July 9, 2025

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कानपुर नगर25अप्रैल25*बहुत लाभकारी है गन्ने के साथ चुकंदर की खेती

कानपुर नगर25अप्रैल25*बहुत लाभकारी है गन्ने के साथ चुकंदर की खेती

कानपुर नगर25अप्रैल25*बहुत लाभकारी है गन्ने के साथ चुकंदर की खेती

 

कानपुर नगर*राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर की निदेशक, प्रो.सीमा परोहा ने बताया कि डालमिया रामगढ़ चीनी मिल, सीतापुर में दिनांक-21.4.2025 को आयोजित गन्ने की साथ चुकंदर की खेती के संबंध में आयोजित किसान गोष्ठी में 400 से अधिक प्रगतिशील गन्ना किसानों ने भौतिक एवं वर्चुअल माध्यम से हिस्सा लिया। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर से डॉ.अशोक कुमार, सहा.आचार्य कृषि रसायन एवं डॉ.लोकेश बाबर, कनि.वैज्ञानिक अधिकारी भी गोष्ठी में उपस्थित रहे।
प्रो.परोहा ने बताया कि अंतःफसली कृषि व्यवस्था जिसमें गन्ने के साथ चुकंदर की खेती की जायेगी यह किसानों के लिये बहुत लाभप्रद होगी। गन्ना एक दीर्घकालिक फसल है जो कि 10-12 महीने में तैयार होती है,जबकि चुकंदर 180 दिन में तैयार हो जाता है। गन्ने की अच्छी पैदावार के लिये लाइन से लाइन के बीच की दूरी 4 फीट रखी जाती है। इसके बीच में चुकंदर की फसल में लाइन से लाइन के बीच की दूरी 50 सेमी तथा पौधे से पौधे की दूरी 20 सेमी रखते हैं। गन्ने के साथ चुकंदर की सह फसली खेती करके कृषक अपनी आय बढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही एक फसल के जोखिम को घटाकर भूमि का बेहतर उपयोग कर राजस्व में वृद्धि की जा सकती है। चुकंदर से चीनी के साथ-साथ एथेनाल का भी उत्पादन किया जा सकता है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिये गन्ने के साथ-साथ वैकल्पिक स्त्रोतों से एथेनाल उत्पादन की आवश्यकता है। ऐसे में चुकंदर एक अत्यंत उपयोगी स्त्रोत है, क्योंकि चुकंदर में उच्च मात्रा में शर्करा होती है। चुकंदर से एथेनाल उत्पादन न केवल किसानों के लिये अतिरिक्त आय का स्त्रोत है, बल्कि यह देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता (हरित ऊर्जा) की दिशा में एक मजबूत कदम है। इस कार्यक्रम में अपर गन्ना आयुक्त (विकास) बी.के.शुक्ल द्वारा चुकंदर की खेती से संबंधित आवश्यक जानकारी, बीज की उपलब्धता एवं उगाए गये चुकंदर की फसल की चीनी मिलों द्वारा खरीद के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
प्रो.परोहा ने गन्ने के साथ चुकंदर की खेती के 6 बड़े लाभ बताये – 1. कम लागत-चुकंदर की खेती में गन्ने की तुलना में कम लागत आती है, 2. कम समय में फसल तैयार-गन्ने की तुलना में कम समय में परिपक्व हो जाती है, 3. गन्ने की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है, 4. चीनी उत्पादन- , 5. इथेनाल उत्पादन, 6. फसल चक्र में बदलाव।
गोष्ठी की इस वीडियो कान्फ्रेंसिंग के अवसर पर जिला गन्ना अधिकारी रत्नेश्वर त्रिपाठी, कृषक सरताज खान, महेन्द्र दुबे, ओमनारायण मिश्र, विपिन तिवारी, सौरभ सिंह, टिंकू यादव, कल्याण सिंह, फुरकान खान, मुकीम खान, गजेन्द्र पाल सिंह, अनुराग, सुदेश सिंह सहित अन्य लोगों ने प्रतिभाग किया।

(अखिलेश कुमार पांडेय)
मीडिया प्रभारी
मो. 9984364957

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