June 28, 2025

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मिर्जापुर: 27जून 25 *परिषदीय विद्यालयों के मर्जर के विरोध में जिला मुख्यालय पहुंचे शिक्षक गण*

मिर्जापुर: 27जून 25 *परिषदीय विद्यालयों के मर्जर के विरोध में जिला मुख्यालय पहुंचे शिक्षक गण*

मिर्जापुर से बसन्त कुमार गुप्ता की रिपोर्ट यूपी आजतक

मिर्जापुर: 27जून 25 *परिषदीय विद्यालयों के मर्जर के विरोध में जिला मुख्यालय पहुंचे शिक्षक गण*

मिर्जापुर*आज जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे शिक्षकों ने कहा कि वर्तमान समय में परिषदीय विद्यालयों में कम छात्र संख्या को आधार बनाकर विद्यालयों के पेयरिंग / मर्जर किये जाने की गतिमान है जो कि शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 एवं बाल अधिकार के सर्वथा विपरीत एवं विधि विरूद्ध है। शिक्षा अधिकार अधिनियम-2039 में प्राविधान किया गया है कि प्रत्येक बच्चे के घर के 01 किमी० की परिधि में 300 की आबादी पर प्राथमिक विद्यालय और 03 किमी0 की परिधि और 800 की आबादी पर उच्च प्राथमिक विद्यालय होने चाहिए। इसी के अनुरूप पूरे प्रदेश में विद्यालयों की स्थापना की गयी व लगातार तमाम ऐसे कारण उत्पन्न हुए जिसकी दजह से कुछ जगहों पर छात्र संख्या कम हुयी जिसका मुख्य कारण परिषदीय विद्यालयों के निकट ही निजी विद्यालयों को नियम विरुद्ध मान्यता दे दिया जाना, गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों को निर्वाद्ध गति से चलते रहना है। पूर्व में तैनाती के समय विद्यालयों में शिक्षकों का असामान्य वितरण कर दिया गया जिसके फलस्वरूप कुछ विद्यालयों में आवश्यकता से अधिक शिक्षकों एवं कुछ विद्यालयों में शिक्षकी काफी कमी हो गयी और प्रत्येक विकास खण्ड में कतिपय विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति न होने के कारण विद्यालय एकल या बन्द चल रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ शिक्षकों से तमाम गैर शैक्षणिक कार्य लिये जा रहे हैं।
कई वर्षों में नित्य नये प्रयोगों के चलते बेसिक शिक्षा को प्रयोगशाला बना देने से ऐसी स्थितियाँ उत्पन्न हुयी हैं। यह छात्र संख्या एक दिन में नहीं घटी हैं। इन्हीं सब कारणों से धीरे-धीरे करके कुछ जगहों पर छात्र संख्या में कमी आयी है, जिसके लिए शिक्षक दोषी नहीं है। शिक्षक अपने स्तर से गाँव में जाकर अभिभावकों और बच्चों से सम्पर्क करके छात्रों को विद्यालय तक लाते हैं। पेयरिंग / मर्जर के कारण जब यह विद्यालय बच्चों के घर से दूर हो जायेंगें तो शिक्षक प्रत्येक मजरे में न तो जा पायेगें और न ही सभी बच्चे इतनी दूर से दूर के विद्यालयों में पढ़ने जा पायेगें। एक तरफ नियमों में स्पष्ट व्यवस्था होने के बावजूद भी विभागीय अधिकारी परिषदीय स्कूलों के 01 किमी0 की परिधि में निजी विद्यालयों को मान्यता दिये चले जा रहे है वहीं चल रहे गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों को बन्द करने में विभागीय अधिकारी रूचि नहीं ले रहे हैं, जिससे दिन-प्रतिदिन गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों की बाढ़ आ गयी है। गाँव एवं गरीबों के बच्चों की शिक्षा का मुख्य आधार यही परिषदीय विद्यालय है। अगर इन विद्यालयों को पेयरिंग / मर्जर करके विद्यालयों को शिफ्ट कर दिया गया तो प्राथमिक शिक्षा इन छोटे-छोटे बच्चों से दूर हो जायेगी और दूर पढ़ने न जा पाने के कारण इनकी शिक्षा बीच में ही रुक जायेगी, जिससे ड्राप आउट विद्यालय छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होने से एक भयावह स्थिति उत्पन्न होगी जो प्रत्येक बच्चे के शिक्षा प्राप्त करने के नौलिक अधिकार एवं शिको अधिकार अधिनियम-2009 की मूल भावना के विपरीत होगी। शिक्षा हर बच्चे का मौलिक अधिकार है और विद्यालय दूर होने से शिक्षा ग्रहण करने पर निश्चित रूप से बहुत बुरा असर पड़ेगा। आपकी लोकप्रिय सरकार समाज के अन्तिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के प्रति समर्पित है। नवनिहालों के प्रति आप बेहद संवेदनशील हैं। परिषदीय विद्यालयों की पेयरिंग / मर्जर जनतां, छात्र, शिक्षक एवं शिक्षा के हित में नहीं है।

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