मुम्बई12मई*संभाजी राजे छत्रपती बौद्ध धम्म की दीक्षा लें।:- डॉ. राजन माकणीकर*
*मुंबई: दि (संवाददाता) राजश्री शाहू महाराज के वंशजों को ब्राह्मणी प्रथा के अनुसार मंदिर में प्रवेश से रोका गया, ऐसी अमानवीय और असमानता वादी व्यवस्था को ठोकर मारकर युवराज संभाजी राजे छत्रपती ने बौद्ध धम्म को आपणाने का निमंत्रण भारतीय बौद्ध महासभा के पूर्व केंद्रीय शिक्षक और पूर्व श्रामनेर डॉ. राजन माकणीकर ने मीडिया द्वारा दिया।*
हाल ही राजश्री साहू महाराज के 100वें स्मृति दिवस के अवसर पर, संबंध भारत ने अभिवादन किया.
बहुजनों के अधिकारों के लिए समानता के द्वार खोलने वाले महामानव के वंशजों को मंदिर में प्रवेश से वंचित करना
यानी संविधान को रौंदकर मनुस्मृति को लागू करने जैसा है।
डॉ. माकणीकर ने यह भी कहा कि रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में, सार्वजनिक रूप से मंदिर में प्रवेश से इनकार करने का विरोध कर और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग कर रहे है।
मनुस्मृति के नियमों का पालन किया जा रहा है और इस तरह की पाखंडी प्रवृत्तियों को रोकने के लिए बुद्ध धम्म की सख्त जरूरत है। अगर संभाजी राजे छत्रपती धम्म की ओर कदम बढ़ाते है तो देश में आमूलचूल परिवर्तन होगा।
है। संभाजी यांनी छत्रपती मेरा बुद्ध धम्म का निमंत्रण स्वीकार करते हैं तो अंतरराष्ट्रीय पूज्य भन्ते विशुद्धानंद बोधि महाथेरो
और पूज्य भंते शिलबोधि (गडकिले लेनी संवर्धक) उनके हाथों दीक्षा कार्यक्रम शुरू करने का विचार है येह बात डॉ. माकणीकर ने कही।
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