नई दिल्ली8अक्टूबर25*संयुक्त किसान मोर्चा ने मौजूदा बाढ़ के हालातों व किसानों की समस्या निदान में केन्द्र व राज्य सरकारें विफल साबित हुई।
*प्राकृतिक संसाधनों पर कॉरपोरेट कब्ज़ा, जंगलों की अंधाधुंध कटाई, संवेदनशील हिमालयी क्षेत्रों में मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट, भ्रष्टाचार और नौकरशाही की मिलीभगत – उत्तर भारत में हाल की अभूतपूर्व प्राकृतिक आपदाओं के प्रमुख कारण*
*पंजाब की भगवंत सिंह मान सरकार प्रभावित गाँवों में वास्तविक नुक़सान दर्ज करने, पीड़ितों को समय पर राहत देने में बुरी तरह विफल*
*संयुक्त किसान मोर्चा ने सर्वोच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश द्वारा न्यायिक जांच की माँग की*
*सभी प्राकृतिक आपदा प्रभावित राज्यों के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का विशेष वित्तीय पैकेज और पंजाब के लिए 25 हज़ार करोड़ रुपये का प्राथमिक पैकेज देने की माँग*
*प्राकृतिक संसाधनों पर असंवेदनशील कॉरपोरेट कब्ज़े, प्राकृतिक आपदाओं के कारणों और रोकथाम तथा आपदा प्रबंधन पर विशेषज्ञों व कार्यकर्ताओं को शामिल कर जनता का आयोग गठित करेगा संयुक्त किसान मोर्चा*
*26 नवम्बर 2025 – ऐतिहासिक किसान संघर्ष की पाँचवीं वर्षगाँठ पर – पूरे देश में सभी राज्यों/जिलों की राजधानियों में बड़े विरोध प्रदर्शन का आह्वान*
*लखीमपुर खीरी कांड के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की ज़मानत रद्द करो – भाजपा शासन में आम लोगों के लिए न न्याय है न सुरक्षा*
*मोदी सरकार अगर अमेरिका के दबाव में झुकी तो होंगे भारी विरोध संघर्ष – कपास पर 11% आयात शुल्क हटाने का निर्णय वापस लो, कृषि व सहायक क्षेत्रों को मुक्त व्यापार समझौतों और WTO से बाहर रखो*
*फिलिस्तीनियों के नरसंहार का विरोध करो, सोनम वांगचुक व अन्य गिरफ्तार साथियों को तुरंत रिहा करो, लद्दाख संघर्ष का समाधान करो और जेलों में सज़ा पूरी कर चुके सभी बंदियों को रिहा करो*
(7 अक्टूबर 2025 को चंडीगढ़ में जारी)
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संयुक्त किसान मोर्चा की राष्ट्रीय परिषद–साधारण निकाय की बैठक 7 अक्टूबर 2025 को किसान भवन, चंडीगढ़ में हुई। इसमें अमेरिका और अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों से कृषि व सहायक व्यवसायों को बाहर रखने की माँग की गई। बैठक का मुख्य विषय उत्तर-पश्चिमी राज्यों, विशेषकर पंजाब में आई बाढ़ से हुई भारी तबाही रहा। बैठक ने चेतावनी दी कि यदि केंद्र सरकार अमेरिका के दबाव में आकर कृषि और सहायक क्षेत्रों को कर-मुक्त समझौतों में शामिल करती है तो उसे भारी संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा।
बैठक ने पंजाब की भगवंत सिंह मान सरकार की घोर विफलता की निंदा की कि उन्होंने न तो प्रभावित गाँवों का दौरा किया और न ही वास्तविक नुक़सान दर्ज किया और न समय पर राहत दी। प्रभावित जनता में व्यापक आक्रोश है। बैठक ने पंजाब और पूरे भारत की जनता का अभिनंदन किया जिन्होंने पीड़ित परिवारों को एकजुट होकर राहत पहुँचाई।
बैठक ने कहा कि बाढ़ से हुई तबाही को केवल प्राकृतिक आपदा नहीं बल्कि नौकरशाही की लापरवाही और कॉरपोरेट हितों के लिए प्राकृतिक संसाधनों – विशेषकर संवेदनशील हिमालयी वनों – के शोषण की मिलीभगत के नतीजे के रूप में देखा जाना चाहिए। पूँजीवादी विकास मॉडल, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन को बढ़ा रहा है, और पहाड़ों में कॉरपोरेट हित साधने वाली छेड़छाड़ें अब मानव समाज के लिए विनाशकारी साबित हो रही हैं।बैठक ने 26 नवम्बर को राज्य व जिला राजधानियों में बड़े विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया और केंद्र व पंजाब सरकार तथा बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड) की भारी प्रशासनिक विफलता की निंदा की, क्योंकि मौसम विभाग की भारी वर्षा संबंधी चेतावनियों को नजरअंदाज़ कर दिया गया।
बैठक ने कहा कि नदियों, नालों, बांधों व उनके गेटों की जाँच, सफाई और रखरखाव में गंभीर लापरवाही बरती गई। बांधों से पानी छोड़ने की ग़लत प्रबंधन नीति ने पंजाब में जान-माल, फ़सलों, घरों और पशुधन की व्यापक तबाही की। बैठक ने बाँधों की निरंतर सफाई (डीसिल्टिंग) की प्रक्रिया को अनिवार्य बनाने और सर्वोच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश द्वारा न्यायिक जांच की माँग की, ताकि संबंधित मंत्रियों और अधिकारियों को दंडित किया जा सके।
संयुक्त किसान मोर्चा ने यह भी तय किया कि विशेषज्ञों और जन-सक्रिय कार्यकर्ताओं को शामिल कर एक जन आयोग गठित किया जाएगा, जो बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं के कारणों और भविष्य की रोकथाम संबंधी नीतिगत पहलुओं पर रिपोर्ट लाएगा।
बैठक ने बाढ़ से हुई फ़सल क्षति के लिए किसानों को प्रति एकड़ ₹70,000 मुआवज़ा, इसमें से 10% मज़दूरों को, मृतकों के परिवारों को ₹25 लाख और पूरी तरह ध्वस्त मकानों के लिए ₹10 लाख मुआवज़ा देने की माँग की। पशुधन (भैंस, गाय) की मृत्यु पर प्रति पशु ₹1 लाख मुआवज़ा, गन्ना किसानों को बीज निःशुल्क उपलब्ध कराने और नष्ट गन्ने की फ़सलों पर प्रति एकड़ ₹1 लाख मुआवज़ा देने की माँग की गई। धान व कपास की फ़सल में रोग और असमय वर्षा से आई गिरावट का मुआवज़ा देने और धान की नमी की स्वीकार्य सीमा 17% से बढ़ाकर 22% करने की माँग की गई।
पंजाब अध्याय द्वारा 8 अक्टूबर को आयोजित ज़िला-स्तरीय आंदोलनों का समर्थन करते हुए, साधारण निकाय ने माँग की कि पंजाब को तुरंत ₹25,000 करोड़ का विशेष पैकेज और उत्तर व उत्तर-पश्चिम भारत के सभी राज्यों को ₹1 लाख करोड़ का विशेष वित्तीय पैकेज दिया जाए। केंद्र सरकार को असम, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, कर्नाटक सहित अन्य राज्यों को भी हालिया प्राकृतिक आपदाओं के लिए वित्तीय सहायता देनी होगी।
साधारण निकाय ने लखीमपुर खीरी घटना के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की ज़मानत रद्द करने की माँग की। सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से दर्ज हुए मामलों में गवाहों को धमकाने के प्रमाण सामने आए हैं, जिससे साबित होता है कि भाजपा शासन में न्याय की माँग करने वाले सुरक्षित नहीं हैं।
बैठक ने फिलिस्तीनियों के नरसंहार को रोकने और मानवीय सहायता सुनिश्चित करने के लिए तत्काल युद्धविराम की माँग की। सोनम वांगचुक को तुरंत रिहा करने, लद्दाख की जनता पर दमन समाप्त करने, उन्हें संविधान की छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा देने और देशभर में अपनी सज़ा पूरी कर चुके सभी बंदियों को विचारधारा, धर्म या नस्ल से परे रिहा करने का प्रस्ताव भी पारित किया।
बैठक की अध्यक्षता बलबीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह बुरजगिल (पंजाब), राजन श्रीरसागर (महाराष्ट्र), विजू कृष्णन (केरल), शंकर घोष (पश्चिम बंगाल), नागेंद्र बदलगपुरा (कर्नाटक) और अशोक बैथा (बिहार) ने की।
उपस्थित नेताओं में शामिल थे – जोगिंदर सिंह उग्रहाण, हरिंदर सिंह लखोवाल, निर्भय सिंह धुडिके, पी. कृष्णप्रसाद, सुरेश कौठ, बलदेव सिंह निहालगढ़, जोगिंदर नैण, बलजिंदर सिंह मान, डॉ. दर्शन पाल, रुल्दू सिंह मंसा, हरनेक सिंह महीमा, इंद्रजीत, नूर श्रीधर, सत्यवान, दिनेश कुमार, रवनीत सिंह बराड़, डॉ. सतनाम अजनाला, बूटा सिंह शादिपुर, पुरुषोत्तम शर्मा, कंवलजीत सिंह चीका, रमिंदर सिंह पटियाला, अंगे्रज सिंह भदौर, जगमोहन सिंह पटियाला, मंगल सिंह ढिल्लों, डॉ. आशीष मित्तल और कई अन्य प्रमुख किसान नेता।
जारीकर्ता –
मीडिया सेल | संयुक्त किसान मोर्चा
संपर्क: 9447125209 | 9830052766
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