भागलपुर बिहार से शैलेन्द्र कुमार गुप्ता यूपी आजतक
भागलपुर12मई24*मायागंज अस्पताल का डीएम ने किया निरीक्षण**इसे बेस्ट अस्पताल की पहचान दिलाएं- डीएम*
*सिर्फ माइंड सेट बदलने की है जरुरत- डीएम*
भागलपुर, 11 मई 2024. जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी द्वारा जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय, अस्पताल (मायागंज अस्पताल) का वृहद निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उप विकास आयुक्त श्री कुमार अनुराग, संयुक्त निदेशक जनसंपर्क श्री नागेंद्र कुमार गुप्ता, अस्पताल के अधीक्षक डॉ(प्रो.) श्री राकेश कुमार, अस्पताल प्रबंधक श्री सुनील कुमार, वरीय उप समाहर्ता श्री कृष्ण मुरारी, अनुमंडल पदाधिकारी सदर श्री धनंजय कुमार एवं संबंधित विभाग अध्यक्ष मौजूद थे।
निरीक्षण के दौरान उन्होंने इमरजेंसी वार्ड, निकू (नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई) वार्ड, पीकू (गहन चिकित्सा इकाई) वार्ड ,एवं एम सी एच का निरीक्षण किया। उन्होंने अस्पताल के अंदर संस्थापित बिजली के मैन स्विच बोर्ड को बाहर की ओर शिफ्ट करने, अकस्मात स्थिति के लिए अस्पताल में ध्वनि विस्तारक यंत्र की व्यवस्था करने तथा जगह जगह पर फायर इंस्टीग्विश संस्थापित करने के निर्देश दिए। कहीं-कहीं हल्के झड़े हुए प्लास्टर का रिपेयर करने का निर्देश दिए तथा दो वार्ड आईसीयू के, जो फिलहाल थोड़ा सा प्लास्टर के झड़ जाने के कारण बंद किया गया है, उन्हें तुरंत ठीक करवा कर 18 मई तक चालू करवाने को निर्देश दिए।
उन्होंने अस्पताल निरीक्षण के उपरांत अस्पताल अधीक्षक , प्राचार्य और सभी विभागाध्यक्षों(एच ओ डी) के साथ अस्पताल अधीक्षक के कार्यालय में बैठक की। चिकित्सकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आप सभी बिहार के बाहर भी मेडिकल फैसिलिटी को देखा होगा और बिहार के मेडिकल फैसिलिटी को भी देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने पीएमसीएच में पढ़ाई की है,और बिहार में भी और दिल्ली के RMI में भी काम किया है। यहीं के चिकित्सक जब दिल्ली में काम करते हैं तो वह ड्यूटी टाइम से करते हैं, 8:00 बजे से ड्यूटी रहती है तो 7:50 बजे में ड्रेस चेंज कर तैयार रहते हैं, लेकिन हमारे यहां 9:00 बजे से ड्यूटी रहती है तो 9:30 बजे आते हैं। यह केवल माइंडसेट की बात है एक ही आदमी दो जगह अलग-अलग तरीके से काम करता है।
उन्होंने कहा कि हम यदि अपना माइंडसेट बदल दें तो काम करने का सिस्टम विकसित हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आप सभी अपने-अपने फैकल्टी के विद्वान चिकित्सक हैं। आप सभी ने कोविड के समय अपनी जान पर खेल कर मरीजों की जान बचाई, अच्छा काम किया। समय एवं परिस्थिति के अनुसार वही आदमी अच्छा काम कर सकता है, इसलिए आप इस अस्पताल को और बेहतर बना सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि तीन चरणों में इस अस्पताल को बेहतर बनाने का कार्य किया जाए, पहले चरण सर्जरी सहित सभी फैकल्टी के पांच पांच बेड को बेस्ट फैसिलिटीयुक्त बनाया जाए। इसके बाद एक एक वार्ड को बेस्ट फैसिलिटी युक्त बनाया जाए और तीसरे चरण में पूरे अस्पताल को बेस्ट हॉस्पिटल के रूप में पहचान दिलाई जाए।
उन्होंने डॉक्टर अभिलेश विभागाध्यक्ष (मेडिसिन) की मांग पर हॉस्पिटल सुपरीटेंडेंट को उनके 48 बेड के लिए एस्टरलाइजर, पेसमेकर सहित जो भी वांछित उपकरण हैं उन्हें उपलब्ध कराकर 18 मई तक चालू करवाने के निर्देश दिए।
उन्होंने चिकित्सकों के मेरी मरीज न कहने पर कहा कि, जो मरीज अस्पताल में प्रवेश कर गया वह अस्पताल का मरीज हो गया ना कि किसी खास फैकल्टी का इस भावना से सभी चिकित्सक कम करें।
उन्होंने सभी विभागाध्यक्ष से बारी बारी से उनके फैकल्टी के संबंध में फीडबैक लिया तथा मांग किए जाने पर एनएसथीसिया की ट्रेनिंग सभी को दिलाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि *चिकित्सक का पहला काम होता है मरीज का जान बचाना*। इस दौरान चिकित्सकों ने अस्पताल में मानव संसाधन की कमी रहने की जानकारी दी।
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