November 18, 2025

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कौशाम्बी7सितम्बर25*बारियावा गांव के गौशाला में भूख प्यास और चिकित्सा के अभाव में दम तोड़ रहे गौवंश*

कौशाम्बी7सितम्बर25*बारियावा गांव के गौशाला में भूख प्यास और चिकित्सा के अभाव में दम तोड़ रहे गौवंश*

कौशाम्बी7सितम्बर25*बारियावा गांव के गौशाला में भूख प्यास और चिकित्सा के अभाव में दम तोड़ रहे गौवंश*

*पशुओं को टैग नंबर जारी करके रजिस्टर में आंकड़ा दर्ज कर लिया जाए तो गौ संरक्षण केंद्र का भ्रष्टाचार होगा उजागर*

*5 वर्ष बीत जाने के बाद भी गौ संरक्षण केंद्र में पशुओं के आने-जाने और उनके मरने बीमार होने का रजिस्टर नहीं बनाया गया*

*कौशांबी।**चायल तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत बारियावा के गौशाला की दुर्दशा के चलते गौवंश भूख प्यास और चिकित्सा के अभाव में दम तोड़ रही हैं। यही स्थिति जिले के अन्य गौसंरक्षण केंद्रों की भी है। गौ संरक्षण केंद्र संचालक मनमानी पर उतारू है और पशुओं को मिलने वाले भूसा चारा को पूरा नहीं खरीदते हैं जिससे पशुओं को भरपेट चारा पानी नहीं मिलता है जबकि पशुओं को देख रेख के लिए सरकार से पर्याप्त बजट मिलता है उसके बाद जन सहयोग से भी अपील करके भूसा चारा की व्यवस्थाएं प्रशासन द्वारा कराई जाती है। केयरटेकर भी मनमानी पर उतारू है देखरेख के अभाव में पशु रोज कमजोर हो रहे हैं बीमार हो रहे हैं लेकिन पशु चिकित्सक बीमार पशुओं का इलाज नहीं कर रहे हैं।

योगी सरकार की यह अति महत्वपूर्ण योजना अपने उद्देश्य से भटक गई है। सरकार की मंशा थी कि गौपालन हो और गाय की संख्या बढ़े लेकिन पंचायत विभाग के अधिकारियों से लेकर पशुपालन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते गौसंरक्षण केंद्र के जिम्मेदार मनमानी पर उतारू है और गौसंरक्षण केंद्र को कमाने खाने का साधन बना चुके हैं। पशुओं के भोजन चारा में कटौती करके खुलेआम बड़ा भ्रष्टाचार हो रहा है। पशुओं को सूखा भूसा वह भी आधा पेट दिया जाता है। दाना खली और पौष्टिक आहार पशुओं को नहीं मिल पाता है जिसमें गाय की देख रेख के लिए आने वाले सरकारी बजट में योजना से जुड़े अधिकारी बंदरबाट कर रहे हैं। जिले में करोड़ों रुपए महीने की यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है।

इतना ही नहीं गौ संरक्षण केंद्र में मौजूद पशुओं के आंकड़ों में भी बड़ा खेल होता है। 5 वर्ष पहले जितने गौ संरक्षण केंद्र में पशु थे उसके बाद प्रत्येक महीने गौ संरक्षण केंद्र में पशु आते है। आवारा पशुओं को गौ संरक्षण केंद्र में पहुंचाया जाता है लेकिन उनकी संख्या अभी तक उतनी ही रह गई है जितनी 5 वर्ष पहले गौसंरक्षण केंद्र में पशुओं की संख्या थी किस तारीख को कितने पशु बीमार हुए किस तारीख को कितने पशुओं की मौत हुई इसका आंकड़ा गौसंरक्षण केंद्र में नहीं है। 5 वर्ष बीत जाने के बाद भी गौ संरक्षण केंद्र में पशुओं के आने-जाने और उनके मरने बीमार होने का रजिस्टर नहीं बनाया गया है जो योजना की पूरी व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। विभागीय लोगों की बातों को माने तो यह सब कुछ पंचायत विभाग और पशुपालन विभाग के अधिकारियों के संरक्षण में हो रहा है।

अधिकारी भी नहीं चाहते कि गौ संरक्षण केंद्र में पशुओं का साफ सुथरा आंकड़ा बन सके यदि साफ सुथरा आंकड़ा गौ संरक्षण केंद्र में पशुओं का बन जाएगा तो गौसंरक्षण केंद्र के भ्रष्टाचार की कलई खुल जाएगी और अधिकारियों के भ्रष्टाचार के कारनामे पर योगी सरकार अधिकारियों को दंडित कर देगी इसलिए अभी तक गौ संरक्षण केंद्र में पशुओं की उपस्थिति उसके बाद कितने पशु आए कितने पशुओं की मौत हुई है किस तारीख को पशुओं की मौत हुई है इसका आंकड़ा लिखा पढ़ी रजिस्टर में नहीं बनाया गया है। पशुओं को टैग करके उनका नंबर रजिस्टर में नहीं दर्ज किया गया है कि किस टैग नंबर का पशु किस तारीख को मरा है और इसी कारण गौ संरक्षण केंद्र में बीते 5 वर्ष से अधिकारियों के संरक्षण में बड़ा खेल हो रहा है जो बड़ा गंभीर सवाल खड़ा है और इस पर योगी सरकार ने जांच कराई तो पशुपालन विभाग से लेकर के पंचायत विभाग के अधिकारियों के भ्रष्टाचार की कलाई उजागर होगी।

 

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