December 27, 2024

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कानपुर नगर25नवम्बर24*संस्थान की नैनो ब्रूअरी में मिलेट से पोषक बीयर बनाने की प्रक्रिया का अवलोकन किया गया।

कानपुर नगर25नवम्बर24*संस्थान की नैनो ब्रूअरी में मिलेट से पोषक बीयर बनाने की प्रक्रिया का अवलोकन किया गया।

कानपुर नगर25नवम्बर24*संस्थान की नैनो ब्रूअरी में मिलेट से पोषक बीयर बनाने की प्रक्रिया का अवलोकन किया गया।

राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर में दि. 25.11.24 को आईआईएमआर, हैदराबाद की निदेशक डॉ. तारा सत्यवती एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. उमाकांत ने संस्थान की निदेशक प्रो. सीमा परोहा के साथ संस्थान की नैनो ब्रूअरी में मिलेट से पोषक बीयर बनाने की प्रक्रिया का अवलोकन किया।
बियर माल्टेड बार्ले (माल्ट), हॉप्स, यीस्ट और पानी से बना अल्कोहलिक पेय पदार्थ है। बीयर की किस्मों के उदाहरणों में एले, ब्राउन बीयर, वीस बीयर, पिल्सनर, लेगर बीयर, औड ब्रुइन बीयर, ओबरगैरिज इनफैचबियर, लाइट बीयर, टेबल बीयर, माल्ट लिकर, पोर्टर, स्टाउट और जौ वाइन शामिल हैं। हाल के दिनों में, क्रॉफ्ट बीयर उद्योग ने गति पकड़ी है और कई बीयर किस्में सामने आई हैं। बीयर की प्रकृति वास्तव में अंतरराष्ट्रीय ही है, शायद इसलिए क्योंकि यह संभवतः सबसे पुराना अल्कोहलिक पेय है। चीनी युक्त कोई भी पदार्थ स्वाभाविक रूप से अल्कोहल फर्मन्टेशन से गुजर सकता है। पूरी दुनिया में 100 से अधिक बियर किस्मों का उत्पादन किया जाता है, जिसमें पिल्सनर से लेकर लेगर और गेहूं की बियर, साथ ही गैर-अल्कोहल वाली किस्में शामिल हैं। किस्मों में अंतर कच्चे माल के सावधानीपूर्वक चयन और पेय बनाने की प्रक्रिया की विविधताओं के आधार पर होता है। चयनित कच्चे माल और बियर की सामग्री को विशेष विनिर्माण विधियों द्वारा विशिष्टता प्रदान की जा सकती है।
संस्थान की निदेशक प्रो. सीमा परोहा ने बताया कि राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर भारतीय मिलेट की किस्मों से बीयर बनाने का प्रयास करने के लिए उत्साहित है। इसके लिए राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर, ने भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के साथ मिलकर इसे आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। संस्थान शुरुआती तौर पर सफेद सॉरगम, लाल सॉरगम, पर्ल मिलेट, फिंगर मिलेट और बार्नयार्ड का उपयोग करके बीयर बनाने की कोशिश कर रहा है। शोध परीक्षण, बिना स्वाद से समझौता किए माल्टेड बार्ले सहित अनमाल्टेड मिलेट के साथ किए जाएंगे । उत्तरी अमेरिका में ग्लूटेन-मुक्त बीयर पीने वालों के लिए माल्टेड मिलेट के साथ ब्रूइंग की अवधारणा पहले से ही आगे बढ़ रही थी। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर एक सहायक पदार्थ के रूप में अनमाल्टेड मिलेट का उपयोग करने का प्रयास कर रहा है।
बियर में चार आवश्यक तत्व होते हैं – माल्टेड बार्ले, पानी, खमीर और हॉप्स – जिनमें से हर एक की ब्रूइंग की प्रकिया में महत्वपूर्ण भूमिका है और यदि उनमें से किसी एक को भी हटाया जाता है तो उससे बियर नहीं बनेगी। बियर उत्पादन में, सहायक पदार्थ जोड़े जा सकते हैं। सहायक पदार्थ उन विशेषताओं को बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं जो चार आवश्यक तत्व बियर को प्रदान करते हैं। इन्हें ब्रूइंग प्रक्रिया के दौरान किसी भी समय जोड़ा जा सकता है, वॉर्ट से लेकर फर्मन्टेशन तक या बोतलबंद करने से ठीक पहले और एक बड़े टीबैग के समान टैंक में पूरा या डाला हुआ छोड़ दिया जा सकता है। कुछ सहायक पदार्थ वॉर्ट में चीनी की वास्तविक मात्रा को बढ़ाते हैं और कुछ बीयर में एक अनूठा स्वाद या सुगंध जोड़ते हैं या बीयर के फर्मन्टेशन के तरीके को बदलते हैं। बीयर के कई प्रकार सहायक पदार्थों पर निर्भर करते हैं। पेय बनाने वाले (ब्रूअर) अक्सर बिना माल्ट वाले जौ, मक्का, चावल, राई और गेहूं का प्रयोग सहायक के रूप में करते हैं। कुछ ब्रूअर कसावा और दलिया जैसे अन्य अनाज का भी प्रयोग सहायक के रूप में करते हैं। अल्कोहलिक पेय पदार्थों के उत्पादन के लिए मिलेट का प्रयोग लाभकारी है क्योंकि यह स्वस्थ और ग्लूटेन-मुक्त होता है। अपने कच्चे रूप में, बाजरा (मिलेट) आहार फाइबर और पॉलीफेनोल से भरपूर होता है। मिलेट के पेय पदार्थों की उपभोक्ताओं के बीच अपेक्षाकृत कम लोकप्रियता होती है, इसलिए उपभोक्ताओं की अपेक्षाओं को पूरा करने हेतु निरंतर बाजार विकास के लिए नए उत्पादों को विकसित करने की आवश्यकता होती है।
मिलेट से बने पेय पदार्थों की स्वीकार्यता तब काफी बढ़ जाती है जब इन्हें विभिन्न स्वादों में पेश किया जाता है और इस तरह इनकी चाह भी बढ़ जाती है। चूँकि भारतीय मिलेट में कैल्शियम, आयरन आदि जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं, इसलिए इस शोध का उद्देश्य बीयर में बाजरे के पोषक तत्वों को समाहित किए जाने की संभावना को बढ़ावा देना है। इसमें स्वास्थ्य संबंधी फायदों के अलावा, भारत में बाजरे की आपूर्ति श्रृंखला को स्थानीय बनाने की भी गुंजाइश है। आज, क्राफ्ट बीयर बनाने के लिए प्रयोग होने वाले अनाज का ज़्यादातर हिस्सा आयात किया जाता है। हम जितना ज़्यादा मिलेट इस्तेमाल करेंगे, उतना ही ज़्यादा हम भारत से अनाज प्राप्त कर पाएँगे और यथासंभव स्थानीय स्तर पर उत्पादन की ओर बढ़ पाएंगे।
संस्थान की निदेशक प्रो. सीमा परोहा ने कहा कि संस्थान, प्रधानमंत्री की मिलेट को बढ़ावा देने की योजना के प्रति संकल्पबद्ध है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि निसंदेह, इस मिलेट आधारित बीयर परियोजना को राष्ट्रीय शर्करा कानपुर के साथ-साथ आईआईएमआर, हैदराबाद और एडवांटा एंटरप्राइजेज, हैदराबाद जैसे उनके सहयोगियों द्वारा भारत में आगे बढ़ाए जाते हुए सफलतापूर्वक अगले स्तर पर ले जाया जाएगा।

(अखिलेश कुमार पांडेय)
मुख्य अभिकल्पक
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर

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