर कृषि क्षेत्रों में होने वाले पोषक तत्वों के नुकसान को कम करने में मदद कर रहा है और पर्यावरण को बेहतर बना रहा है। ज्ञात हो कि लीचिंग और गैसीय उत्सर्जन पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन का बड़ा कारण है।

*इफको नैनो यूरिया के लाभ – उच्च पैदावार*

*कौशाम्बी* छोटे आकार और आयतन अनुपात में अधिक पृष्ठ क्षेत्रफल के कारण, इफको नैनो यूरिया कण फसलों के लिए आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।
पत्तियों में क्लोरोफिल और प्रकाश संश्लेषण में वृद्धि एवं जड़ बायोमास में और टहनियों/शाखाओं आदि की संख्या में प्रभावी वृद्धि के कारण पैदावार उच्च होती है।वर्ष 2019-20 के दौरान पूरे भारत में किए गए 11,000 क्षेत्र परीक्षणों के अनुसार औसत उपज में 8% तक की वृद्धि दर्ज की गई है।
किसानों की आय में वृद्धि ​ ​ ​
इफको नैनो यूरिया के कारण किसानों की आय में वृद्धि हुई है। कारण है-

*आदान लागत में कमी उच्च पैदावार*

*कौशाम्बी* फसल उपज की बेहतर गुणवत्ता किसान क्षेत्र परीक्षण के अनुसार 2000 रुपये प्रति एकड़ की औसत आय में वृद्धि दर्ज की गई है।
भोजन की बेहतर गुणवत्ता​ ​​ ​ ​
इफको नैनो यूरिया के उपयोग से उपजी फसलें उपभोग के लिए सुरक्षित हैं प्रोटीन और पोषक तत्वों की दृष्टि से काटी गई उपज की पोषाहार गुणवत्ता बेहतर होती है रासायनिक उर्वरक उपयोग में कमी​​ इफको नैनो यूरिया यूरिया जैसे थोक नाइट्रोजन उर्वरकों के उपयोग को युक्तिसंगत बनाता है फसल विकास के महत्वपूर्ण चरणों में इफको नैनो यूरिया का पर्णीय उपयोग नाइट्रोजन की आवश्यकता को प्रभावी ढंग से पूरा करता है इफको नैनो यूरिया की एक बोतल (500 मिली) की बढ़ी हुई उपयोग क्षमता संभावित रूप से पारंपरिक यूरिया के कम से कम 1 बैग की जगह ले सकती है।

*पर्यावरण हितैषी है नैनो*

*कौशाम्बी* इफको नैनो यूरिया के उपयोग से टिकाऊ कृषि और पर्यावरण सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है इफको नैनो यूरिया का उत्पादन ऊर्जा और संसाधन के अनुकूल है यह पारंपरिक यूरिया के अतिरिक्त उपयोग और वाष्पीकरण के साथ-साथ लीचिंग और रिसाव से होने वाले नुकसान को कम करता है भंडारण और परिवहन करने में आसान​ है इफको नैनो यूरिया की आवश्यकता यूरिया जैसे भारी नाइट्रोजन वाले उर्वरकों की तुलना में कम मात्रा में होती है। परिवहन और भंडारण लागत के संदर्भ में इसका महत्वपूर्ण सापेक्ष प्रभाव पड़ता है यूरिया की भारी बोरियों के मुकाबले किसान आसानी से नैनो यूरिया की बोतलें ढो सकते हैं इसके पीछे का विज्ञान है नैनो यूरिया (तरल) में 4% नैनोस्केल नाइट्रोजन कण होते हैं पारंपरिक यूरिया की प्रति इकाई क्षेत्रफल की तुलना में नैनोस्केल नाइट्रोजन कणों का आकार छोटा (30-5 नैनो मी); अधिक पृष्ठ क्षेत्रफल और कणों की संख्या अधिक होती है।

ऐसे उत्पाद बनाना, जो मायने रखते हैं फसल पर प्रभाव और उपयोग दक्षता में सुधार करके पारंपरिक रासायनिक उर्वरकों/कृषि रसायनों के उपयोग में कमी करना है जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने में तकनीकी योगदान है खाद्य, ऊर्जा, जल और पर्यावरण के संबंध में वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों का समाधान है नैनो यूरिया का औद्योगिक उत्पादन न तो अत्यधिक ऊर्जा खपत, न ही संसाधन खपत वाला है इसलिए पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करता है।

 

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