कानपुर देहात13जुलाई25 *यूपीआजतक न्यूज चैनल पर कानपुर देहात की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरे..
संदिग्ध परिस्थितियों में घर के अंदर पड़ा मिला युवक का शव, हत्या की जताई गई आशंका*
*खबर लिखे जाने तक मृतक के परिजनों ने उपरोक्त घटना के संबंध में सिकंदरा पुलिस को नहीं दी है कोई तहरीर*
बैनर न्यूज़ ब्यूरो
कानपुर देहात… शनिवार को सिकंदरा थाना क्षेत्र के दयानतपुर गांव में एक युवक का संदिग्ध परिस्थितियों में घर के अंदर शव पड़े होने की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस के साथ फील्ड यूनिट की टीम ने भी पूरे मामले की जांच पड़ताल करके घटनास्थल से आवश्यक साक्ष्य संकलित किये… तत्पश्चाप पुलिस ने मृतक के शव का पंचनामा भरकर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया वहीं मृतक की बहनों ने हत्या किए जाने की आशंका जताई है…
प्राप्त जानकारी के आधार पर सिकंदरा थाना क्षेत्र के दयानातपुर गांव निवासी 35 वर्षीय जसवंत कुमार उर्फ शीलू पुत्र स्वर्गीय बाबूराम अपने माता-पिता का निधन हो जाने के बाद से अपने घर पर अकेला रहता था उसके पास गांव में करीब 20 बीघा के अलावा दो निजी नलकूप शिवम एक बोलेरो जीप तथा ट्रैक्टर भी है,, मृतक साधन संपन्न युवक था सुबह करीब 4 बजे मृतक की बहनों को सोनू के द्वारा जसवंत कुमार उर्फ शीलू का शव घर के अंदर पढ़ाई होने की सूचना दी गई… उपरोक्त सूचना मिलते ही मृतक की बहन जमौरा गांव निवासी ओम श्री अपनी अन्य बहनों के साथ मौके पर पहुंची जहां पर भाई का शव पड़ा देखकर मृतक की बहने जोर-जोर से रोने लगी… घटना की सूचना पर सिकंदरा पुलिस फील्ड यूनिट की टीम के साथ मौके पर पहुंची मृतक की बहन ओम श्री,जय श्री, अजया ने पुलिस को रोते हुए बताया कि भाई के शरीर तथा हाथ में लकीरें तथा नाखूनों के निशानहै… जिससे लगता है कि उसे मारा पीटा गया है मृतक की नाक से खून का रिसाव भी हो रहा था,,, मृतक की बहनों ने उसकी हत्या किए जाने की आशंका जताई है मृतक की बहनों ने पुलिस को बताया है कि रात्रि करीब दो या 2:30 बजे एक काली कर आई थी जो चंद मिनट के बाद वापस लौट गई…. उपरोक्त घटना के संबंध में चौकी प्रभारी रसघान अनिल कुमार ने बताया है कि घटनास्थल का काफी बारीकी से निरीक्षण करने के बाद मृतक केशव को कब्जे में लेकर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है,,, वही उपरोक्त घटना के संबंध में थाना प्रभारी सिकंदरा ने बताया है कि मृतकमृतक के परिजनों के द्वारा तहरीर दिए जाने के बाद उपरोक्त मामले का सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत करके वैधानिक कार्यवाही की जाएगी…
[7/13, 1:41 AM] pathakomji8: *आकाशीय बिजली गिरी अधेड़ उम्र के व्यक्ति की हुई मौत*
बैनर न्यूज़ ब्यूरो
.. कानपुर देहात… देवराहट थाना क्षेत्र के अहरौली घाट गांव में शनिवार को जंगल में बकरी चरा रहे एक अधेड़ उम्र क का व्यक्ति आकाशीय बिजली की चपेट में आ गया जिसके फल स्वरुप उसकी मौत हो गई,,, घटना की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने पूरे मामले की तहकीकात करने के बाद मृतक की शव को कब्जे में लेकर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है,,, वहीं उपरोक्त घटना की जानकारी मिलने के बाद मृतक के परिजनों के बीच कोराहम मचा हुआ है,,, पुलिस से मिली जानकारी के आधार पर देवराहट थाना क्षेत्र के अहरौली घाट गांव निवासी 65 वर्षीय राम प्रकाश पुत्र स्वर्गीय सुखदेव प्रजापति शनिवार को अपने घर से बकरिया लेकर खेतों की ओर गए थे इसी दौरान शाम करीब 5:00 बजे मौसम का अचानक मिजाज बिगड़ा और बकरी चरा रहे उपरोक्त अधेड़ उम्र के व्यक्ति पर आकाशीय बिजली गिर गई जिसके फल स्वरुप उसकी मौके पर ही मृत्यु हो गई,,, पुलिस ने बताया है कि पूरे मामले की जांच करने के बाद मृतक के शव को कब्जे में लेकर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है,,,
[7/13, 1:41 AM] pathakomji8: *कांवड़ यात्रा में शामिल होने वाले शिव भक्तों को आपातकालीन स्थिति में पूरी मदद करने के लिए मुस्तैदी के साथ है तैयार*,,,, *डिप्टी सीएमओ/ नोडल अधिकारी डॉ आदित्य सचान*
*कावड़ यात्रा के दौरान आपातकालीन स्थिति में उपरोक्त एंबुलेंस सेवा का लाभ लेने में किसी भी शिव भक्त को कोई समस्या आ रही है तो मोबाइल नंबर9151973581, अथवा मोबाइल नंबर 91 51 85 1405 पर 24 घंटे किया जा सकता है संपर्क*,,,, *राज गौतम, ईएमई, 108 एंबुलेंस सेवा, कानपुर देहात*
*बैनर न्यूज ब्यूरो ओउम जी पाठक “अकिंचन”*
कानपुर देहात,,,श्रावण मास पर कॉवड़ियो को कावड़ यात्रा के दौरान आपातकालीन स्थिति में बेहतरीन किस्म का उपचार देने के लिए जनपद कानपुर देहात की सीमा से गुजरे हुए विभिन्न मार्गों पर अब 108 वाहनों के साथ डॉक्टरों की एक टीम 24 घंटे पूरी मुस्तैदी के साथ मौजूद रहेगी,,,,,,,,, उपरोक्त जानकारी देते हुए 108 एवं 102 एंबुलेंस सेवा के नोडल अधिकारी/डिप्टी सीएमओ डॉक्टर आदित्य सचान ने बताया है कि जनपद कानपुर देहात के जिला अधिकारी के निर्देशन पर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी कानपुर देहात डॉक्टर अरुण कुमार सिंह के मार्गदर्शन में जनपद में संचालित 108 एंबुलेंस वाहनों को जनपद की सीमा से गुजरे हुए राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अन्य संपर्क मार्गों पर तथा जनपद में स्थित शिवालयों के नजदीक पूरी मुस्तैदी के साथ स्थान चिन्हित करके 24 घंटे खड़े करने के लिए उपरोक्त एंबुलेंस सेवा के प्रोग्राम प्रबंधक सुनील कुमार एवं इमरजेंसी मैनेजमेंट एग्जीक्यूटिव अभिषेक त्रिपाठी एवं राज गौतम को आदेश दिए गए हैं*,,,,, श्री सचान ने आगे बताया है कि श्रावण मास में जनपद की सीमा से गुजरने वाले कांवड़ियों को कावड़ यात्रा के दौरान विशेष सहूलियतें देने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अरुण कुमार सिंह के द्वारा एंबुलेंस वाहनों के साथ डॉक्टरों की टीम आवश्यक दवाइयां की किटों के साथ मौजूद रहने की व्यवस्था की गई है,,,, वहीं उपरोक्त एंबुलेंस सेवा के प्रोग्राम प्रबंधक सुनील कुमार ने बताया है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी के निर्देशन पर 108 एंबुलेंस वाहनों को जनपद की सीमा से गुजरे हुए राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अन्य संपर्क मार्गों पर स्थान चिन्हित करके 24 घंटे पूरी मुस्तैदी के साथ खड़े कराने की व्यवस्था की जा रही है, तथा जनपद के प्रमुख शिवालयों के नजदीक भी उपरोक्त एंबुलेंस वाहन पूरी मुस्तैदी के साथ 24 घंटे खड़े रहेंगे और यह वाहन आपातकालीन स्थिति में शिव भक्तों को अपनी बेहतरीन सेवाएं देंगे,,,, उपरोक्त एंबुलेंस सेवा के इमरजेंसी मैनेजमेंट एजुकेटिव अभिषेक त्रिपाठी ने कहा है कि कावड़ यात्रा के दौरान यदि किसी शिव भक्त को आपातकालीन स्थिति में उपरोक्त एंबुलेंस सेवा नहीं मिल पा रही है,,, अथवा उपरोक्त एंबुलेंस सेवा का लाभ लेने में किसी भी प्रकार की समस्या आ रही है तो वह उनके मोबाइल नंबर7905075197, पर संपर्क कर सकता है,,, वही रूरा ,रसूलाबाद, शिवली, सरवन खेड़ा, गजनेर, डेरापुर, राजपुर आदि लोकेशनों के एमरजैंसी मैनेजमेंट एजुकेटिव राज गौतम ने भी कावड़ यात्रा में शामिल होने वाले शिव भक्तों से आग्रह किया है कि आपातकालीन स्थिति में अगर उन्हें उपरोक्त एंबुलेंस सेवा का लाभ लेने में कोई समस्या आ रही है तो वह मोबाइल नंबर 91 5197 3581 पर उनसे संपर्क कर सकता है,,, पूरे श्रावण मास जनपद कानपुर देहात में संचालित 108 एंबुलेंस सेवा आपातकालीन स्थिति में शिव भक्तों की पूरी मदद करने के लिए मुस्तैदी से तैयार है,,,
[7/13, 1:41 AM] pathakomji8: *जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक ने थाना समाधान दिवस के अवसर पर थाना रूरा में सुनी समस्यायें, दिए निर्देश*
*बैनर न्यूज़ ब्यूरो ओउम जी पाठक “अकिंचन”*
कानपुर देहात
थाना समाधान दिवस के अवसर पर जिलाधिकारी आलोक सिंह व पुलिस अधीक्षक अरविंद मिश्र ने थाना रूरा में लोगों की समस्याओं को सुनकर समयवद्ध, गुणवत्तापूर्ण निस्तारण हेतु सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि शासन की मंशानुरूप जन शिकायतों को प्राथमिकता पर रखते हुए संतुष्टिपरक निस्तारण कराया जाये, प्राप्त होने वाली शिकायतों पर त्वरित कार्यवाही करते हुए पीड़ित को न्याय दिलाया जाये। राजस्व, भूमि विवाद से सम्बन्धित मामलों में संयुक्त टीम मौके पर भेजकर निस्तारण कराया जाये। जिलाधिकारी ने कहा कि आमजन से दिन प्रतिदिन प्राप्त होने वाली शिकायतों के निस्तारण में किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरती जाये। थाना समाधान दिवस में विभिन्न विभागों से सम्बन्धित शिकायतों के दृष्टिगत जिलाधिकारी ने सम्बन्धित को आवश्यक दिशा निर्देश दिये। मौके पर थाना प्रभारी रूरा, राजस्व व पुलिस विभाग संबंधित अधिकारीगण उपस्थित रहे।
[7/13, 1:42 AM] pathakomji8: *श्रावण मास के दृष्टिगत जिलाधिकारी ने बाणेश्वर मंदिर पहुंचकर सुरक्षा एवं अन्य व्यवस्थाओं का लिया जायजा, दिए निर्देश*
*इस दौरान जिला अधिकारी आलोक सिंह, एवं पुलिस अधीक्षक अरविंद मिश्रा ने बनीपारा में विराजमान भगवान श्री बाणेश्वर महादेव भगवान का किया जलाभिषेक, एवं बड़े ही आदर भाव के साथ की पूजा अर्चना*
*बैनर न्यूज़ ब्यूरो ओउम जी पाठक “अकिंचन”*
कानपुर देहात
श्रावण मास के अवसर पर जिलाधिकारी आलोक सिंह बनीपारा स्थित ऐतिहासिक एवं प्रसिद्ध बाणेश्वर मंदिर पहुंचे। जिलाधिकारी ने भगवान बाणेश्वर के दर्शन कर पूजा-अर्चना की तथा जिलेवासियों के सुख, शांति एवं समृद्धि की कामना की।श्रावण मास में प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी ने मंदिर परिसर एवं आस-पास की व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था, श्रद्धालुओं की कतारबंदी, साफ-सफाई, पेयजल, प्रकाश एवं पार्किंग जैसी मूलभूत सुविधाओं के संबंध में संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए।जिलाधिकारी ने मंदिर समिति के सदस्यों से भी चर्चा कर व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की तथा उनकी समस्याओं और सुझावों को सुना। उन्होंने कहा कि श्रावण मास में आने वाली भीड़ को सुव्यवस्थित और सुरक्षित ढंग से दर्शन कराने के लिए सभी विभाग आपसी समन्वय के साथ कार्य करें।निरीक्षण के दौरान पुलिस अधीक्षक अरविंद मिश्र, क्षेत्राधिकारी, तहसीलदार, सहित अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद रहे।
[7/13, 1:42 AM] pathakomji8: *सुधार के नाम पर शिक्षा से खिलवाड़ कर रही है सरकार*
बैनर न्यूज़ ब्यूरो
कानपुर देहात। शिक्षा में सुधार के कुछ सरकारी कदम विवादास्पद बनते जा रहे हैं। हाल में उत्तर प्रदेश सरकार ने 50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया है। इससे पहले राजस्थान और अन्य राज्यों की सरकारें भी हजारों स्कूलों को विलय के नाम पर बंद कर चुकी हैं। तर्क दिया जा रहा है कि जहां 50 से कम बच्चे हैं उन्हें नजदीकी स्कूल में स्थानांतरित किया जाएगा। जो लोग देश के छह लाख से अधिक गांवों से परिचित हैं वे शिक्षा पर इसके भयानक दुष्परिणाम की कल्पना कर सकते हैं। लगातार प्रयासों के बाद हमारी साक्षरता दर 80 प्रतिशत तक पहुंची है जिसमें लड़कियों की साक्षरता दर विशेष रूप से उत्तर भारत में बहुत कम है। बिहार और उत्तर प्रदेश की स्थिति तो समग्र साक्षरता में निराशाजनक है। यदि नजदीकी स्कूल बंद हुए तो इसका सबसे बुरा असर लड़कियों की शिक्षा पर पड़ेगा जो किसी भी समाज और देश के विकास के लिए एक बुनियादी शर्त है। देश की लड़कियां कम सुविधाओं के बावजूद हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं लेकिन कुछ नीतियां उलटे उनके खिलाफ जाती दिख रही हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए लाई गई नई प्रवेश परीक्षा सीयूईटी ने भी उनके नामांकन पर असर डाला है। आंकड़े बताते हैं कि इसके लागू होने के बाद से इन विश्वविद्यालयों में लड़कियों के दाखिले में 30 प्रतिशत तक की कमी आई है। दिल्ली विश्वविद्यालय में ही नामांकन अब केवल उत्तर भारत के तीन-चार राज्यों तक सीमित होकर रह गए हैं जिसमें कभी पूरे देश के मेघावी युवा आते थे। इस बीच विदेश में पढ़ने वालों की संख्या पिछले पांच वर्षों में दोगुनी से भी अधिक हो गई है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम कहता है कि पहली से पांचवीं कक्षा तक हर बच्चे के लिए एक किलोमीटर पर स्कूल होना चाहिए और छठी से आठवीं कक्षा तक हर बच्चे के लिए तीन किलोमीटर के दायरे में ही स्कूल होने चाहिए। संभवतः उत्तर प्रदेश सरकार ने इस पक्ष पर गंभीरता से विचार नहीं किया। इसके पीछे वे नीति निर्माता प्रतीत होते हैं जिनमें से अधिकतर नगरों, महानगरों और विदेश और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़े हैं। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान शिक्षा में कुछ अच्छे काम किए थे जिसमें 60 हजार शिक्षकों की भर्ती भी शामिल थी। इससे सभी स्कूलों में योग्य शिक्षक उपलब्ध हो गए थे। इस बीच शौचालय और अन्य भवनों में भी बहुत सुधार हुआ है लेकिन अकेले स्कूल मर्जर जैसे कदम से पिछले दशकों में साक्षरता, शिक्षा और स्कूलों को बेहतर करने के प्रयासों को बहुत बड़ा धक्का लगेगा। इस यू-टर्न से भारत के विकसित देश बनने का सपना बिखर सकता है। इस बात की गहराई से पड़ताल होनी चाहिए कि सरकारी स्कूलों में बच्चे क्यों कम हो रहे हैं? शिक्षकों पर कुछ अन्य अतिरिक्त काम जैसे जनसंख्या से जुड़े आंकड़े जुटाने, चुनाव कराने, बैंक खाता खुलवाने, मिड डे मील योजना को लागू करने जैसी जिम्मेदारियां कम क्यों नहीं की जा सकती हैं ? क्यों जिला स्तर पर इन स्कूलों में निरीक्षण और उनकी समस्याएं सुनने का तंत्र विकसित नहीं हो पाया है ? उनके मोटिवेशन के लिए जिला स्तर पर ठोस कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं ? सर्वे बताते हैं कि जिला अधिकारी मुश्किल से पांच प्रतिशत सरकारी स्कूलों में जाते हैं। सरकारी स्कूलों में सरकार छात्रों को यूनिफार्म देती है, वजीफा देती है, कोई फीस नहीं लेती और प्रतियोगी परीक्षाओं से चुने हुए योग्य शिक्षक नियुक्त होते हैं। इसके बावजूद वहां बच्चे नहीं आते। यह आजाद भारत के लिए सबसे बड़ी विडंबना है। यह सरकारी तंत्र की असफलता है। 2015 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निर्णय भी दिया था कि हर सरकारी कर्मचारी एवं सभी जनप्रतिनिधियों के बच्चों का इन स्कूलों में पढ़ना अनिवार्य हो। विकसित भारत की संकल्पना को साकार करने के लिए सरकार को इसे लागू करना चाहिए था। इसके साथ-साथ स्कूलों में पुस्तकालय, प्रयोगशाला और बेहतर पाठ्यक्रम अपनी भाषा में बनाया जाना चाहिए। इससे बच्चे अंग्रेजी के बोझ से मुक्त होंगे और आत्मनिर्भर भी बनेंगे। जिला स्तर पर इस बुनियादी परिवर्तन से ही सरकारी स्कूल चमकने लगेंगे। नई शिक्षा नीति के नियम का भी इस पर असर पड़ा है। नियम कहता है कि पहली क्लास में छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों का नामांकन नहीं होगा। इसके चलते बच्चे सरकारी स्कूलों में आने बंद हो गए हैं। इस बीच कुकुरमुत्ते की तरह बिना ठीक-ठाक बिल्डिंग, शौचालय, बिना मान्यता के निजी स्कूलों में दाखिले की बाढ़ आ गई है। एक बार बच्चा वहां दाखिल हो गया तो उसे निकालना आसान नहीं होता इसलिए दाखिले की उम्र तुरंत पांच वर्ष करने की जरूरत है। इन स्कूलों में शिक्षक भर्ती की योग्यता का भी कोई पैमाना नहीं है। रोजगार का पक्ष भी उतना ही महत्वपूर्ण है। बेरोजगार नौजवानों में बढ़ता असंतोष बहुत दुर्भाग्यपूर्ण होगा और राज्यों के आने वाले विधानसभा चुनावों पर भी इसका असर हो सकता है। हर वर्ष 25 जून को हम आपातकाल को याद करते हैं जिसमें लोगों की आवाज को पूरी तरह से अनसुना कर दिया गया था या रोक दिया गया था। बेहतर शिक्षा, समान शिक्षा हर व्यक्ति का हक है और यही लोकतंत्र है। वर्तमान सरकार खुद आपातकाल जैसी स्थिति में लोगों को लाकर खड़ा कर दी है। सरकार को इन सब बातों पर गंभीरता से पुनर्विचार करने की जरूरत है।
[7/13, 1:42 AM] pathakomji8: *सरकारी स्कूलों से क्यों विमुख हो रहे छात्र, क्यों घट रही छात्र संख्या*
बैनर न्यूज़ ब्यूरो
कानपुर देहात। सरकारी स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या शिक्षकों के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। पहले यह समस्या बेसिक शिक्षा विभाग तक सीमित थी लेकिन अब माध्यमिक स्तर के राजकीय हाईस्कूलों और इंटर कॉलेजों में भी साफ दिखाई पड़ रही है। ताजा आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 436 राजकीय हाईस्कूलों में 50 से भी कम छात्र पढ़ रहे हैं जबकि 189 इंटर कॉलेजों में 100 से कम नामांकन दर्ज हुए हैं।
यू-डायस डाटा ने खोली हकीकत-
वर्ष 2023-24 के यू-डायस डाटा के मुताबिक उत्तर प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा संस्थानों में छात्रों की संख्या चिंताजनक रूप से घट रही है। 436 राजकीय हाईस्कूल ऐसे हैं जहां छात्र संख्या 50 से भी कम है। 189 राजकीय इंटर कॉलेज ऐसे हैं जहां 100 से कम छात्रों का नामांकन दर्ज है।
इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में स्थित कई स्कूल या तो निष्क्रिय हो चुके हैं या वहां पठन-पाठन की गुणवत्ता को लेकर छात्रों और अभिभावकों का भरोसा कमजोर हुआ है।
महानिदेशक की सख्त चेतावनी और निर्देश-
महानिदेशक कंचन वर्मा ने इस स्थिति पर नाराजगी जताते हुए कहा शिक्षा विभाग द्वारा तमाम योजनाओं और सुविधाओं के बावजूद अगर छात्र स्कूल नहीं आ रहे हैं तो यह चिंता का विषय है। हमें यह समझना होगा कि कहां कमी रह गई है और उसे दुरुस्त करना होगा। उन्होंने सभी डीआईओएस और मंडलीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रत्येक सप्ताह प्रधानाचार्यों और प्रधानाध्यापकों के साथ बैठक कर नामांकन बढ़ाने की रणनीति बनाई जाए। कक्षा 8वीं और 10वीं के सभी बच्चों का माध्यमिक स्कूलों में समय से नामांकन सुनिश्चित किया जाए। स्थानीय जनप्रतिनिधियों, ग्राम प्रधानों और अभिभावकों को जागरूक कर छात्रों को सरकारी स्कूलों में लाने के लिए अभियान चलाया जाए। स्कूलों में सुविधाओं और गुणवत्ता में सुधार कर छात्रों को आकर्षित किया जाए।
कम छात्रों के पीछे क्या हैं कारण-
विशेषज्ञों और शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों के अनुसार सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में कम नामांकन के पीछे कई प्रमुख कारण हैं
गुणवत्ता की गिरावट-
शिक्षकों की कमी, प्रयोगात्मक सुविधाओं और डिजिटल संसाधनों का अभाव।
प्राइवेट स्कूलों की प्रतिस्पर्धा-
कई इलाकों में निजी स्कूलों का बढ़ता प्रभाव, जो बेहतर अंग्रेजी माध्यम और तकनीकी संसाधन उपलब्ध कराते हैं।
प्रेरणा हीन प्रचार-प्रसार-
सरकारी स्कूलों में चल रही योजनाओं की जानकारी आमजन तक ठीक से नहीं पहुंचती।
पूर्व छात्रों और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी का अभाव-
विद्यालयों के लिए सामुदायिक सहयोग बहुत जरूरी होता है जिसकी कमी सरकारी स्कूलों में अक्सर देखी जाती है।
नामांकन बढ़ाने को लेकर क्या हो सकती है रणनीति-
महानिदेशक द्वारा दिए गए निर्देशों के आलोक में निम्नलिखित बिंदुओं पर रणनीति बनाई जा सकती है:
स्कूल चलो अभियान को माध्यमिक स्तर तक प्रभावशाली बनाना। सरकारी विद्यालयों में स्मार्ट क्लास, इंटरनेट कनेक्टिविटी और स्किल एजुकेशन का समावेश। अभिभावक-शिक्षक संवाद को मजबूती देना और उन्हें स्कूल की कार्यशैली से जोड़ना। टैलेंट शो, स्पोर्ट्स टूर्नामेंट और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से स्थानीय आकर्षण बनाना। पूर्व छात्रों का नेटवर्क बनाकर विद्यालयों को सहयोग दिलाना।
शिक्षकों की भी जिम्मेदारी तय-
महानिदेशक कंचन वर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि किसी विद्यालय में लगातार कम नामांकन की स्थिति बनी रहती है तो प्रधानाचार्य और संबंधित शिक्षक जिम्मेदार माने जाएंगे। उन्हें यह भी निर्देश दिया गया कि शिक्षकों को अपने विद्यालय की साख और छवि सुधारने पर विशेष ध्यान देना होगा। जिन विद्यालयों में छात्र संख्या न्यूनतम है वहां शिक्षक घरों पर जाकर संपर्क करें ताकि बच्चे स्कूल लौटें। जन-जागरूकता रैलियां, पैरेंट्स मीटिंग्स और स्थानीय जन सहयोग को अभियान का हिस्सा बनाएं।
राज्य सरकार की योजनाओं पर एक नजर-
सरकार ने छात्रों को आकर्षित करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं:
मुफ्त पाठ्यपुस्तकें और यूनिफॉर्म,
साइकिल वितरण योजना, मध्याह्न भोजन, विद्यालयों में शौचालय, जल और बिजली की सुविधा, डिजिटल साक्षरता योजना लेकिन अगर इन सुविधाओं के बावजूद छात्र स्कूल नहीं आ रहे हैं तो विभाग को जमीनी स्तर पर कारणों की समीक्षा करनी होगी।
समय रहते सुधार जरूरी-
प्रदेश के सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में छात्रों की घटती संख्या शिक्षा तंत्र की स्थायित्व और प्रभावशीलता पर बड़ा प्रश्नचिन्ह है। सरकार और शिक्षा विभाग को चाहिए कि वह मूल कारणों की पहचान कर ठोस सुधारात्मक कदम उठाए। यदि यही स्थिति बनी रही तो आने वाले वर्षों में कई सरकारी स्कूल बंद करने की नौबत आ सकती है। जरूरत है समन्वित प्रयासों की शिक्षक, प्रशासन, समाज और सरकार को मिलकर इस संकट से निपटना होगा।
[7/13, 1:42 AM] pathakomji8: *बढ़ सकता है अनुदेशकों एवं शिक्षामित्रों का मानदेय*
*समर कैंप कराने वाले शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को मानदेय का है इंतजार, आखिर क्या कर रहे जिम्मेदार*
बैनर न्यूज़ ब्यूरो
कानपुर देहात। सरकार ने राज्य के शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के मानदेय में वृद्धि करने का निर्णय लिया है जिससे लगभग 129332 शिक्षामित्र और 25223 अनुदेशक लाभान्वित होंगे। इस कदम से राज्य के बेसिक शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत कर्मियों की आर्थिक स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है। वर्तमान में शिक्षामित्रों को प्रति माह ₹10000 का मानदेय मिलता है जबकि अनुदेशकों को ₹9000 प्रति माह दिया जा रहा है। सरकार के नए प्रस्ताव के अनुसार शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाकर ₹17000 प्रति माह किया जाएगा, जबकि अनुदेशकों का मानदेय ₹22000 प्रति माह तक हो सकता है।
प्रस्ताव की तैयारी और मंजूरी की प्रक्रिया-
उच्च स्तर पर सहमति बनने के बाद इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार न्यूनतम मजदूरी की दर से या उससे कम वेतन पाने वाले संवर्गों के कर्मियों को एक समान वेतन देने की योजना बनाई गई है।
वेतन वृद्धि के अतिरिक्त लाभ-
वेतन वृद्धि के साथ ही शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को हर तीन वर्षों में वेतन वृद्धि की सुविधा भी प्रदान की जाएगी। इसके अलावा शिक्षामित्रों को उनके मूल विद्यालयों में वापसी और अंत: जनपदीय स्थानांतरण की सुविधा भी दी जाएगी जिससे वे अपने घर के पास कार्य कर सकेंगे।
अन्य राज्यों के वेतन संरचना का अध्ययन-
सरकार ने इस प्रस्ताव को तैयार करने से पहले अन्य राज्यों के वेतन संरचना का भी अध्ययन किया है ताकि उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को उचित मानदेय दिया जा सके। इस कदम से राज्य के बेसिक शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत कर्मियों की आर्थिक स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है।
सरकार का उद्देश्य-
सरकार का उद्देश्य कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाना और उन्हें बेहतर जीवन स्तर प्रदान करना है। यह कदम बेसिक शिक्षा क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है जिससे वे अधिक उत्साह और समर्पण के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकेंगे। उम्मीद है कि इस प्रस्तावित वेतन वृद्धि से राज्य की शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक परिवर्तन आयेगा।
समर कैंप कराने वाले शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को मानदेय का है इंतजार-
परिषदीय विद्यालयों में इस साल 21 मई से 15 जून तक पहली बार समर कैंप का आयोजन किया गया। इसके आयोजन की जिम्मेदारी परिषदीय विद्यालयों में तैनात रहे शिक्षामित्रों व अनुदेशकों को दी गई थी। इसके लिए प्रत्येक को 6000 रुपये मानदेय तय किया गया था लेकिन अभी तक इसका भुगतान नहीं किया गया है। इसके लिए वे अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारी अजय कुमार मिश्रा का कहना है कि समर कैंप में ड्यूटी करने वाले सभी शिक्षामित्रों एवं अनुदेशकों के मानदेय का भुगतान जल्द से जल्द किया जाएगा।
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