प्रयागराज13जुलाई25*इन्द्रदेव हुए मेहरबान, मानो महादेव के आदेश पर हाथों से थामे रहे बादल*
*पुनर्प्राप्त जन्मोत्सव में झमाझम बारिश के थमने और कार्यक्रम के सकुशल पूरे होने की नहीं टूटी दैवीय परम्परा*
*आस्था का ऐसा अटूट भरोसा जो अब बन गया है विज्ञान की चुनौती*
एक लोकप्रिय हिन्दी भजन है कि “भगत के वश में हैं भगवान”! प्रयागराज पिछले डेढ़ दशक से लगातार इस लोकोक्ति के साकार और महादेव के चमत्कार का साक्षी बनता आया है!
एक आध्यात्मिक विश्वास जो एक सार्वभौमिक सत्य बन गया है, एक परम्परा जो अविच्छिन्न है, एक सत्य जो अडिग और अटल है!
उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी पर 12 जुलाई वर्ष 2010 को भीषण आरडीएक्स रिमोट बम हमला हुआ था! यह हमला तब हुआ जब वे बहादुरगंज स्थित प्राचीन मनोकामनापूर्ति शिव मन्दिर में जलाभिषेक के लिए जा रहे थे! उस भयानक और जानलेवा विस्फोट में एक पत्रकार और एक सिविल गनर की मौके पर ही मौत हो गयी थी! मंत्री नन्दी सबसे गंभीर रूप से घायल हो गए थे! 7 दिन कोमा में रहकर मौत से लम्बी जद्दोजहद के बाद आखिरकार अविश्वसनीय और चमत्कारिक रूप से उनकी जान बच गई!
इसे साक्षात् महादेव की कृपा और आशीर्वाद से प्राप्त पुनर्जन्म माना गया! तबसे उनके समर्थक और चाहने वाले 12 जुलाई को मंत्री नन्दी का पुनर्प्राप्त जन्म दिवस मनाते हैं! मुख्य आयोजन बहादुरगंज स्थित मनोकामनापूर्ति शिव मन्दिर में होता है! यहाँ प्रतिवर्ष लाखों लोग महादेव के दर्शन कर मंत्री नन्दी को शुभकामना देते हैं और भोजन प्रसाद ग्रहण करते हैं!
सावन के महीने में होने वाले इस आयोजन में मानसून अपने चरम पर होता है! मूसलाधार और रुक-रुक कर लगातार होने वाली बारिश का अंदेशा रहता है! लेकिन मंत्री नन्दी का भोलेनाथ पर अटूट विश्वास है कि सबकुछ सकुशल होगा!
एक दिन पहले महादेव के सिद्ध और प्राचीन शिवलिंग पर आयोजन का निमंत्रण पत्र अर्पित कर प्रार्थना करते हैं कि- “हे मेरे महादेव अब सबकुछ आपके हाथों में है!” अपने अनन्य भक्त की इस करूण पुकार को हर बार महादेव केवल सुनते ही नहीं हैं बल्कि एक ऐसा चमत्कार करते हैं जो विज्ञान को सीधी चुनौती है, शोध और अध्ययन का विषय है!
इस बार भी 11 जुलाई की रात से 12 जुलाई की सुबह 12 बजे तक कई बार बारिश के झोंके आये! बादलों के गरजने और बिजली के कड़कने से व्यवस्था कार्यकर्ताओं और प्रशासन को अनेकों आशंकाएं थीं! लेकिन मंत्री नन्दी अपने घर से पूरी तरह निश्चिन्त और भक्ति भाव में डूबे हुए रुद्रभिषेक पूजन के लिए मंदिर पहुंचे!
महापूजा के बाद उनके मंदिर से बाहर निकलने पर ऐसा लगा जैसे किसी ने दोनों हाथों से बारिश को रोक दिया, बादलों को थाम दिया! देर रात तक पानी की एक बूँद नहीं गिरी, लाखों लोगों ने निर्विघ्न भोजन प्रसाद ग्रहण किया! बहादुरगंज की गलियां अपने लाडले बेटे और चहेते नेता को बधाई देने उमड़ आये मानव कुम्भ का गवाह बनी!
इस बीच लोग एक-दूसरे से कहते सुने गये- “भगत के वश में हैं भगवान!”
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