दिल्ली29दिसम्बर24*सीएम नीतीश कुमार क्यों गए दिल्ली?
बिहार में इस्तीफे की चर्चा के बीच मुख्यमंत्री का प्लान जान लें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दो दिनों की दिल्ली यात्रा पर निकल चुके हैं। निकलते ही उनके इस्तीफे की चर्चा तेजी से उठ गई। इस चर्चा को आगे बढ़ाने में प्रशांत किशोर की भी भूमिका रही और राष्ट्रीय जनता दल के नेता भी इस तरह की बातों को हवा दे रहे हैं।लेकिन, ‘अमर उजाला’ को मुख्यमंत्री आवास के विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि वह दो अलग-अलग काम के लिए दिल्ली गए हैं। उन्होंने अपनी प्रगति यात्रा पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद रोकी थी। अब वह उनके परिजनों से मिलकर ढांढ़स बंधाने के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ आगे की योजना तय करने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री के निधन के बाद बदला कार्यक्रम
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इस सीज़न की यात्रा बहुत हद तक असमंजस वाली रही। पहले तो दो बार तैयारियां होकर रह गईं, लेकिन औपचारिक एलान नहीं हुआ। फिर महिला संवाद का मुद्दा उठा तो औपचारिक तौर पर यात्रा का नाम- प्रगति यात्रा के रूप में सामने आया। खरमास में यात्रा शुरू भी हुई तो एक दिन क्रिसमस का अवकाश था। फिर यात्रा शुरू हुई तो अगले ही दिन पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के कारण वह निकलते-निकलते रुक गए। 27 और 28 दिसंबर की प्रगति यात्रा स्थगित रहने की औपचारिक जानकारी के साथ सात दिनों के राष्ट्रीय शोक के साथ राजकीय शोक का भी एलान हो गया। प्रगति यात्रा अब चार जनवरी से शुरू होगी। उसके पहले वह पूर्व प्रधानमंत्री के शोक-संतप्त परिजनों से मिलने के लिए दिल्ली रवाना हो गए। चार जनवरी से दूसरे चरण की यात्रा की गोपालगंज से शुरुआत होगी। पांच और छह जनवरी की तारीख अब मुजफ्फरपुर और वैशाली के लिए निर्धारित की गई है। यहां 27-28 दिसंबर को जाना था।
एनडीए नेताओं से अहम मुलाकात भी होगी वहां
दिल्ली में मुख्यमंत्री राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नेताओं से भी मुलाकात करेंगे। वह भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ मुलाकात के बाद संभवत: साझा संवाददाता सम्मेलन या बयान भी जारी कर सकते हैं। खरमास खत्म होने के बाद बिहार में 15 जनवरी से एनडीए के नेताओं की अलग तैयारी है, जिसकी सूचना वह दिल्ली में दे सकते हैं। इसकी उम्मीद इसलिए भी की जा रही है, क्योंकि पिछले दिनों मुख्यमंत्री के चेहरे के सवाल को लेकर गृह मंत्री और भाजपा के रणनीतिकार अमित शाह ने असमंजस वाला बयान दे दिया था। उसी बयान के बाद बार-बार कभी यह बात उठती है कि मुख्यमंत्री का भाजपा से फिर मोहभंग हो रहा है तो कभी यह कि महाराष्ट्र की तरह भाजपा के बिहार में अपने सबसे मजबूत सहयोगी को धोखा दे सकती है।
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