कानपुर नगर 22 मार्च*संचारी रोग नियंत्रण हेतु दिनांक 01 अप्रैल से 30 अप्रैल, 2023 तक संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया जा रहा है।
*कानपुर नगर, दिनांक 22 मार्च, 2023 (सू0वि0)*
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने प्रिय किसान भाइयों एवं बहनों को बताया है कि उ0प्र0 सरकार द्वारा संचारी रोग नियंत्रण हेतु दिनांक 01 अप्रैल से 30 अप्रैल, 2023 तक संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया जा रहा है। जिसके क्रम में प्रत्येक ग्राम पंचायत में कृषि विभाग के ग्राम स्तरीय कार्मिकों द्वारा कृषकों को प्रतिदिन जानकारी दी जायेगी। इस अभियान में कृषि विभाग (कृषि रक्षा अनुभाग) द्वारा चूहा एवं छछूंदर नियंत्रण हेतु जन जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाना है, कतिपय संचारी रोग चूहा एवं छछूंदर द्वारा भी फैलतें है। निम्न उपाय अपनाकर चूहों का नियंत्रण किया जा सकता है-
1- चूहो की संख्या को नियंत्रित करने के लिए अन्न भण्डारण पक्की, कंकरीट, तथा धातु से बने पात्रो में करना चाहिए ताकि उनको भोज्य पदार्थ सुगमता से उपलब्ध न हो सके।
2- चूहे अपना बिल, झाडियो, कूडों एवं मेडो आदि में स्थायी रूप से बनाते है खेतों का समय-समय पर निरीक्षण एवं साफ-सफाई करके इनकी संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
3- चूहो के प्राकृतिक शत्रुओं बिल्ली, सांप, उल्लू, लोमडी, बाज एवं चमगादड आदि द्वारा चूहों को भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इनको संरक्षण देने से चूहो की संख्या नियंत्रित हो सकती है।
4- चूहेदानी का प्रयोग करके उसमे चूहों के लिए चारा जैसे-रोटी, डबलरोटी, बिस्कुट आदि रखकर चूहो को फंसा कर आबादी से दूर छोड़ने अथवा मार देने से इनकी संख्या नियंत्रित की जा सकती है।
5- घरों में चूहामार ब्रोयोडियोलान 0.005 प्रतिशत के बने चारे की 10 ग्राम मात्रा प्रत्येक जिन्दा बिल में रखने से चूहे उसको खाकर मर जाते है।
6- दवा एल्यूमीनियम फास्फाइड दवा की 3-4 ग्राम मात्रा प्रति जिन्दा बिल में डालकर (जिससे चूहे के रहने की संम्भवना हो) बिल बन्द कर देने से उससे निकलने वाली फास्फीन गैस से चूहे मर जाते हैं।
*चूहा एवं छछूंदर बहुत चालाक प्राणी है, इसको ध्यान में रखते हुए छः दिवसीय योजना बनाकर इनको नियंत्रित किया जा सकता हैः-*
*प्रथम दिन-* आवासीय घरो एवं आसपास के क्षेत्रों का निरीक्षण एवं बिलों को बन्द करते हुए चिन्हित करे।
*दूसरे दिन-* निरीक्षण कर जो बिल बन्द हो वहां चिन्ह मिटा दे, जहां पर बिल खुले पाये वहां चिन्ह रहने दे। खुले बिल में एक भाग सरसो का तेल एवं 48 भाग भुने दाने का चारा बिना जहर मिलाये बिल में रखें।
*तीसरे दिन-* बिलो का निरीक्षण कर बिना जहर का चारा पुनः रखे।
*चौथे दिन-* चूहामार दवा जिंक फास्फाइड 80 प्रतिशत की 1 ग्राम मात्रा को 1.0 ग्राम सरसों का तेल एवं 48 ग्राम भुने दाने में बनाये गये चारे को बिल में रखे। रसायन मिलाते समय हाथों में पालीथीन/प्लॉस्टिक के दस्ताने इत्यादि पहन ले जिससे वह त्वचा के सीधे सम्पर्क में न आए।
*पांचवे दिन-* बिलों का निरीक्षण करे एवं मरे हुए चूहों को एकत्रकर आबादी से दूर जमीन में गहरा गढ्ढा कर गाड दे।
*छठवें दिन-* बिलों को पुनः बन्द करे तथा अगले दिन यदि बिल खुले पाये जाये तो उपरोक्त कार्यक्रम पुनः अपनाये।
*चूहे एवं छदूंदर से फैलने वाले रोग-* तीव्र इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome-AES) वाले बहुत से रोगियां में स्क्रब टाइफस होता है। पिस्सुओं के काटने से होने वाली इस बीमारी में भी डेंगू की तरह प्लेटलेट्स की संख्या में कमी आती है। चूहे और छछूंदर के ऊपर पाये जाने वाले पिस्सु या चिगर्स संपर्क में आने से यह बीमारी फैलती है। चिगर्स या पिस्सु के संपर्क में आने वाले व्यक्ति को बुखार के साथ खुजली होने लगती है। बीमारी फैलने से रोकने हेतु चूहा एवं छछूंदर का नियंत्रण किया जाना आवश्यक है, तथा मरे हुए चूहों को आबादी से दूर जमीन में गहरे गढ्ढे में गाड़ देना चाहिए।
*चूहा नियंत्रण के दौरान बरती जाने वाली सावधानियाँ:-*
चूहा नियंत्रण रसायनों का प्रयोग करते समय हाथ में दस्ताने पहनें, रसायनों को बच्चों एवं जानवरों की पहुँच से दूर रखें, मरे हुए चूहों का घर से बाहर सावधानी पूर्वक गहरा गढ्ढा खोद कर मिट्टी में दबा दें, रसायनिक दवा के प्रयोग के दौरान घर में रखी खाद्य सामग्री इत्यादि को अच्छी तरह से ढक दें इत्यादि। केवल वैध कीटनाशी लाइसेन्स धारक दुकानदार से ही चूहा नियंत्रण दवा खरीदें। दवा का बिल अवश्य प्राप्त करें। अधिक जानकारी हेतु अपने हेतु नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र अथवा कृषि रक्षा इकाई बीज गोदाम अथवा एंग्री जंक्शन एग्रो क्लीनिक पर संपर्क करें।
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