दिल्ली28दिसम्बर24*किसी नेता के गुजरने के बाद क्या हैं स्मारक बनाने के नियम, कैसे दी जाती है जमीन? जानिए A टू Z*
दिल्ली में डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर चल रही सियासत ने एक बार फिर से इस मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है। कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि सरकार पूर्व प्रधानमंत्री के अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए उचित जगह ढूंढने में नाकाम रही है, जबकि बीजेपी का कहना है कि विपक्ष इस मुद्दे पर राजनीति कर रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का अनुरोध था कि जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाए, वहीं स्मारक बने, लेकिन सरकार का मत अलग है। केंद्र सरकार मनमोहन सिंह का स्मारत तो बनवाएगी, लेकिन वहां नहीं जहां कांग्रेस चाहती है। अमित शाह का कहना है कि इसमें समय लगेगा। ऐसे में यह सवाल उठता है कि देश में पूर्व प्रधानमंत्रियों के स्मारक बनाने की क्या प्रक्रिया है?
किन लोगों को किया जाता है शामिल?
दिल्ली में समाधि स्थल का निर्माण एक गंभीर और व्यवस्थित प्रक्रिया है। भारत सरकार ने इस प्रक्रिया के लिए कुछ विशिष्ट नियम और प्रक्रियाएं निर्धारित की हैं। इन नियमों का पालन यह सुनिश्चित करता है कि केवल विशिष्ट श्रेणी के महान नेताओं और व्यक्तित्वों को ही राष्ट्रीय महत्व का समाधि स्थल प्रदान किया जाए।
आमतौर पर, दिल्ली में समाधि स्थल निम्नलिखित श्रेणी के व्यक्तियों के लिए बनाया जाता है:
भारत के राष्ट्रपतिः देश के प्रमुख होने के नाते राष्ट्रपति को हमेशा समाधि स्थल दिया जाता है।
भारत के प्रधानमंत्री: देश के कार्यकारी प्रमुख होने के नाते प्रधानमंत्री को भी समाधि स्थल दिया जाता है।
उप-प्रधानमंत्रीः यदि देश में उप-प्रधानमंत्री पद होता है और उस व्यक्ति ने देश के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान दिया हो, तो उन्हें भी समाधि स्थल मिल सकता है।
अन्य राष्ट्रीय महत्व के व्यक्तित्वः इस श्रेणी में वे सभी व्यक्ति आते हैं जिन्होंने देश के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान दिया हो, जैसे कि स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता, या ऐसे व्यक्ति जिन्होंने देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो।
सरकार की मंजूरी जरूरी है
केंद्र सरकार ही तय करती है कि किसी दिवंगत नेता को समाधि स्थल मिलेगा या नहीं। यह भी सरकार ही तय करती है कि समाधि स्थल राजघाट परिसर में बनेगा या नहीं। राजघाट, दिल्ली में है और एक राष्ट्रीय स्मारक है। यहीं और आसपास समाधि स्थल बनाए जाते हैं। राजघाट में जगह कम है। इसलिए सिर्फ़ चुनिंदा और महत्वपूर्ण लोगों को ही वहां समाधि स्थल मिलता है।
राजघाट और उससे जुड़े सभी समाधि स्थलों का प्रबंधन राजघाट क्षेत्र समिति देखती है। यह समिति संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत काम करती है। समाधि स्थल बनाने का फैसला लेते समय समिति कई बातों का ध्यान रखती है। जैसे कि जगह की उपलब्धता, व्यक्ति का योगदान और वर्तमान नीतियां।
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