June 23, 2025

UPAAJTAK

TEZ KHABAR, AAP KI KHABAR

अलीगढ़23मई25*कछुए गंगा को कर रहे हैं साफ,बढ़ रहा हैं इनका कुनबा,10 जिलों में 10 हजार कछुए छोड़े गए गंगा में*

अलीगढ़23मई25*कछुए गंगा को कर रहे हैं साफ,बढ़ रहा हैं इनका कुनबा,10 जिलों में 10 हजार कछुए छोड़े गए गंगा में*

अलीगढ़23मई25*कछुए गंगा को कर रहे हैं साफ,बढ़ रहा हैं इनका कुनबा,10 जिलों में 10 हजार कछुए छोड़े गए गंगा में*

अलीगढ़।कछुए गंगा को साफ कर रहे हैं अपना कुनबा बढ़ा रहे हैं।इनमें से एक लुप्तप्राय: प्रजाति के हैं।गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर और उत्तर प्रदेश वन विभाग के प्रयास से ऐसा संभव हुआ है।इसके तहत मेरठ,बिजनौर,मुजफ्फरनगर,अमरोहा,कासगंज, शाहजहांपुर और अलीगढ़ सहित दस जिलों के 66 से अधिक गांवों में कछुओं को संरक्षित किया जा रहा है।यहां से अभी तक दस हजार से अधिक कछुओं को गंगा में छोड़ा जा चुका है।अलीगढ़ से गंगा में छोड़े गए कछुओं की संख्या लगभग 2500 है।यह कछुए सड़े हुए फल,पत्ती,सब्जी,शवों,अस्थियों और कीड़े-मकौड़ों को खाकर गंगा को साफ करते हैं।

बता दें कि केंद्र सरकार ने नमामि गंगे योजना में भी कछुओं के संरक्षण को शामिल किया है।कछुओं की तीन प्रमुख प्रजातियों थ्री- स्ट्रिप्ड रूफ्ड टर्टल, इंडियन टेंट टर्टल और ब्राउन रुफड़ टर्टल को संरक्षित किया जा रहा है।इनमें थ्री-स्ट्रिप्ड रूफ्ड टर्टल को आईयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर यानी अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ) द्वारा लुप्तप्राय: सूची में शामिल किया गया है।

*यूपी के इन जिलों में बनीं कछुआ हेचरी*

मेरठ के मखदूमपुर,बुलंदशहर के आहर,अलीगढ़ के किरतौली, कासगंज के इस्माइलपुर और शाहजहांपुर के गोरा में इन-सीटू कछुआ हेचरी बनाई गईं हैं।इनमें से मेरठ, बुलंदशहर,अलीगढ़ और कासगंज की हेचरी गंगा नदी के तट के किनारे हैं।शाहजहांपुर की हेचरी रामगंगा नदी के तट पर है। इन हेचरियों में 338 घोंसले बनाए गए हैं,इनमें कछुओं को वैज्ञानिक विधि से संरक्षित रखा जाता है।मई के अंतिम सप्ताह में कुछए हेचरी से बाहर आएंगे,इनको एक्स-सीटू कछुआ संरक्षण केंद्र में रखा जाएगा। कुछ दिनों तक यहां रखने के बाद बारिश के बाद इनको गंगा में छोड़ा जाएगा।

*गंगा मित्र कर रहे हैं मदद*

कछुओं के संरक्षण में स्थानीय ग्रामीण मदद कर रहे रहे हैं, इन्हें गंगा मित्र नाम दिया गया है।गंगा मित्र अंडों को खोजने, निगरानी और संरक्षण में सहायता करते हैं।

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और उत्तर प्रदेश वन विभाग ने मिलकर अब तक गंगा और रामगंगा में दस हजार से अधिक कछुए छोड़े हैं। इनमें दुर्लभ प्रजाति की थ्री-स्ट्रिप्ड रूफ्ड टर्टल भी शामिल है। गंगा मित्रों के सहयोग से यह संभव हुआ है।-डॉ. हरि मोहन, एसोसिएट कॉर्डिनेटर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ।

अलीगढ़ के गांव किरतौली में कछुआ संरक्षण केंद्र 2022 में खोला गया था। अब तक करीब 2500 कछुए गंगा में छोड़े जा चुके हैं। हेचरी में चार सौ अंडे संरक्षित हैं। इनमें से बच्चे निकलने के बाद उन्हें संरक्षण केंद्र में रखा जाएगा। – नवीन प्रकाश शाक्य, डीएफओ, अलीगढ़।

Taza Khabar

Copyright © All rights reserved. | Newsever by AF themes.