May 19, 2024

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अयोध्या28दिसम्बर23*बड़ा खिरखा की जियारत के लिए भीड़ उमड़ी

अयोध्या28दिसम्बर23*बड़ा खिरखा की जियारत के लिए भीड़ उमड़ी

अब्दुल जब्बार

अयोध्या28दिसम्बर23*बड़ा खिरखा की जियारत के लिए भीड़ उमड़ी

जायरीन की आंखे नम

मन्नतो मुरादो का सिलसिला देर रात तक चलता रहा

मानवता को समर्पित हैं दरगाह की परंपराएं

सदभाव,इंसानियत,अमन व प्रेम का संदेश दे रही मख्दूम साहब की दरगाह

भेलसर(अयोध्या)साबरी सिलसिले के महान सूफी बुज़ुर्ग हज़रत मखदूम अहमद अब्दुल हक़ के 607 वाॅ उर्स में बड़ा खिरका पवित्र वस्त्र की जियारत शाह मोहम्मद अली आरिफ उर्फ़ सुब्बु मियां सज्जादा नशीन दरगाह मख़दूम अब्दुल हक रुदौलवी ने कराई।
चिश्ती साबरी को मानने वालों का प्रमुख केंद्र रुदौली दरगाह शरीफ शेख मख्दूम अहमद अब्दुल हक की दरगाह विश्व में साबरी सिलसले का दूसरा प्रमुख केंद्र है। इस्लाम धर्म की साबरी मत के प्रसार का दूसरा स्थान रूदौली शरीफ की दरगाह को माना है कि यह सबसे पहले “कलियर से होता हुआ “पानीपत शरीफ पहुंच पहुंचा फिर वहाँ से रूदौली शरीफ आया। मखदूम साहब के गुरु जलालुदीन कबीरुल औलिया थे।
मखदूम साहब ने सरयु नदी अयोध्या में 9 महीने एक पैर पर खड़े होकर ईश्वर की तपस्या की और हक हक हक की सदाये बुलंद करते रहते थे।
सदभाव,इंसानियत,अमन व प्रेम का संदेश दे रही मख्दूम साहब की दरगाह।आपके पोते शेख मोहम्मद के मुरीद व दामाद हजरत अब्दुल कुदुस गंगोही है जिनकी मजार गंगोह सहारनपुर में है।

शैखुल आलम अवार्ड से सम्मानित किया गया

धार्मिक व शिक्षण कार्यों के लिए अल्लामा अहसन मियां खां साहब बरेली शरीफ को,संगठनात्मक कार्यों के लिए सुल्तान हैदरी नोएडा को,सामाजिक कार्यों के लिए मसूद मियां को,सामाजिक कार्यों के लिए मुहम्मद अली साहब रूदौली को,जमील अहमद खान साहब अबरार नगर लखनऊ को अवार्ड से नवाजा गया।
जोहर की नमाज़ के बाद कदीम खानकाह में महफ़िल समा कव्वाली होती रही।देश के नामवर कव्वालों ने उर्दू,हिंदी व फारसी में कलाम सुनाया।शाम 4:15 बजे शाह मुहम्मद अली आरिफ “सूब्बू मियां” ने मख़दूम साहब का खिरका शरीफ(पवित्र वस्त्र)को धारण किया उसके बाद अस्ताना दरगाह मख्दूम अब्दुल हक पर हजारों लोगों की उपस्थिति में हजारी दी जिसमे आए हुऐ सभी जायरीनो के लिए मखसूस दुआ की गई और जो लोग नही उसके उनके लिऐ भी दुआ की गई खिरखा शरीफ की जियारत शाह मोहम्मद अली आरिफ उर्फ़ सुब्बु मियां ने अपने रवायती अंदाज में कराई।दरगाह अजमेर शरीफ से सय्यद बदर अशरफ़,हजरत सलीम फरीदी मिया,खानकाहे बाबा फरीद,अमरोहा,शाह अब्दुर्रहमान बबलू मियां,खानकाहे राशिदिया,शाह मोहम्मद उमर अहमद जिलानी, खानकाहे रज्जकिया, हजरत सय्यद बदर साबरी मियां ,खानकाहे साबरी, सय्यद हसीन मियां, सय्यद फैजान मिस्बाही चिश्ती साबरी, महबूब आलम साबरी, मौलाना इश्तियाक कादिरी, डा. निहाल रज़ा, इमरान किरमानी, ताहिर किरमानी, डाक्टर अनवर खा,सय्यद रिज़वान उल्लाह, सय्यद सलमान बिन तारिक, फैजुद्दीन गोरखपुरी, सय्यद शादाब काजमी, अतीक खान, मोहम्मद शहीम, विनोद लोधी, सय्यद अली मियां, हाजी अमानत अली, शाहिद सिद्दीकी, मास्टर मातीन , काजी इबाद शकेब, हक़ फाउंडेशन के सदर शाह आमिर तबरेज, शाह फारूक अहमद, शाह अनवार अहमद, शाह यक़ीन अहमद, ऐनान मसूद अंसारी, ताज उद्दीन पप्पू, इरफान खान,महबूब आलम, मोहम्मद शाहबाज, शाह नासिर, शाह गौस अहमद, शाह नूर अहमद,शाह राज़ अहमद, शाह फरीद अहमद, शाह इक़बाल अहमद, शुएब अहमद शाह सरफराज अहमद, शाह रेहान अहमद, सुलतान अहमद किदवई, खालिद अजीज सिद्दीकी ,शाह तालिब अहमद, शाह साबित अहमद , शाह मोहम्मद अहमद, शाह यूसुफ, शाह शबीह अहमद, नावेद अहमद, यासिर कलीम, मंसूर अहमद समेत तमामी खानवादे मौजूद रहे। कार्यक्रम का समापन अहसन मिया की दुआ से हुवा।

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