December 10, 2024

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मथुरा02मई2024*भ्रम में जीने वालों, ब्रह्ममय हो जाओं - निरंकारी संत*

मथुरा02मई2024*भ्रम में जीने वालों, ब्रह्ममय हो जाओं – निरंकारी संत*

मथुरा02मई2024*भ्रम में जीने वालों, ब्रह्ममय हो जाओं – निरंकारी संत*

मथुरा । संत निरंकारी मिशन के प्रचार कोर्डिनेटर संत श्री हेमराज शर्मा जी ने यहां मथुरा आगमन पर हाइवे नवादा स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित सत्संग में सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज का संदेश दिया।

उन्होंने कहा कि चौरासी लाख योनियों में तीन काम दुर्लभ है। पहला मनुष्य का तन, दूसरा मोक्ष की इच्छा और तीसरा संतों का आश्रय मिलना । यह तो पुण्य कर्म और प्रार्थनाओं का असर होता है कि प्रभु मनुष्य तन प्रदान करते हैं। अब मनुष्य तन में आकर यह जरूरी नहीं कि मोक्ष की इच्छा हो क्योंकि भौतिक जगत में तो इंसान सांसारिक सुख ही चाहता है। यह तो संत कृपा करते हैं कि मानव को जीवन के लक्ष्य के प्रति जागरूक करते हैं।

निरंकारी संत ने कहा कि परमात्मा को मानते सब हैं लेकिन जानते नहीं। ऐसे में जिसे जानते ही नहीं उसे मानना कैसा, यह तो केवल मन की कल्पना मात्र है कि भगवान मेरे सामने है, लेकिन जैसे ही आंख खोलते हैं परमात्मा नजर नहीं आता। क्या किसी को देखे और जाने बिना उसे मान सकते हैं। उन्होंने कहा कि सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज हर मानव को ब्रह्मानुभूति करा रहे हैं। कहा कि इंसान के मूल लक्ष्य की प्राप्ति उसी के द्वारा हो सकती है, जो उसका जानकार हो। जो जानकार नहीं होगा वह हमें भटकायेगा और जो जानकार होगा, वह पल में हमें लक्ष्य प्रदान कर देगा।

संतश्री हेमराज शर्मा जी ने कहा कि ब्रह्मज्ञान सबसे कीमती और सर्वोत्तम ज्ञान है, जो सत्गुरू की कृपा से प्राप्त होता है, उसी के बाद ही सही मायनों में भक्ति शुरू होती है। जो परमात्मा को केवल मानते हैं वह सत्गुरू से परमात्मा का बोध जरूर करें क्योंकि यही संसार का सर्वश्रेष्ठ कार्य है और जिन्हें सत्गुरू की कृपा से ब्रह्मानुभूति है चुकी है वह भक्ति की कद्र करें, प्रभु के प्रति दृढ़ रहे क्योंकि प्रभु प्राप्ति करना कोई मजाक नहीं है, यह तो प्रभु स्वयं कृपा करते हैं।

उन्होंने कहा कि प्रभु को अपनी कल्पना अनुसार खुद ही बना रहे हैं और खुद ही भज रहे हैं, जबकि यह विचारणीय है कि जो पूरी सृष्टि को बनाता है, उसे हम कैसे बना सकते हैं। कैसे उसे भज सकते हैं। हम भौतिक जगत में केवल भ्रम में जी रहे हैं, जबकि जुड़ना तो ब्रह्म से था। जैसे बिना देवकी के देवकीनंदन नहीं आ सकता, ऐसे ही प्रभु मिलन के लिए भी तो सत्गुरू चाहिए। सत्गुरू की कृपा से ही सत्य स्वरूप परमात्मा मिलता है।

निरंकारी प्रतिनिधि किशोर स्वर्ण ने बताया कि सत्संग में अनेक स्थानों के श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इसमें दिल्ली से आए निरंकारी प्रचारक श्री एल पी भट्टराई जी, एसडीओ श्री नरेश राठौर सहित अनेक वक्ताओं ने गीत भजन एवं विचार व्यक्त किए। संचालन ओपी सिंह ने किया और संत भक्तों का स्वागत मथुरा के जोनल इंचार्ज श्री एच के अरोड़ा तथा आदेश त्रिपाठी एवं उर्वशी त्रिपाठी परिवार ने किया।

मथुरा से पत्रकार नीतेश सैनी की रिपोर्ट युपी आजतक

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