May 13, 2025

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पूर्णिया बिहार15अप्रैल25* वक्फ संशोधन विधेयक2024: संविधान और अल्पसंख्यक अधिकारों पर हमला: शाहाबुजजमा

पूर्णिया बिहार15अप्रैल25* वक्फ संशोधन विधेयक2024: संविधान और अल्पसंख्यक अधिकारों पर हमला: शाहाबुजजमा

पूर्णिया बिहार15अप्रैल25* वक्फ संशोधन विधेयक2024: संविधान और अल्पसंख्यक अधिकारों पर हमला: शाहाबुजजमा

मोहम्मद इरफान कामिल यूपी आज तक न्यूज़ चैनल पूर्णिया बिहार की रिपोर्ट।

पूर्णिया बिहार। भारतीय संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करता है और धर्म, जाति या भाषा के आधार पर भेदभाव का विरोध करता है। इसी संवैधानिक ढांचे के अंतर्गत अल्पसंख्यकों को विशेष अधिकार दिए गए हैं, जिससे वे अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्थाओं को स्वतंत्र रूप से चला सकें। लेकिन वक्फ संशोधन विधेयक 2024 इस संवैधानिक व्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास करता है। उक्त बातें अमूल जिला परिषद सदस्य एवं जन स्वराज पार्टी के युवा‌ कर्मठ सहाबु जमा ने अपने निवास स्थान पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस मैं कहीं जन स्वराज पार्टी के नेता ने कहा कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण को बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करता है, जिससे अल्पसंख्यकों की धार्मिक और सामाजिक स्वायत्तता प्रभावित हो सकती है। जिला परिषद‌ सदस्य शहाबुज जमा ने कहा कि इस विधेयक से हम अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला मानते हैं। उनका कहना है कि यह विधेयक सरकार को वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में हस्तक्षेप करने की अनुमति देता है, जो कि अनुच्छेद 25, 26, 27, 29 और 30 का उल्लंघन है। जन स्वराज पार्टी के नेताने कहा कि
संविधान का अनुच्छेद 25 प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म को मानने, उसका पालन करने और प्रचार करने का अधिकार देता है। वक्फ संपत्तियां धार्मिक उद्देश्यों के लिए समर्पित होती हैं, और सरकार द्वारा इन पर नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश अनुच्छेद 25 की भावना के विपरीत है। इसी तरह, अनुच्छेद 26 धार्मिक संस्थानों को अपने मामलों को स्वतंत्र रूप से प्रबंधित करने की गारंटी देता है, लेकिन इस विधेयक के तहत सरकार वक्फ बोर्डों के प्रशासन में हस्तक्षेप कर सकती है, जिससे धार्मिक संस्थानों की स्वायत्तता प्रभावित होगी। अनुच्छेद 27 यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी व्यक्ति को किसी विशेष धर्म के प्रचार के लिए कर देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। यदि सरकार वक्फ संपत्तियों के राजस्व का उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए करती है, तो यह अनुच्छेद 27 के उल्लंघन का मामला बनेगा। अनुच्छेद 29 और 30 अल्पसंख्यकों को उनकी सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्थाओं को बनाए रखने और प्रबंधित करने का अधिकार देते हैं। वक्फ संपत्तियां न केवल धार्मिक गतिविधियों के लिए बल्कि शैक्षणिक और सामाजिक कार्यों के लिए भी उपयोग की जाती हैं। इस विधेयक के पारित होने से अल्पसंख्यक संस्थानों की स्वतंत्रता बाधित होगी और उनकी सांस्कृतिक विरासत को खतरा हो सकता है।
यह विधेयक केवल कानूनी मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा सामाजिक और राजनीतिक मामला भी है। भारतीय लोकतंत्र की विशेषता यह है कि यह सभी समुदायों को समान अवसर और अधिकार प्रदान करता है, लेकिन वक्फ संशोधन विधेयक 2024 इस संतुलन को बिगाड़ सकता है।

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