July 5, 2025

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मिर्ज़ापुर3अगस्त24*डोम-धैकार समाज की रोजी-रोटी छिनने तथा सामाजिक व्यवस्था में किया जा रहा हस्तक्षेप।

मिर्ज़ापुर3अगस्त24*डोम-धैकार समाज की रोजी-रोटी छिनने तथा सामाजिक व्यवस्था में किया जा रहा हस्तक्षेप।

मिर्जापुर से बसन्त कुमार गुप्ता की रिपोर्ट यूपी आजतक

मिर्ज़ापुर3अगस्त24*डोम-धैकार समाज की रोजी-रोटी छिनने तथा सामाजिक व्यवस्था में किया जा रहा हस्तक्षेप।

आपको अवगत कराना है कि समस्त प्रार्थी गण ग्राम सभा भोगांव विकासखंड कोन (चिल्ह) तहसील सदर जनपद मीरजापुर के मूल निवासी हैं। प्रार्थी डोम -धैकार (अनुसूचित जाति)समाज के हैं जो हजारों सालों से परंपरा तरीके से भोगांव गंगा घाट पर मृतक शवों का शवदाह करतें हैं, समाज की अपनी सामाजिक व्यवस्था है जिसमें सभी लोग बारी-बारी से अपना नंबर आने पर शवदाह का कार्य करते हैं। शवदाह के कार्य से जो भी कमाई होती है उसी से अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण करतें हैं, बच्चों की पढ़ाई लिखाई,दवाई आदि, यूं कहिए शवदाह से ही घरों में चूल्हा चलता है। शवदाह के अतिरिक्त प्रार्थियों के पास आजीविका का अन्य साधन नहीं है।
जैसा कि भोगांव गंगा घाट पर नमामि गंगे परियोजना के तहत् निर्मित में डोम-धैकार समाज को शवों को जलाने का अधिकार जिला प्रशासन द्वारा दिया गया है जिसमें ठेकेदार और पुलिस प्रशासन के हस्तक्षेप को भी अलग किया गया है, बावजूद इसके ठेकेदार द्वारा पिछले 20 दिनों से गंगा घाट पर आने वाले शवों से 1 हजार रुपए की पर्ची काट लें रहा है उसके बाद जिस धैकार का नंबर होता है उसे बोला जाता है कि तुम अलग से पैसे लो, जबकि ठेकेदार का 1 हजार की पर्ची काटने का कोई अधिकार नहीं रह सब दबंगई के बल पर हो रहा है।जब प्रार्थियों ने इसका विरोध किया तो उनके साथ गाली-गलौच की गई तथा धमकी दी गई कि, जो करना है कर लो कुछ नहीं होने वाला , तुम लोगों का शासन प्रशासन कोई नहीं सुनेगा। पिछले दिनों हम समस्त प्रार्थियों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा था लेकिन आज-तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। जिससे ठेकेदार का मनोबल और बढ़ गया है। दिनांक 03/08/2024 को सम्पूर्ण समाधान दिवश पर अपर जिलाधिकारी मीरजापुर को ज्ञापन देने गये तो वो बोल रहें हैं कि यह जिला पंचायत का मामला हैं, जिला पंचायत में जाइए, यहां जिला पंचायत की सुनवाई नहीं होती और ज्ञापन लेने से मना कर दिया।

मुख्यमंत्री महोदय आपसे विनम्र निवेदन है कि हम समस्त प्रार्थीगण प्राचीन भारतीय हिंदू समाज की परंपरा के वाहक हैं और बिना हमारे हाथों के आगे दिए मृतकों का उद्धार नहीं होता,यह हमारे धर्म में भी वर्णित हैं। अतः हम सभी प्रार्थियों की पीड़ा को गंभीरता से संज्ञान लेते हुए आवश्यक कार्यवाही करें।

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