[18/11, 11:08 am] +91 99191 96696: *यूपी बोर्ड: इंटर की प्रैक्टिकल परीक्षाएं 25 जनवरी से शुरू, दो चरणों में होगा संपन्न*
प्रयागराज।यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट की प्रैक्टिकल परीक्षाएं 25 जनवरी से शुरू होकर दो चरणों में 9 फरवरी तक चलेंगी। सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने शुक्रवार को प्रायोगिक परीक्षा का कार्यक्रम जारी किया। पहले चरण में आगरा, सहारनपुर, बरेली, लखनऊ, झांसी, चित्रकूट, फैजाबाद, आजमगढ़, देवीपाटन और बस्ती मंडलों में 25 जनवरी से एक फरवरी तक प्रैक्टिकल कराए जाएंगे। दूसरे चरण में अलीगढ़, मेरठ, मुरादाबाद, कानपुर, प्रयागराज, मिर्जापुर, वाराणसी व गोरखपुर मंडल की प्रयोगात्मक परीक्षाएं दो से नौ फरवरी तक कराई जाएगी। वहीं विद्यालय स्तर पर कक्षा 12 की प्री-बोर्ड प्रयोगात्मक परीक्षाएं पांच से 12 जनवरी के बीच कराने के निर्देश दिए गए हैं। विद्यालय स्तर पर होने वाली कक्षा 9 व 11 की वार्षिक परीक्षाएं तथा कक्षा 10 एवं 12 की प्री-बोर्ड लिखित परीक्षाएं 13 से 22 जनवरी तक होगी। हाईस्कूल की प्रयोगात्मक परीक्षा (आंतरिक मूल्यांकन), नैतिक, खेल एवं शारीरिक शिक्षा तथा इंटर की खेल एवं शारीरिक शिक्षा के प्राप्तांक स्कूलों के प्रधानाचार्य बोर्ड के पोर्टल पर अपलोड करेंगे। इसके लिए पोर्टल दस जनवरी से चालू होगा। 2024 की इंटर परीक्षा के लिए 25,60,882 (14,12,806 बालिक व 11,48,076 बालिका) पंजीकृत हैं।
*सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में होंगे प्रैक्टिकल*
प्रयागराज। इंटर की प्रायोगिक परीक्षाएं पिछले सालों की तरह सीसीटीवी की निगरानी में होंगी। प्रधानाचार्य रिकॉर्डिंग को सुरक्षित रखेंगे और मांगे जाने पर बोर्ड के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को उपलब्ध कराएंगे। हाईस्कूल का प्रोजेक्ट आधारित आंतरिक मूल्यांकन स्कूल स्तर पर कराया जाएगा। हाईस्कूल के प्राइवेट छात्र अपने अग्रसारण केंद्र के प्रधानाचार्य से संपर्क कर प्रयोगात्मक परीक्षा में सम्मिलित होंगे।
[18/11, 11:08 am] +91 99191 96696: *हरियाणा सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका, प्रदेशवासियों को निजी नौकरी में 75 फीसदी आरक्षण का कानून रद्द*
चंडीगढ़।हरियाणा सरकार द्वारा निजी क्षेत्र की नौकरियों में प्रदेश के निवासियों को 75 प्रतिशत आरक्षण के कानून को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। फरीदाबाद इंडस्ट्रियल एसोसिएशन व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था कि निजी क्षेत्र में योग्यता और कौशल के अनुसार लोगों का चयन किया जाता है। अगर नियोक्ताओं से कर्मचारी को चुनने का अधिकार ले लिया जाएगा तो उद्योग कैसे आगे बढ़ सकेंगे। हरियाणा सरकार का 75 प्रतिशत आरक्षण का फैसला योग्य लोगों के साथ अन्याय है। यह कानून उन युवाओं के सांविधानिक अधिकारों का हनन है जो अपनी शिक्षा और योग्यता के आधार पर भारत के किसी भी हिस्से में नौकरी करने को स्वतंत्र हैं। याची ने कहा कि यह कानून योग्यता के बदले रिहायश के आधार पर निजी क्षेत्र में नौकरी पाने की पद्धति को शुरू करने का प्रयास है। ऐसा हुआ तो हरियाणा में निजी क्षेत्र में रोजगार को लेकर अराजकता की स्थिति पैदा हो जाएगी। यह कानून निजी क्षेत्र के विकास को भी बाधित करेगा और इसके कारण राज्य से उद्योग पलायन भी आरंभ कर सकते हैं। याची ने कहा कि यह कानून वास्तविक तौर पर कौशलयुक्त युवाओं के अधिकारों का हनन है। 75 फीसदी नौकरियां आरक्षित करने के लिए 2 मार्च, 2021 को लागू अधिनियम और 6 नवंबर, 2021 की अधिसूचना संविधान, संप्रभुता के प्रावधानों के खिलाफ है। रोजगार अधिनियम 2020 को सिरे से खारिज करने की याचिका में मांग की गई थी।
*2020 में बना था कानून*
हरियाणा सरकार ने स्टेट एंप्लॉयमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट एक्ट 2020 बनाया था। इसमें 75 फीसदी आरक्षण का प्रावधान था। शुक्रवार को हाईकोर्ट ने इस कानून के खिलाफ दाखिल इन सभी याचिकाओं को सही करार देते हुए हरियाणा सरकार के इस कानून को सिरे से खारिज करते हुए इसे रद्द करने का आदेश दिया है। इससे पहले हाईकोर्ट ने इस कानून पर अब तक रोक लगा दी थी।
[18/11, 11:08 am] +91 99191 96696: *हाईकोर्ट का आदेश : यूपी सरकार बालगृह में रह रहे बच्चों की शिक्षा, खेलकूद, मनोरंजन आदि की भी करे व्यवस्था*
प्रयागराज।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार बालगृह में रह रहे बच्चों के लिए शिक्षा, मनोरंजन, खेलकूद जैसी अतिरिक्त गतिविधियों पर भी ध्यान दें और इसकी व्यवस्था करें। जिससे कि बच्चों का सर्वांगीण विकास में कोई रुकावट न आए और बालगृह में अपनी समयवधि पूरी करने के बाद जब वह सामान्य जनजीवन में लौटें तो उन्हें किसी तरह की झिझक, दबाव या मानसिक परेशानी का सामना न करना पड़े।यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ ने बाल गृहों की स्थिति के संबंध में दाखिल स्वतः संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। इसके पूर्व सुनवाई शुरू होते ही यूपी सरकार के अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी और अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय की ओर से हाईकोर्ट द्वारा पारित पिछले आदेश के अनुपालन में महिला एवं बाल कल्याण विभाग की विशेष सचिव की ओर से हलफनामा दाखिल किया गया। बताया कि विभाग ने आश्रय गृह में रह रहे बच्चों की मूलभूत सुविधाओं के लिए लघु एवं व्यापक दोनों तरह की योजनाएं बनाई गई है और उस पर काम चल रहा है।
[18/11, 11:08 am] +91 99191 96696: *कर्मचारियों की समस्याओं के निस्तारण को अब हर माह बैठक करेंगे अधिकारी*
लखनऊ।यूपी सरकार ने अपने अधीन काम करने वाले राज्य कर्मचारियों एवं कर्मचारी संगठनों की समस्याओं के निस्तारण के लिए अहम कदम उठाया है। सरकार ने राज्य सरकार के समस्त अधिकारियों को अपने अधीन काम कर रहे कर्मचारियों एवं कर्मचारी संगठनों की मांग एवं समस्याओं के निस्तारण के लिए प्रत्येक माह कम से कम एक बार बैठक करने के निर्देश दिए हैं।इन बैठकों में अधिकारी न सिर्फ कर्मचारी और कर्मचारी संगठनों की समस्याओं और मांगों को सुनेंगे, बल्कि उनका निस्तारण भी सुनिश्चित करेंगे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार की ओर से पहले भी इस संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं और अब नियमित रूप से इस पर कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा गया है।समस्याओं और मांगों की नियमित समीक्षा और निवारण आवश्यक है
मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की ओर से समस्त अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, विभागाध्यक्ष, मंडलायुक्त एवं जिलाधिकारियों को इस विषय से अवगत कराते हुए निर्देश दिए गए हैं। जारी आदेश में कहा गया है कि निर्गत सुस्पष्ट निर्देशों के उपरांत भी शासन स्तर पर उच्चाधिकारियों के समक्ष विभिन्न कर्मचारी संगठनों द्वारा समय-समय पर सेवा संबंधी प्रकरण मांग-पत्र प्राप्त होते रहते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कर्मचारी संगठनों की मांगों पर विभागाध्यक्ष स्तर पर समाधान और अनुश्रवण की प्रभावी कार्यवाही नही हो पा रही है।विभिन्न कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि मुख्य सचिव एवं अपर मुख्य सचिव, कार्मिक विभाग से सेवा संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए निरंतर संपर्क करते हैं। ऐसे प्रकरण जिनका समाधान विभागाध्यक्ष या प्रशासकीय विभाग के स्तर पर किया जा सकता है, की नियमित समीक्षा कर निराकरण कराया जाना आवश्यक है।इसमें आगे ये भी कहा गया है कि कर्मचारी संगठनों एवं कर्मचारियों की मांगों एवं समस्याओं के संबंध में शासन के समस्त अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिवगण तथा विभागाध्यक्ष व मंडलायुक्त एवं जिलाधिकारियों द्वारा अपने-अपने विभागों, जनपदों में मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठनों की समस्याओं और मांगों तथा कार्मिकों की व्यक्तिगत समस्याओं के निस्तारण के लिए माह में कम से कम एक बार बैठक आयोजित कर उनका निस्तारण सुनिश्चित किया जाए।

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