सूरतगढ़ 25 मार्चजून रात के डेढ बजे हैं तेज वर्षा प्लास्टिक तिरपाल के खुले हवाई टैंट में पूजा छाबड़ा ।
* करणीदानसिंह राजपूत *
नारी की पूजा होती है वहां देवता रहते हैं। नारी स्वयं धार ले तो वह देवीय शक्ति बन जाती है और उसका संकल्प मन संचालित वज्र हथियार बन जाता है। यह सब होता हुआ यहां सूरतगढ़ में देख रहे हैं समझ रहे हैं। सूरतगढ को जिला बनाओ मांग का दृढ संकल्प ही पूजा छाबड़ा को आत्मबल दे रहा है। इसी बल से वह बरसात में खुले हवाई प्लास्टिक तिरपाल के नीचे आमरण अनशन में विराजमान हैं। डेढ बजे बादलों की गड़गड़ाहट हुई और तेज बरसात शुरू हुई तब मरणव्रत पर बैठी पूजा छाबड़ा की ओर ध्यान चला गया। सब नेता जिले की मांग कर्ता अपने घरों में पक्की छत्तों के नीचे सो रहे। वह जाग रही है। ऐसे मौसम में नींद नहीं आती। उसका यह जागरण सूरतगढ़ की आवाज तो बन ही गया है। जब से आमरण अनशन पर बैठी तब से कभी रात तो कभी दिन की वर्षा।
पूजा छाबड़ा का आत्मबल है जिसकी घर घर चर्चा हो रही है और लोग महाराणा प्रताप चौक पर पहुंच रहे हैं। महिलाओं लड़कियों की टोलियां पहुंच रही है। देखती हैं शक्तिशाली तेजस्वी नारी को। पूजा छाबड़ा का मरणव्रत 21 मार्च से शुरू हुआ। सूरतगढ को जगा दिया। संस्थाओं को जगा दिया। पूजा पूजा नाम हो रहा है। आगे बढ रही है। पहले दिन टैंट पर नाम था पूजा छाबड़ा जो 24 को सुबह नया बैनर लगा दिया। पूजा छाबड़ा का नाम हो रहा था। वह नाम तो टैंट से हटाने से लोगों के मन से तो नहीं हटाया जा सकता। लोग उसी के लिए पहुंच रहे हैं और उसी की आवाज बने हैं। महाराणा प्रताप चौक से शक्ति मिलती है और प्रतिमा से आशीर्वाद। कुछ नेता एसडीएम कार्यालय के आगे लेजाने के ईच्छुक। लेकिन यह आमरण अनशन स्थल रहेगा और यहां से ही गूंजती रहेगी आवाज सूरतगढ़ को जिला बनाओ। उमेश मुद्गल भी बैठ गया और भी बैठेंगे तो यहीं बैठेंगे। यही है ताकतवर पवित्र स्थल। जो लोग समर्थन में बैठते हैं या बिठाए जा रहे हैं वह 24 घंटे का होता है। पहले दिन बिठाए जाते हैं और अगले दिन उठते हैं। 11 बजे बैठे और 5 – 6 घंटे बाद उठ गये। यह नही होता। इस पर भी विचार करके बिठाएं। अनशन को हल्के में नहीं लें। समर्थन पर वही बिठाज जाएं जो 24 घंटे बैठें। जो लोग फोटो ही खिंचवाने के लिए मंच पर आते हैं और फिर हटना नहीं चाहते तो वे अपनी फोटो के बाद हट जाएं दूसरों के फोटो होने दें। दूसरों को भी उत्सुकता होती है। वे जुझारू भाषण देने लगते हैं तो चार पांच मिनट बाद दूसरे को बोलने दें। सभी बोलना चाहते हैं। आंदोलनों में ही नये नेता पैदा होते हैं। भाषण देने वाला नया है युवा है तो बड़े नेता गपशप करने के बजाय उनको भी सुनें। बड़े नेताओं को भी लोगों ने सुना है।
* लोगों को प्रेरित करें कि महाराणा चौक पर पहुंचे। आमरण अनशनकारियों से मिलें दजखें अभिनंदन करें।
* जो अनशनकारियों का समर्थन करते हैं पत्र देते हैं,उन्हें पहले सरकार को भी एक कोपी उपखंड अधिकारी या अतिरिक्त जिला कलेक्टर के मार्फत भेजनी चाहिए।
* आमरण अनशन की महत्ता को समझा जाए। यह सूरतगढ को जिला बनाने का मिशन है।*
आधी रात के बाद तारीख बदल गई है।
25 मार्च 2023.
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