July 8, 2024

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इटावा12अक्टूबर*इटावा के प्रसिद्ध कालीबाड़ी मंदिर पर मां काली करती है सबकी मनोकामना पूरी

इटावा12अक्टूबर*इटावा के प्रसिद्ध कालीबाड़ी मंदिर पर मां काली करती है सबकी मनोकामना पूरी

इटावा12अक्टूबर*इटावा के प्रसिद्ध कालीबाड़ी मंदिर पर मां काली करती है सबकी मनोकामना पूरी

इटावा के प्रसिद्ध कालीबाड़ी मंदिर पर मां काली करती है सबकी मनोकामना पूरी, छप्पन भोग, भव्य श्रंगार, व प्रसाद वितरण 13 अक्टूबर को

1856 में गदर आंदोलन के समय की गई थी माता की मूर्ति की स्थापना

कलकत्ता से बंगाली बाबा लेकर आए थे माता काली की मूर्ति

इटावा। इटावा में प्राचीन ऐतिहासिक कालीबाड़ी मंदिर में मां काली की छोटी सी मूर्ति तमाम रहस्यों को समेटे हुए हैं इन रहस्यों से अभी तक पर्दा नहीं उठ पाया है मां काली की इतनी छोटी मूर्ति की स्थापना इस मंदिर में क्यों की गई है अभी तक रहस्य बना हुआ है लेकिन कुछ सूत्र बताते हैं कि कलकत्ता से बंगाली बाबा जब मूर्ति लेकर के चले थे तो मूर्ति बड़ी थी लेकिन जब चलते-चलते थक गए तो मां काली ने अपने रूप को छोटा कर लिया और उसी अवस्था मे और बंगाली बाबा काली की मूर्ति को लेकर इटावा आ गए और यही बीहड़ में यमुना किनारे नागा बाबा के आश्रम में माँ काली की मूर्ति को झूले में रखा गया बाद में स्वामी जगदीशानंद ने मां काली की मूर्ति की स्थापना की और मंदिर निर्माण कराया।

1856 में जब गदर आंदोलन हुआ था हुआ था उसी समय माँ काली की मूर्ति आई थी। मूर्ति को फौजी बंगाली बाबा इटावा लेकर आये थे किवदंती है कि बंगाली बाबा जब काली की मूर्ति को लेकर कलकत्ता से चले तो मूर्ति काफी बजनी और बड़ी थी थोड़ी दूर चलने के पश्चात ही बंगाली बाबा थक गए तो उन्होंने माता से विनती की कि माता इतना विशाल रूप में हम आपको इटावा तक नहीं ले जा पाएंगे तो माता ने वहीं अपना रूप छोटा कर दिया इसे लेकर बंगाली बाबा इटावा के लिए चल पड़े और इटावा में यमुना किनारे बीहड़ में नागा बाबा आश्रम में इस मूर्ति की स्थापना की गयी।

बाद में स्वामी जगदीशानंद ने मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कर इसे मंदिर बनाकर स्थापित कराया। स्वामी जगदीशानंद मां के अनन्य भक्त थे। उन्होंने आरती के पश्चात 1960 में माता समाधि ली। चरणों में समाधि ली। उनके स्वामी आत्मानंद मंदिर के महंत बने 2001 में उनके चिर निंद्रा में लीन होने के उपरांत उनके प्रिंय शिष्य स्वामी शिवानंद जी महाराज मंदिर के महंत बने। स्वामी शिवानंद महाराज ने मंदिर का जीर्णोद्धार करा कर भव्य मंदिर का निर्माण कराया है और भक्तों के सहयोग से मंदिर परिसर में ही मां दुर्गा के नौ रूपों की विशाल मूर्तियों को स्थापित कराया। वही भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंग की स्थापना कराई। मंदिर में सच्ची श्रद्धा से आने वाली भक्तों को काली मां कभी निराश नहीं करती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

कालीबाड़ी मंदिर पर भव्य श्रृंगार आज 13 अक्टूबर को बुधवार को होगा माता के भक्तों द्वारा भव्य श्रृंगार के साथ छप्पन भोग का आयोजन भी किया गया है माता को छप्पन भोग लगाया जाएगा और आज ही शाम आठ बजे आरती के प्रसाद उपरांत प्रसाद का वितरण होगा 14 अक्टूबर को दिन गुरुवार यज्ञ का आयोजन होगा। कालीबाड़ी मंदिर के पीठाधीश्वर स्वामी शिवानंद जी महाराज प्रदेश उपाध्यक्ष अखिल भारतीय संत समिति ने सभी भक्तों से छप्पन भोग का प्रसाद ग्रहण करने के लिए व 14 अक्टूबर को यज्ञ में शामिल होने की अपील की है।

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