लखनऊ01मई23*राष्ट्रीय निषाद संघ व ओबीसी महासभा भाजपा हराने की बनाएगा रणनीति*
*भाजपा के रहते ओबीसी, एससी हितों की रक्षा असम्भव -लौटनराम निषाद*
लखनऊ। आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए राष्ट्रीय निषाद संघ एवं भारतीय ओबीसी महासभा विशेष रणनीति बनाकर काम करेगा। भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता व राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ. लौटनराम निषाद ने यहाँ जारी अपने बयान में कहा कि भाजपा के रहते ओबीसी, एससी व निषाद /मछुआरा समाज के हितों की रक्षा सम्भव नहीं है। उन्होंने बताया कि जिस तरह लोकसभा चुनाव -2009 में राष्ट्रीय निषाद संघ ने कांग्रेस के लिए रणनीतियाँ बनाकर काम किया था, उसी तरह की रणनीति लोकसभा चुनाव -2024 में भाजपा को हराने के लिए बनाकर काम किया जायेगा। उत्तर प्रदेश की 80 में 19 लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहाँ निषाद (मल्लाह, केवट, कश्यप, बिन्द) व लगभग 2 दर्जन लोकसभा क्षेत्र में निषाद -लोधी -किसान -कश्यप बेहद निर्णायक व प्रभावी हैं। उत्तर प्रदेश में पिछड़ों में सबसे अधिक आबादी निषाद मछुआरा समुदाय की जातियों की होने के बाद भी यह जातियाँ दोयमदर्जे की शिकार हैं। बताया कि 2008-09 में श्री दिग्विजय सिंह जी उत्तर प्रदेश के प्रभारी थे, उस समय बड़े से बड़े कांग्रेस नेता रायबरेली, अमेठी के बाद कानपुर व धौरहरा में ही जीत की संभावना देख रहे थे। दिग्विजय सिंह जी ने ज़ब हमसे पूछे कि लौटनराम कांग्रेस उत्तर प्रदेश से कितनी सीटें जीतेगी और हमने कहा कि राजा साहब! 18 से 22, तो वे कहे ऐसा नहीं दिख रहा। हमने कहा, राजा साहेब!जीत वाली सीटों को नोट कर लीजिये। ज़ब परिणाम आया तो मेरे द्वारा बताई गयी सभी सीटों पर जीत मिली, मात्र जीतने वाली बताई गयी फतेहपुर सिकरी पर राजबब्बर जी लगभग 6 हजार वोटों से हरा दिए गए और लखीमपुर खीरी पर कांग्रेस जीत गयी। उन्होंने बताया कि कांग्रेस की इस अप्रत्याशित जीत में निषाद, किसान व मुसलमान की अहम भूमिका रही। कांग्रेस के कुछ रणनीतिकार व प्रियंका गाँधी जी के कुछ सलाहकार ही कांग्रेस का बेड़ा गर्क कर रहे हैं। भाजपा के एक बड़े नेता का रिश्तेदार कांग्रेस को खत्म करने में जुटा हुआ है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रदेश अध्यक्ष दलित (जाटव ) के साथ 2 ब्राह्मण,1-1 भूमिहार ब्राह्मण, यादव, कुर्मी, मुस्लिम को क्षेत्रीय अध्यक्ष बनाया गया है लेकिन 33-34 फीसदी अति पिछड़ों को बिल्कुल नकार दिया गया। अतिपिछड़ों में निषाद, कश्यप, बिन्द, लोधी, किसान,मौर्य /कुशवाहा/शाक्य /सैनी, पाल /बघेल, साहू, राजभर, चौहान,प्रजापति, विश्वकर्मा, नाई अच्छी संख्या में हैं। निषाद /कश्यप, पाल /बघेल,काछी/कोयरी /कुशवाहा /शाक्य /सैनी /मौर्य,साहू /तेली, प्रजापति, विश्वकर्मा, नाई /सबिता प्रदेश के हर क्षेत्र में कम या अधिक निश्चित रूप से पायी जाती हैं।
निषाद ने बताया कि गोरखपुर, बांसगांव (सु ), संतकबीरनगर, अम्बेडकर नगर, मिर्जापुर, भदोही, जौनपुर, फतेहपुर, फतेहपुर सिकरी, बहराइच (सु ), प्रयागराज, उन्नाव, शाहजहांपुर (सु ),कैराना,महाराजगंज,चन्दौली, कानपुर देहात, आँवला, सुल्तानपुर निषाद समाज की प्रभावी सीटें हैं। गाज़ीपुर, हमीरपुर, अयोध्या, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, चन्दौली, मछलीशहर (सु ), फूलपुर, बस्ती, लालगंज (सु.), वाराणसी, बलिया, धौरहरा, फिरोजाबाद, मुजफ्फरनगर, बागपत, चित्रकूट में निषाद मतदाता निर्णायक हैं. कन्नौज, पीलीभीत, इटावा(सु )मैनपुरी, एटा, बुलंदशहर (सु ), अलीगढ़, हाथरस (सु ), आगरा (सु ), बाराबंकी (सु ), बदायूं, रामपुर, झाँसी, फर्रुखाबाद, हरदोई (सु ), जालौन (सु ) आदि में निषाद -लोधी -कश्यप -किसान अत्यंत निर्णायक व प्रभावी हैं। आज़मगढ़, रायबरेली,गोण्डा, सलेमपुर, देवरिया,राबर्ट्सगंज, वाराणसी, प्रतापगढ़, अमेठी, मोहनलालगंज (सु ), लखीमपुर, धौरहरा, बरेली, अमरोहा, प्रतापगढ़ में भी निषाद -लोधी -कश्यप एक से 2 लाख की संख्या में हैं।
निषाद ने कहा कि भाजपा सरकार लोकतंत्र, संविधान व आरक्षण को खत्म करने में पूरी तरह जुटी हुई है। ओबीसी आरक्षण कोटे की खुलेआम हकमारी की जा रही है। ओबीसी हितों पर भाजपा सरकारों द्वारा की जा रही चोट पर भाजपा के ओबीसी नेताओं की चुप्पी उनके निजस्वार्थ व गुलामगिरी का परिचायक है। मध्य प्रदेश सरकार व भाजपा ने कांग्रेस सरकार द्वारा 14 प्रतिशत ओबीसी कोटा को विस्तारित कर 27 प्रतिशत किया था जिसे प्रशासनिक व न्यायिक अड़ंगाबाज़ी कर रोकवा दिया। वही तथाकथित ओबीसी मुख्यमंत्री ने पिछड़ा वर्ग को अपमानित करते हुए हिजडों को पिछड़ों की सूची में शामिल कर पिछड़ों को हिजड़ा बना दिया। छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने ओबीसी कोटा को 14 से 27 प्रतिशत किया तो भाजपा के 5 ब्राह्मणों ने उच्च न्यायालय में विरोध करते हुए याचिका दाखिल कर दिया और दूसरी तरफ भाजपा की राज्यपाल अनुसूईया उइके ने आरक्षण संशोधन बिल पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। झारखण्ड की हेमंत सोरेन सरकार ने ओबीसी का कोटा 13 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया तो भाजपा के राज्यपाल ने आरक्षण संशोधन प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास सबका प्रयास का नारा देने वाली भाजपा का यही असली चाल -चरित्र और चेहरा है। मंडल विरोधी भाजपा से ओबीसी सामाजिक न्याय की कल्पना करना बेवकूफी है। उन्होंने कहा कि जिस तरह बिल्ली से दूध व जंगली कुत्ते से मेमना की रखवाली असम्भव है, उसी तरह मंडल कमिशन विरोधी भाजपा से ओबीसी आरक्षण का संरक्षण असम्भव है।

More Stories
लखनऊ29अक्टूबर25*यूपीआजतक न्यूज चैनल पर रात 10 बजे की बड़ी खबरें……………….*
बुलन्दशहर29अक्टूबर25*उद्योगपति परिवार की बहू एसएसपी ऑफिस पहुंची,
पूर्णिया बिहार 29 अक्टूबर25* कस्बा विधानसभा में कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी की सभी मे उमड़ा जनसैलाब।