May 11, 2025

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अयोधया 24 अगस्त *आर्य समाज मंदिर रुद्रावली ने श्रावणी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया*

अयोधया 24 अगस्त *आर्य समाज मंदिर रुद्रावली ने श्रावणी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया*

*अब्दुल जब्बार एडवोकेट व सतिन्द्र शास्त्री की रिपोर्ट*

अयोधया 24 अगस्त *आर्य समाज मंदिर रुद्रावली ने श्रावणी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया*

*आर्य समाज का राष्ट्र व समाज के निर्माण में महती योगदान…….विधायक रामचंद्र यादव*

भेलसर(अयोध्या)आर्य समाज मंदिर में श्रावणी उपाक्रम रक्षाबंधन का कार्यक्रम हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
इस अवसर पर यज्ञाचार्य राजेंद्र प्रसाद शास्त्री के वैदिक यज्ञ संपन्न कराया जिसमें चारों वेदों के मंत्रो से यज्ञ कुंड में विशेष आहुति डाली गई।उपस्थित आर्य जनो ने यज्ञोपवीत धारण किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक रामचंद्र यादव सभापति सार्वजनिक उपक्रम निगम संयुक्त समिति विधानसभा उत्तर प्रदेश ने कहा कि श्रावणी पर्व का वैदिक काल से ही अत्यधिक महत्व रहा है।बहनें अपने भाइयों को राखी बांधकर परस्पर रिश्ते को आजीवन निर्वहन करने का व्रत लेती हैं।आर्य समाज वसुधैव कुटुंबकम् की भावना से सब को एक परिवार मानकर अखंड भारत की परिकल्पना करता है।उन्होंने कहा कि राष्ट्र व समाज के निर्माण में आर्य समाज की महती भूमिका रही है।वैदिक धर्म ही सत्य सनातन है।जिसे आर्य समाज के मनीषियों व चिंतकों ने आगे बढ़ाया है हम सबको मिलकर आज समाज में में फैली हुई विसंगतियों को दूर करना है।उन्होंने सभी को पर्व की बधाई दी।कार्यक्रम का संचालन करते हुए आर्य समाज के मंत्री सतींद्र प्रकाश शास्त्री ने कहा कि श्रावणी पर्व को ऋषि तर्पण भी कहा गया है।क्षत्रिय वर्ग जब अपनी दिग्विजय यात्रा पूरी कर वापस अपने राज में आता तथा व्यापारी भी व्यापार यात्रा से विश्राम पाते थे लंबे अवकाश में जनता वेद के पठन-पाठन में प्रवृत्त होती थी।ऋषि मुनि सन्यासी और महात्मा लोग भी वर्षा के कारण और बनस्थली को छोड़कर ग्रामों के निकट आकर रहने लगते थे और वेद पाठन धर्म उपदेश ज्ञान चर्चा में अपना चातुर्मास चौमासा बिताते थे।वेद का अध्ययन करने वाले लोग ऋषिओ से ज्ञानार्जन कर वेद पाठ को सुनते थे।इसे ऋषि तर्पण भी कहा जाता है।आचार्य राजेंद्र शास्त्री ने कहा कि माता पिता ही सबसे बड़ा गुरु होता है।उसे नित प्रणाम करना चाहिए।आर्य समाज के उपप्रधान राम शंकर यादव ने कहा कि ज्ञान न प्राप्त करने के कारण लोग अंधकारमय जीवन व्यतीत करते हैं इसलिए सभी को आर्ष ग्रंथ का अध्ययन करना चाहिए यज्ञ ही सबसे श्रेष्ठ कर्म है।प्रवक्ता आशीष शर्मा ने कहा कि जब चर्चा विचार विनिमय होगा तभी ग्रंथों की गूढ़ बाते सामने आती हैं भारत सदैव से ही विश्व गुरु रहा है जिसका शैक्षिक और बौद्धिक स्तर पूरे विश्व में जाना जाता है।आर्य समाज के प्रधान सुभाष चन्द्र आर्य ने सभी का आभार व्यक्त कर वैदिक पद्धति का अनुकरण कर स्वामी दयानंद सरस्वती के सन्मार्ग पर चलने का आह्वान किया।अन्य वक्ताओं में विंध्य वासिनी प्रसाद मिश्र चंचल,भाजपा नगर अध्यक्ष शेखर गुप्ता,आर्य समाज के उपमंत्री बृजेश कुमार धवन,कोषाध्यक्ष प्रेम हरि आर्य,पूर्व मंत्री राजकुमार गुप्त,विधायक प्रतिनिधि राज किशोर सिंह आदि थे।प्रमुख उपस्थित लोगो मे हरिशंकर आर्य,मनीष आर्य,आशीर्वाद गुप्ता,भीष्म नारायण,नितिन आर्य,विवेक गुप्ता,सुशांतआर्य,राजेंद्र कौशल,गोपीचंद,नीरज आर्य,विनोद यज्ञसैनी,शशांक आर्य,सुधीर बंटी,नीरज आर्य,रमेश विश्वकर्मा आदि उपस्थित रहे।शान्ति पाठ के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ।

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