लखनऊ01दिसम्बर23*MP-MLA के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट तो IAS-IPS के लिए क्यों नहीं?,
उत्तर प्रदेश में विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान एक तरफ जहां दोनों सदनों में जातीय जनगणना की गूंज सुनाई दी वहीं दूसरी ओर गुरुवार को विधान परिषद में पहली बार अधिकारियों के भ्रष्टाचार और आपराधिक मामलों को लेकर विशेष अदालतों में फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई के लिए एमपी-एमएलए कोर्ट की तररह की व्यवस्था करने की मांग उठाई गई है।
भाजपा MLC द्वारा नियम 110 के विधान परिषद में पेश नोटिस की सूचनाओं को राज्य सरकार को भेजा है।जनप्रतिनिधियों के विरुद्ध दर्ज भ्रष्टाचार सहित आपराधिक मामलों के विशेष अदालतों और फास्ट ट्रैक द्वारा सुनवाई की विद्यमान प्रक्रिया को दागी आईएएस आईपीएस (नौकरशाही) के विरुद्ध मामलों को भी फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा निपटारा करने के लिए प्रावधान करने की मांग भाजपा MLC विजय पाठक और दिनेश कुमार गोयल ने विधान परिषद में नियम 110 की सूचना के तहत गुरुवार को दी है।
सूचना में दोनों भाजपा MLC ने कहा है कि राजनीति में अपराधीकरण को रोकने के लिए कई वैधानिक उपाय किये हैं किन्तु प्रशासनिक अधिकारियों के विरुद्ध ऐसे एक भी उपाय नहीं खोजे गये कि उनके सेवाकाल में ही उन दागियों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही हो सके।
दोनों MLC ने सदन में सांसदों विधायकों की ही भांति प्रशासनिक अधिकारियों पर जारी मामलों को भी विशेष वरीयता देते हुए समयवद्ध कानूनी कार्यवाही किये जाने हेतु सुनिश्चित व्यवस्था बनाये जाने हेतु राज्य के उच्च सदन विधान परिषद में चर्चा वक्तव्य देने की राज्य सरकार से मांग की है। वर्तमान में अनेक ऐसे आईएएस अधिकारी राज्य में हैं जिनपर भ्रष्टाचार और महिला उत्पीड़न उत्पीड़न के गम्भीर आरोप लगे हैं।
पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने विधान परिषद में उठाई गई इस मांग का स्वागत किया है। अमिताभ ठाकुर ने वनइंडिया हिन्दी से बातचीत के दौरान कहा कि,
विधान परिषद में उठाई गई इस मांग से हम पूर्ण सहमत हैं कि इस तरह की व्यवस्था होनी चाहिए। जिस तरह विधायक और सांसद देश के रहनुमा होते हैं उसी तरह वरिष्ठ प्रशासनिक पदों पर बैठे अधिकारियों की जिम्मेदारी भी बड़ी होती है। आईएएस, आईपीएस, पीपीएस और पीसीएस जैसे पदों पर काबिज लोगों के भ्रष्टाचार और आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की व्यवस्था होनी चाहिए।
अमिताभ ठाकुर ने यह भी कहा कि आईएएस और आईपीएस की सेवा नियमावली में ही इस बात का उल्लेख होता है कि यदि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और आपराधिक मामले साबित हो जाते हैं तो उनकी सेवा से बर्खास्तगी हो जाती है। जिस तरह से सांसद और विधायक के दोषी करार दिए जाने के बाद उनकी सांसदी और विधायकी चली जाती है उसी तरह इनके लिए पहले से व्यवस्था बनाई गई है लेकिन यदि ये मामले फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाए जाएं तो काफी अच्छा रहेगा।
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