नई दिल्ली28अक्टूबर25*यूपीआजतक न्यूज चैनल पर आज का प्रेरक प्रसंग
*पद रहे प्रतिष्ठा न रहे, तो धृतराष्ट्र बनते हैं, प्रतिष्ठा रहे पद न मिले, तो कर्ण बनते हैं। दूसरे हमें कैसे देखते हैं, यह महत्वपूर्ण नहीं है, हम खुद को कैसे देखते हैं, यह सब मायने रखता है। हर संघर्ष एक नई दिशा का संकेत देता है। हर संघर्ष में एक नई दिशा छिपी होती है, जो हमें हमारी असली ताकत और क्षमता को पहचानने में मदद करती है।*
*हमेशा अपनी शांति को महत्व देना होगा, अपनी बात को साबित करने की कोशिश करने से ज़्यादा ज़रूरी है हमारी शांति। उन लोगों को समझाना बंद करना होगा जिन्होंने हमे गलत समझने का मन बना लिया है।*
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*जय श्री राम । जय श्री राम*
*धर्म की जय हो।*
*अधर्म का नाश हो॥*
*प्राणियों में सद्भावना हो।*
*विश्व का कल्याण हो।*
*वंदेभारत । शुभ दिवस*
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*2025*
[28/10, 6:01 am] +91 87658 77512: *🏵️जल(Pani) है औषध समान🏵️*
*(जल ही जीवन)*
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*अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम |*
*भोजने चामृतं वारि भोजनान्ते विषप्रदम ||*
*‘अजीर्ण होने पर जल-पान औषधवत हैं | भोजन पच जाने पर अर्थात भोजन के डेढ़- दो घंटे बाद पानी पीना बलदायक है | भोजन के मध्य में (अर्थात दो अन्न के बीच मे जैसे रोटी और चावल वो भी मात्रा गला साफ होने मात्र 2-3 घुट) पानी(Pani) पीना अमृत के समान है और भोजन के अंत में विष के समान अर्थात पाचनक्रिया के लिए हानिकारक है ||*
*पानी से रोगों का इलाज / उपचार :*
*1 अल्प जल-पान : उबला हुआ पानी (Pani)ठंडा करके थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पीने से अरुचि, जुकाम, मंदाग्नि, सुजन, खट्टी डकारें, पेट के रोग, नया बुखार और मधुमेह में लाभ होता है |*
*2. उष्ण जल-पान : सुबह उबाला हुआ पानी गुनगुना करके दिनभर पीने से प्रमेह, मधुमेह, मोटापा, बवासीर, खाँसी-जुकाम, नया ज्वर, कब्ज, गठिया, जोड़ों का दर्द, मंदाग्नि, अरुचि, वात व कफ जन्य रोग, अफरा, संग्रहणी, श्वास की तकलीफ, पीलिया, गुल्म, पार्श्व शूल आदि में पथ्य का काम करता है |*
*3 प्रात: उषापान : सूर्योदय से 2 घंटा पूर्व, शौच क्रिया से पहले रात का रखा हुआ आधा से सवा लीटर पानी पीना असंख्य रोगों से रक्षा करनेवाला है | शौच के बाद पानी न पियें |*
*औषधिसिद्ध जल :*
*1. सोंठ-जल : दो लीटर पानी(Pani) में 2. ग्राम सोंठ का चूर्ण या 1. साबूत टुकड़ा डालकर पानी आधा होने तक उबालें | ठंडा करके छान लें | यह जल गठिया, जोड़ों का दर्द, मधुमेह, दमा, क्षयरोग (टी.बी.), पुरानी सर्दी, बुखार, हिचकी, अजीर्ण, कृमि, दस्त, आमदोष, बहुमुत्रता तथा कफजन्य रोगों में खूब लाभदायी है |*
*2. अजवायन-जल : एक लीटर पानी में एक चम्मच (करीब 7.5 ग्राम) अजवायन डालकर उबालें | पानी आधा रह जाय तो ठंडा करके छान लें | उष्ण प्रकृति का यह जल ह्दय-शूल, गैस, कृमि, हिचकी, अरुचि, मंदाग्नि,पीठ व कमर का दर्द, अजीर्ण, दस्त, सर्दी व बहुमुत्रता में लाभदायी है*
*3. जीरा-जल : एक लीटर पानी में एक से डेढ़ चम्मच जीरा डालकर उबालें | पौना लीटर पानी बचने पर ठंडा कर छान लें | शीतल गुणवाला यह जल गर्भवती एवं प्रसूता स्रियों के लिए तथा रक्तप्रदर, श्वेतप्रदर, अनियमित मासिकस्त्राव, गर्भाशय की सूजन, गर्मी के कारण बार-बार होनेवाला गर्भपात व अल्पमुत्रता में आशातीत लाभदायी है*
*4. सोने के पात्र का रखा जल या जल पात्र में स्वर्ण डला हुया पानी छाती के ऊपर सभी रोग अर्थात कफ विकृति से उतपन्न रोग जैसे मानसिक अवसाद अनिद्रा में रामबाण औषधि है*
*खास बातें :*
* भूखे पेट, भोजन की शुरुवात व अंत में, धुप से आकर, शौच, व्यायाम या अधिक परिश्रम व फल खाने के तुरंत बाद पानी पीना निषिद्ध है*
* अत्यम्बूपानान्न विपच्यतेन्नम अर्थात बहुत अधिक या एक साथ पानी पीने से पाचन बिगड़ता है | इसलिए मुहुर्मुहर्वारी पिबेदभूरी | बार-बार थोडा-थोडा पानी पीना चाहिए | |*
*लेटकर, खड़े होकर पानी पीना तथा पानी पीकर तुरंत दौड़ना या परिश्रम करना हानिकारक है | बैठकर धीरे-धीरे चुस्की लेते हुए बायाँ स्वर सक्रिय हो तब पानी पीना चाहिए |*
* प्लास्टिक की बोतल में रखा हुआ, फ्रिज का या बर्फ मिलाया हुआ पानी हानिकारक है |*
* सामान्यत: व्यक्ति के लिए एक दिन में डेढ़ से दो लीटर पानी पर्याप्त है या अपने वजन का दसवां भाग अत्यधिक मात्रा है और अपना वजन÷10 – 2 यह न्यूनतम मात्रा है | देश-ऋतू-प्रकृति आदि के अनुसार यह मात्रा बदलती है*
[28/10, 6:01 am] +91 87658 77512: 2️⃣8️⃣❗1️⃣0️⃣❗2️⃣0️⃣2️⃣5️⃣
*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*
*!! किसान और लोमड़ी !!*
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एक बार एक किसान जंगल में लकड़ी बिनने गया तो उसने एक अद्भुत बात देखी। एक लोमड़ी के दो पैर नहीं थे, फिर भी वह खुशी खुशी घसीट कर चल रही थी।
यह कैसे ज़िंदा रहती है जबकि किसी शिकार को भी नहीं पकड़ सकती, किसान ने सोचा। तभी उसने देखा कि एक शेर अपने दांतो में एक शिकार दबाए उसी तरफ आ रहा है। सभी जानवर भागने लगे, वह किसान भी पेड़़ पर चढ़ गया। उसने देखा कि शेर, उस लोमड़ी के पास आया। उसे खाने की जगह, प्यार से शिकार का थोड़ा हिस्सा डालकर चला गया।
दूसरे दिन भी उसने देखा कि शेर बड़े प्यार से लोमड़ी को खाना देकर चला गया। किसान ने इस अद्भुत लीला के लिए भगवान का मन में नमन किया। उसे अहसास हो गया कि भगवान जिसे पैदा करते हैं उसकी रोटी का भी इंतजाम कर देते हैं।
यह जानकर वह भी एक निर्जन स्थान में चला गया और वहां पर चुपचाप बैठ कर भोजन का रास्ता देखता। कई दिन गुज़र गए, कोई नहीं आया। वह मरणासन्न होकर वापस लौटने लगा।
तभी उसे एक विद्वान महात्मा मिले। उन्होंने उसे भोजन पानी कराया, तो वह किसान उनके चरणों में गिरकर वह लोमड़ी की बात बताते हुए बोला, महाराज, भगवान ने उस अपंग लोमड़ी पर दया दिखाई पर मैं तो मरते मरते बचा; ऐसा क्यों हुआ कि भगवान् मुझ पर इतने निर्दयी हो गए ?
महात्मा उस किसान के सर पर हाथ फिराकर मुस्कुराकर बोले, तुम इतने नासमझ हो गए कि तुमने भगवान का इशारा भी नहीं समझा, एक तो तुम जानबुझकर आलसी बने किसी विपदा से नहीं और दूसरा इसीलिए तुम्हें इस तरह की मुसीबत उठानी पड़ी। तुम ये क्यों नहीं समझे कि भगवान् तुम्हें उस शेर की तरह मदद करने वाला बनते देखना चाहते थे, निरीह लोमड़ी की तरह नहीं।
*शिक्षा:-*
हमारे जीवन में भी ऐसा कई बार होता है कि हमें चीजें जिस तरह समझनी चाहिए उसके विपरीत समझ लेते हैं। ईश्वर ने हम सभी के अंदर कुछ न कुछ ऐसी शक्तियां दी हैं जो हमें महान बना सकती हैं।
*सदैव प्रसन्न रहिये – जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*
*जिसका मन मस्त है – उसके पास समस्त है।।*
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