अनूपपुर 21 अगस्त 24*अमरकंटक मां नर्मदा नदी तट रामघाट में संत , ब्राम्हणों द्वारा श्रावणी उपाकर्म किया गया ।
श्रावण मास में मृत्युंजय आश्रम में रुद्राभिषेक , कांवरियों की ठहरने , भोजन की रही पूरी व्यवस्था ।
अनूपपुर (ब्यूरो राजेश शिवहरे)मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली / पवित्र नगरी अमरकंटक में रक्षाबंधन के पावन पर्व और श्रावण मास के अंतिम सावन सोमवार को संतजन तथा ब्राम्हणों की टोली नर्मदा नदी तट रामघाट में विद्वान पंडितो द्वारा उपकर्म कराया गया ।
श्रावणी उपकर्म में यज्ञोंपवित पूजन , उपनयन करने का विधान है । श्रावणी उपकर्म किसी विद्वान ब्राह्मणों या योग्य गुरु के सानिध्य में संपन्न किये जाते है । इस कर्म को संपन्न करने की विधि में मुख्य रूप से गौ दुग्ध , दही , घी , गोबर , गौमूत्र आदि तथा पवित्र कुशा से स्नान करते है । इस कर्म के बाद साल भर के जाने अनजाने किए गए पापकर्मो का प्रायश्चित करते है । श्रावणी उपकर्म का मुख्य उद्देश्य ब्राम्हणों द्वारा अपने जनेऊ को बदलना होता है । श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है । यह संस्कार धार्मिक शुद्धता और कर्तब्यो की पुनः स्मृतियों के लिए किया जाता है । ब्राम्हण स्नान कर्म करने के बाद अपने जनेऊ बदलते है । महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंद सरस्वती जी महाराज और श्रीमहंत स्वामी रामभूषण दास जी ने बताया कि धर्मग्रंथों में लिखा है की उपाकर्म का अर्थ है प्रारंभ करना । श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के शुभ दिन रक्षाबंधन के साथ ही श्रावणी उपाकर्म का पवित्र संयोग बनता है । पापो से बचने का संकल्प लिया जाता है । यह विधान हमे स्वाध्याय और सुसंस्कारो के विकास के लिए प्रेरित करता है ।
श्रावण का महीना और सावन का आखिरी सोमवार का दिन बड़ा ही पतित पावन अवसर पर लोग नर्मदा स्नान , पूजन , दान , दर्शन हेतु भारी संख्या में श्रद्धालु अमरकंटक पहुंचे ।
मृत्युंजय आश्रम में पूरे श्रावण मास महीने भर रुद्राभिषेक , पूजा पाठ लगातार चला । साथ ही आश्रम में श्रावण मास में आने वाले कांवरियों की ठहरने , भोजन आदि की पूरी व्यवस्था रही । पंडित योगेश दुबे ने बताया की आश्रम में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 31 विद्वान ब्राह्मणों द्वारा रोजाना रुद्राभिषेक , पूजा पाठ किया जाता रहा तथा आश्रम के स्वामी हरिहरानंद सरस्वती जी महाराज भी रोजाना प्रातः रुद्राभिषेक करते थे । स्वामी जी को मन में आया की शिवलिंग पर चढ़ाने हेतु बेलपत्र की क्षेत्र में कमी महसूस होने पर उन्होंने सैकड़ों बेल के वृक्ष और अन्य पौध रोपण जनप्रतिनिधि , अधिकारीगण , नगरवासी ,स्कूली बच्चे साथ मिलकर कराया गया ।
आश्रम द्वारा अमरकंटक आने वाले कांवरियों को ठहरने , भोजन आदि की पूरी व्यवस्था बनी रही । क्षेत्र में रोजाना सैकड़ों की टोली बोलबम की जयकारों की ध्वनि के साथ बड़े वाहन , छोटे वाहन , मोटरसाइकिल , पैदल भक्ति का आवागमन पूरे सावन माह भर बना रहा । आश्रम में कांवरियों को ठहरने हेतु बड़े बड़े हाल , कमरे साथ ही भोजन आदि की व्यवस्था करवाई जाती रही । मृत्युंजय आश्रम में श्रावण मास भर रोजाना मेला स लगा रहता था ।
More Stories
मुगलसराय10दिसम्बर24*लंबित मुक़दमे में कांग्रेस जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी हुए बरी*
अयोध्या10दिसम्बर24*श्रीराम बारात जनकपुर से वापस अयोध्या पहुंची तो पुष्प वर्षाकर हुआ जोरदार स्वागत
गाजीपुर10दिसम्बर24*पवहारी अंध एवं मूक बधिर विद्यालय मे हस्तकला प्रदर्शनी