February 7, 2025

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प्रयागराज07जनवरी25*पत्थर को प्राणवान करने का कौशल भारत में है-डॉ0 कुमार विश्वास

प्रयागराज07जनवरी25*पत्थर को प्राणवान करने का कौशल भारत में है-डॉ0 कुमार विश्वास

प्रयागराज07जनवरी25*पत्थर को प्राणवान करने का कौशल भारत में है-डॉ0 कुमार विश्वास

*डॉ. कुमार विश्वास ने मां गंगा की महिमा एवं महाकुम्भ के वैभव का किया बखान*

धर्म, संस्कृति एवं अध्यात्म के महापर्व महाकुम्भ 2025 के शुभारम्भ के पूर्व मंगलवार से संगमनगरी प्रयागराज की पावन भूमि पर नन्दी सेवा संस्थान द्वारा प्रख्यात कवि, रामरस धारा के मूर्धन्य मर्मज्ञ डॉ. कुमार विश्वास जी द्वारा रामकथा की अनमोल शिक्षाओं के साथ तीन दिवसीय अपने-अपने राम का शुभारम्भ हुआ। जिसमें राम कथा मर्मज्ञ डॉ. कुमार विश्वास ने मां गंगा की आराधना के साथ ही मर्यादा पुरूषोत्तम प्रभु श्री राम के जीवन आदर्शों पर प्रकाश डाला। कैबिनेट मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी और प्रयागराज की पूर्व महापौर अभिलाषा गुप्ता नन्दी ने प्रख्यात कवि एवं राम कथा मर्मज्ञ कुमार विश्वास जी का स्वागत किया। इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्तिगण, अधिवक्ता, चिकित्सक, सीए, प्रोफेसर, डॉक्टर के साथ ही विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि अपने-अपने राम में सम्मिलित हुए। भव्य मंच से कुमार विश्वास ने प्रभु श्री राम की महिमा का बखान किया।

सीता के रघुनाथ, लखन के भैया सुख के धाम मिलेंगे
हनुमान के हरि, जगत् के त्राता आठों याम मिलेंगे
रामभद्र शबरी के, केवट के रघुनंदन मिल जायेंगे
चले आओ इस जगह सभी को अपने-अपने राम मिलेंगे”
भारतीय पौराणिकी की वैज्ञानिकता, तथ्यात्मकता व तर्कशीलता विश्व भर के युवाओं तक पहुंचाना ही अपने-अपने राम का उद्देश्य है।

ये गंगा का किनारा है…
144 वर्षों बाद अद्भुत संयोगों के बीच संगम नगरी प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुम्भ की अद्भुत बेला पर राम कथा मर्मज्ञ एवं कवि डॉ. कुमार विश्वास जी ने भगवती मां गंगा की महिमा का बखान करते हुए सभी को भक्ति रसधारा से सराबोर कर दिया। कुमार विश्वास ने कहा कि गंगा नदी, धरा के पाप-तारण के लिए प्रकृति की कोख से उतरी है. यह सागर के मुक्तिकामी वंशजों के शोक से उतरी है. यह भगीरथ के तपजनित आलोक से उतरी है. यह अमर सुर देवताओं के परम ध्रुवलोक से उतरी है. यह शिवालिक से धरा को धन्य कर हरिद्वार तक आई है. यह तपस्वी राम के चरणों पर चढ़ी उपहार तक आई है. यह गले मिल कृष्ण यमुना से संगम पार तक आई है. बनारस में इसे शिव ने पुनरू जी भर निहारा है. इसी के तट पर हमारी चेतना के पल जाग्रत हुए हैं. इसी के तट पर प्रकटता योग आयुर्वेद वाला फल हमारे वेद में गुँजित है.

कुमार विश्वास ने कहा महाकुम्भ की व्यवस्था अद्भुत
अपने-अपने राम शुभारम्भ के पूर्व डॉ. कुमार विश्वास ने संगम क्षेत्र में भ्रमण किया। वहां की व्यवस्था और सुविधाएं देख कर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इस बार का महाकुम्भ वाकई में दिव्य एवं भव्य ही नहीं बल्कि अद्भुत होने जा रहा है।

राम कथा के दौरान डॉ. कुमार विश्वास ने धर्मनिरपेक्षा का राग अलापने वालों और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के वेश भूषा पर सवाल उठाने वालों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य का राजा या मुखिया न तो कर्म निर्पेक्ष होना चाहिए, न धर्म निर्पेक्ष। उसे अपने धर्म की रक्षा करनी होगी।

डॉ. कुमार विश्वास ने कहा कि पूरे विश्व में भारत ही ऐसा देश है, जिसमें पत्थर को भी प्राणवान करने का कौशल है। कहा कि मूर्तिकार अरूण योगीराज ने तो भगवान राम की मूर्ति बनाई थी। लेकिन प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रभु श्री राम का विग्रह प्रभु श्री राम में परिवर्तित हो गया। अरूण योगी राज ने कहा कि यह वो मूर्ति ही नहीं है जो उन्होंने बनाई थी। कुमार विश्वास ने कहा कि भारत पत्थर में प्राण डालने में लगा है, वहीं पश्चिम प्राण को पत्थर बना रहा है। कहा कि भारत मानता है कि अचेतन कुछ है ही नहीं। सब कुछ में प्राण है।

नागा साधुओं की हत्या करने वाले का नाम रखने पर सवाल न उठाऊं तो क्या करूं
सनातन धर्म और संस्कृति पर सवाल उठाने वालों पर निशाना साधते हुए कुमार विश्वास ने कहा कि जिस बाहरी ने हजारों मंदिर ढहाए, 5000 नागा साधुओं की हत्या की, उसके नाम पर बच्चों का नाम रखने वालों पर सवाल करने पर डराया जाता है। लेकिन मैं डरने वाला नहीं हूं। कुमार विश्वास ने कहा कि पूरे भारत में एक भी गुरूद्वारा, मदिर, जैन मंदिर बता दें, जिसे किसी धर्मस्थल को तोड़ कर बनाया गया हो। मस्जिदे तुमने बनाई मंदिरों को तोड़ कर, क्या मस्जिदें बन नहीं सकती थी मंदिरों को छोड़ कर।

 

निराला और उमाकांत मालवीय जी को किया नमन
डॉ. कुमार विश्वास जी ने अपने-अपने राम मंच के संगम नगरी प्रयागराज से पूरे विश्व में साहित्य का जागरण करने वाले सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी और पंडित उमाकान्त मालवीय की रचनाओं को पढ़ते हुए नमन किया। कहा कि सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला ने अपनी रचना में लिखा है वह तोड़ती पत्थर, देखा मैंने उसे इलाहाबाद के पथ पर, वह तोड़ती पत्थर। वहीं नवगीत आंदोलन के उन्नायकों में एक उमाकांत मालवीय जी को भी नमन किया।

आज से 500 साल पहले जिस जाहिल ने यह सोचकर ये मंदिर तोड़ा थ्ज्ञा कि हिन्दुओं के मंदिर से हीरे जवाहरात मिलेंगे उन्हें लूट कर हम अमीर हो जाएंगे। बगदाद पार के वो जाहिल आज भी गधे पर सवारी कर रहे हैं और मेरे राम के मुकुट में हजारों के हीरे टंगे हुए हैं।

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