October 29, 2025

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पूर्णिया बिहार 28 अक्टूबर 25* उगते सूर्य की किरणों के साथ संपन्न हुआ महापर्व, लोगों में दिखा अपार उत्साह और आस्था

पूर्णिया बिहार 28 अक्टूबर 25* उगते सूर्य की किरणों के साथ संपन्न हुआ महापर्व, लोगों में दिखा अपार उत्साह और आस्था

पूर्णिया बिहार 28 अक्टूबर 25* उगते सूर्य की किरणों के साथ संपन्न हुआ महापर्व, लोगों में दिखा अपार उत्साह और आस्था

पूर्णिया बिहार से मोहम्मद इरफान कामिल की खास रिपोर्ट यूपीआजतक न्यूज़ चैनल

पूर्णिया बिहार। पूर्णिया जिले में छठ महापर्व का त्योहार काफी हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया। इस चार दिवसीय पर्व का समापन कल हुआ, जब श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। पूर्णिया के विभिन्न प्रखंडों में नगर निगम और नगर परिषद ने इस पर्व को मनाने के लिए विशेष इंतजाम किए थे।
छठ महापर्व के दौरान पूर्णिया के विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। लोगों ने सूर्य देव और छठी मैया की पूजा-अर्चना की और अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना की। इस पर्व को मनाने के लिए लोगों ने अपने घरों और घाटों को सजाया था और विशेष पकवान बनाए थे।
पूर्णिया के जिला प्रशासन ने भी इस पर्व को मनाने के लिए विशेष इंतजाम किए थे। घाटों पर सुरक्षा और स्वच्छता के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी और श्रद्धालुओं के लिए पीने के पानी और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था की गई थी।
छठ महापर्व का त्योहार पूर्णिया में काफी उत्साह और जोश के साथ मनाया गया। लोगों ने इस पर्व को मनाने के लिए अपने घरों और घाटों को सजाया था और विशेष पकवान बनाए थे। इस पर्व को मनाने के लिए लोगों ने सूर्य देव और छठी मैया की पूजा-अर्चना की और अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना की
छठ महापर्व का समापन आज उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ हुआ
सोमवार की शाम छठ व्रतियों ने अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान सूर्यदेव और छठी मैया से परिवार की मंगलकामना की। इसके बाद मंगलवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व का समापन हुआ
छठ महापर्व में पवित्रता, संयम और श्रद्धा का विशेष महत्व है। इस दौरान व्रती महिलाएं घर और शरीर की शुद्धता पर विशेष ध्यान देती हैं। मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद पकाना, पीतल या कांसे के बर्तनों का प्रयोग और किसी भी तरह की अपवित्रता से दूर रहना इस पर्व की विशेषता है।
छठ महापर्व सिर्फ धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सामूहिकता का प्रतीक भी है। इस दौरान समाज के सभी वर्गों के लोग मिलकर घाटों की सफाई, सजावट और सुरक्षा की व्यवस्था करते हैं। प्रशासन की ओर से घाटों पर सुरक्षा बलों की तैनाती, स्वास्थ्य केंद्र और रोशनी की व्यवस्था की गई थी

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